Ghosi Lok Sabha Seat: घोसी लोकसभा सीट पर दिलचस्प रहा है चुनावी सफर, इस बार इन तीन प्रत्याशियों के बीच है मुकाबला
Ghosi Lok Sabha Seats घोसी लोकसभा का प्रदेश की 80 सीटों में काफी महत्वपूर्ण है। यहां पौराणिक और ऐतिहासिक इतिहास काफी समृद्ध शाली रहा है। बुनकर बहुल क्षेत्र होने के नाते मऊ को ताने-बाने का शहर भी कहा जाता है। यह जिला तमसा नदी के तट पर बसा हुआ है। इसी के अंतर्गत घोसी लोकसभा क्षेत्र आता है। इसमें पांच विधानसभा क्षेत्र हैं।
जयप्रकाश निषाद, मऊ। घोसी लोकसभा में चुनावी बिगुल बज चुका है। सभी दलों ने अपना प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है। भाजपा की तरफ से गठबंधन प्रत्याशी कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर के पुत्र अरविंद राजभर, आईएनडीआईए प्रत्याशी राजीव राय व बसपा प्रत्याशी बालकृष्ण चौहान मैदान में आ चुके हैं। तीनों चुनाव प्रचार में कूद भी चुके हैं। इसकी वजह से घोसी की राजनीतिक सरगर्मी पूरी तरह से बढ़ गई है।
यहां पीएम नरेंद्र मोदी की लहर में भाजपा का एक बार जीत का स्वाद चख चुकी है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में हरिनारायण राजभर ने विजयश्री हासिल किए थे। 2019 के चुनाव में सपा-बसपा के गठबंधन प्रत्याशी अतुल राय को जीत मिली थी। दुष्कर्म समेत तमाम आपराधिक मामलों के चलते बसपा सांसद का पूरा कार्यकाल जेल में ही बीत गया। यहां की जनता को उनका दर्शन तक नहीं हो सका।
80 सीटों में काफी महत्वपूर्ण है घोसी लोकसभा
घोसी लोकसभा का प्रदेश की 80 सीटों में काफी महत्वपूर्ण है। यहां पौराणिक और ऐतिहासिक इतिहास काफी समृद्ध शाली रहा है। बुनकर बहुल क्षेत्र होने के नाते मऊ को ताने-बाने का शहर भी कहा जाता है। यह जिला तमसा नदी के तट पर बसा हुआ है। इसी के अंतर्गत घोसी लोकसभा क्षेत्र आता है। इसमें पांच विधानसभा क्षेत्र हैं। चार विधानसभा मऊ जिले के हैं और एक विधानसभा बलिया जिले के रसड़ा विधानसभा से आता है।
1952 में पहली बार हुआ चुनाव
आजादी के बाद पहली बार हुए लोकसभा चुनाव 1952 में इस सीट पर इंडियन नेशनल कांग्रेस से अलगू राय शास्त्री को जीत मिली थी। इनका योगदान देश को आजादी दिलाने में अहम था और यह कई बार जेल भी जा चुके थे। 1957 में दूसरी बार के चुनाव में उमराव सिंह भी कांग्रेस से चुनाव लड़कर जीत हासिल किया। 1962 के लोकसभा चुनाव में यह सीट वामदलों के कब्जे में चली गई और यहां से पहली बार जय बहादुर सिंह चुनाव जीत कर संसद में पहुंचे। 1969 में सीपीआई से झारखंडे राय सांसद बने। 1971 में वह दूसरी बार सांसद बने। 1977 में पहली बार जनता पार्टी से शिवराम राय ने चुनाव में जीत हासिल की।
1980 में हुआ था तीसरी बार चुनाव
1980 में फिर तीसरी बार सीपीआई से झारखंडे राय चुनाव जीतने में सफल हुए। 1984 में कांग्रेस से राजकुमार राय ने बाजी मारी और 1989 में कांग्रेस से पहली बार कल्पनात राय चुनाव में विजयी हुए। 1991 में कल्पनाथ दूसरी बार कांग्रेस से संसद पहुंचे। 1996 में कल्पनाथ राय को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो वह निर्दल के रूप में चुनाव लड़े और जीत गए। 1998 में कल्पनाथ राय समता पार्टी से चुनाव जीतने में सफल रहीं।
ऐसा रहा चुनावी परिणाम
1999 में मध्यवर्ती चुनाव हुआ था। इसमें बसपा से बालकृष्ण चौहान विजयी हुए। 2004 में इस सीट पर सपा से चंद्रदेव राजभर चुनाव जीते। 2009 में यह सीट बसपा के खाते में पहुंची और दारा सिंह चौहान चुनाव जीते। 2014 में पहली बार इस सीट पर मोदी लहर में कमल का फूल खिला और भाजपा के हरि नारायण राजभर को जीत मिली। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन में बसपा प्रत्याशी अतुल राय ने हरि नारायण राजभर को हराकर यह सीट अपने नाम कर ली।
घोसी लोकसभा क्षेत्र में का हाल
कुल मतदाता | 2055880 |
पुरुष मतदाता | 1090327 |
महिला मतदाता | 965407 |
थर्ड जेंडर मतदाता | 84 |
मधुबन विधानसभा | 4,04,385 |
घोसी विधानसभा | 4,36,721 |
मोहम्मदाबाद गोहाना विधानसभा | 3,78,772 |
सदर विधानसभा | 4,72,641 |
रसड़ा विधानसभा | 3,63,361 |
साक्षरता दर |