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संस्कृत विद्यालयों व भाषा के लिए कारगर कदम उठाए सरकार

महराजगंज : विकास खंड के ग्रामसभा बड़हरा महंथ प्राचीन भगवान जगन्नाथ मंदिर में संत समाज की हुई बैठक में

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Aug 2017 11:44 PM (IST)Updated: Sat, 19 Aug 2017 11:44 PM (IST)
संस्कृत विद्यालयों व भाषा के लिए कारगर कदम उठाए सरकार
संस्कृत विद्यालयों व भाषा के लिए कारगर कदम उठाए सरकार

महराजगंज : विकास खंड के ग्रामसभा बड़हरा महंथ प्राचीन भगवान जगन्नाथ मंदिर में संत समाज की हुई बैठक में प्रदेश में संस्कृत भाषा व विद्यालयों को बढ़ावा देने, विकास हेतु प्रदेश सरकार से कारगर कदम उठाए जाने की मांग की। बैठक की अध्यक्षता करते हुए महंथ संकर्षण रामानुज दास ने कहा कि देववाणी संस्कृत भारत की आत्मा है। भारतीय सभ्यता व संस्कृति का इतिहास संस्कृत भाषा में है। इसी भाषा में ऋषियों द्वारा वेद शास्त्र लिखे गए। यह भाषा साहित्य का ¨चतन, अध्यात्म, दर्शन के विषय में सीमित न होकर गणित, आयुर्वेद, रसायन, खगोलकीय, नाट्य, संगीत, अर्थशास्त्र, राजनीति आदि व्यवहारिक विषयों में भी संस्कृत का महत्?व है। परंतु ¨चता का विषय है कि संस्कृत भाषा के अध्ययन में विगत कई दशकों से निरंतर गिरावट आ रही है। 10 वर्षों का अध्ययन देखा जाए तो केवल प्रदेश में हजारों की संख्या में मदरसे स्थापित हुए। इसके सापेक्ष नए संस्कृत विद्यालयों की स्थापना सीमित संख्या में हुई, जो मौजूद हैं, उनका भी रख-रखाव नहीं हो पा रहा है।

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वक्ताओं ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सात सूत्रीय प्रस्तावों को पारित करते हुए संस्कृत विद्यालयों के मान्यता के नियमों को सरल बनाने, किराए के मकानों में भी संचालित करने, संस्कृत विद्यालयों को भूमि उपलब्ध होने पर भवन आदि आवश्यक सरकारी सहायता दिए जाने, अनुदानित विद्यालयों व मदरसों की तरह संस्कृत विद्यालय के छात्रों को भी मध्याह्न भोजन, विद्यालयों के आधुनिकीकरण हेतु पर्याप्त व्यवस्था, छात्रों को लैपटाप, विद्यालयों को मान्यता के साथ अनुदानित करने, मूलभूत सुविधाओं को प्रदान करने तथा भारतीय संस्कृति की रक्षा हेतु संस्कृत भाषा व संस्कृत विद्यालयों के उन्नयन हेतु आवश्यक कदम उठाए जाने की मांग की । बैठक में अयोध्या के महंथ श्रीधराचार्य, महंथ अनंताचार्य, महंथ वासुदेवाचार्य, महंथ रंग रामानुज दास, महंथ रामकृष्ण रामानुज दास, महंथ बालकृष्ण रामानुज दास, महंथ रंगनाथ रामानुज दास, माधवाचार्य, पुरुषोत्तमाचार्य आदि संत समाज के लोग उपस्थित थे।


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