आजादी के 70 साल बाद मिलेगा यूपी मूल का पहला पूर्णकालीन राष्ट्रपति
रामनाथ कोविंद से पहले देश को उत्तर प्रदेश से कोई भी चुना हुआ राष्ट्रपति नहीं मिला है। इसके पहले यहां से केवल मोहम्मद हिदायतुल्ला चार दिन के लिये कार्यवाहक राष्ट्रपति बने थे।
लखनऊ [आशीष मिश्र]। रामनाथ कोविंद से पहले देश को उत्तर प्रदेश से कोई भी चुना हुआ पूर्णकालीन राष्ट्रपति नहीं मिला है। इसके पहले यहां से केवल मोहम्मद हिदायतुल्ला (20 जुलाई- 24 अगस्त 1969) चौबीस दिन के लिये कार्यवाहक राष्ट्रपति बने थे। जब सीट वीवी गिरी के इस्तीफे से खाली हुई थी और उस समय कोई उपराष्ट्रपति भी नहीं था। क्योंकि देश के तीसरे राष्ट्रपति जाकिर हुसैन की मौत के बाद उपराष्ट्रपति वीवी गिरी ने भी राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने के लिये इस्तीफा दे दिया था। एेसे में देश के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रहे मोहम्मद हिदायतुल्ला को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था। अब एनडीए ने कानपुर देहात निवासी रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषित कर दिया है जिससे देश को यूपी से पहला पूर्णकालीन राष्ट्रपति मिलना तय माना जा रहा है।
क्या है नियम
संविधान के जानकारों की माने तो अगर किसी राष्ट्रपति की पद पर रहते हुये मौत हो जाती है तो उसकी जगह उपराष्ट्रपति को चार्ज सौंपा जाता है। लेकिन छह महीने में चुनाव कराना अावश्यक होता है। एेसे में अगर राष्ट्रपति पद पर आसीन व्यक्ति को चुनाव लड़ना हो तो उसे अपने पद से इस्तीफा देना होता है। यही काम किया वीवि गिरी ने तब मोहम्मद हिदायतुल्ला जो उस समय चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया थे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया। लेकिन यह पहली बार होगा कि यूपी से रामनाथ कोविंद को किसी पार्टी ने राष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषित किया है जो कि यूपी से पहले चुने गये राष्ट्रपति होंगे।
यूपी में जन्में मोहम्मद हिदायतुल्ला दो बार बने कार्यवाहक राष्ट्रपति
मोहम्मद हिदायतुल्ला (20 जुलाई- 24 अगस्त 1969) चौबीस दिन के लिये कार्यवाहक राष्ट्रपति बने थे। इसके बाद वह दोबारा कार्य़वाहक बने जब 1 9 82 में तत्कालीन राष्ट्रपति ग्यानी जैल सिंह चिकित्सा उपचार के लिए अमेरिका गए थे, तब उपराष्ट्रपति एम हिदायतुल्ला ने 6 अक्टूबर 1 9 82 से 31 अक्टूबर 1 9 82 तक राष्ट्रपति पद की शपथ ली। इस प्रकार, उन्होंने कार्यकारी राष्ट्रपति के रूप में दो बार काम किया।
जाकिर हुसैन और फखरुद्दीन अली अहमद का भी यूपी से रहा जुड़ाव
राष्ट्रपति पद के चुनाव में अगर रामनाथ कोविंद को जीत मिली तो वह उत्तर प्रदेश मूल के पहले राष्ट्रपति होंगे। भारत के तीसरे राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन जरूर उत्तर प्रदेश में पढ़े लेकिन, मूलत: वह आंध्रप्रदेश के हैदराबाद में एक बड़े परिवार में जन्में थे। वर्ष 13 मई 1967 से तीन मई 1969 तक भारत के तीसरे राष्ट्रपति रहे डॉ. जाकिर हुसैन का जन्म आठ फरवरी, 1897 को आंध्रप्रदेश के हैदराबाद में हुआ था लेकिन, उसके कुछ वर्षों बाद ही उनके पिता फर्रुखाबाद के कायमगंज आ गए थे। भारत के पांचवें राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद की प्रारंभिक शिक्षा उप्र के गोंडा जिले में हुई और हरदोई में उनकी ससुराल थी लेकिन, उनका जन्म भी दिल्ली में हुआ और वह असम मूल के थे।
राम नाथ कोविंद का जीवन परिचय
राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद भले ही इस समय वह बिहार के राज्यपाल हों लेकिन कानपुर से लगातार उनका जुड़ाव रहा है। यही कारण है कि वह समय-समय पर उत्तर प्रदेश का दौरा करते रहे हैं।रामनाथ कोविंद कोरी या कोली जाति से है जो उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति के अंतर्गत आती है।
रामनाथ कोविंद का जन्म कानपुर देहात की डेरापुर तहसील के गांव परौंख में 1945 में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा संदलपुर ब्लाक के ग्राम खानपुर परिषदीय प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय हुई। कानपुर नगर के बीएनएसडी इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद डीएवी कॉलेज से बी कॉम व डीएवी लॉ कालेज से विधि स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद दिल्ली में रहकर तीसरे प्रयास में आईएएस की परीक्षा पास की, लेकिन मुख्य सेवा के बजाय एलायड सेवा में चयन होने पर नौकरी ठुकरा दी। कोविंद जी कल्यानपुर, कानपुर के न्यू आजाद नगर मकान में 1990 से 2000 तक किराये पर रहे।
आपातकाल के बाद जून 1975 में उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में वकालत से कॅरियर की शुरुआत की। 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद रामनाथ कोविंद तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई के निजी सचिव बने। इसके बाद वे भाजपा नेतृत्व के संपर्क में आए। कोविंद को पार्टी ने 1990 में घाटमपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया लेकिन वह चुनाव हार गए।
वर्ष 1993 व 1999 में पार्टी ने उन्हें प्रदेश से दो बार राज्यसभा में भेजा। पार्टी के लिए दलित चेहरा बन गये कोविंद अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रवक्ता भी रहे। घाटमपुर से चुनाव लडऩे के बाद रामनाथ कोविंद लगातार क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं से संपर्क में रहे।
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वर्ष 2007 में पार्टी ने रामनाथ कोविंद प्रदेश की राजनीति में सक्रिय करने के लिए भोगनीपुर सीट से चुनाव लड़ाया, लेकिन वह यह चुनाव भी हार गए। रामनाथ कोविंद इससे पहले प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी के साथ महामंत्री रह चुके हैं। अगस्त 2015 में बिहार के राज्यपाल के तौर पर भी उनके नाम की घोषणा अचानक ही हुई थी।
कोविंद लगातार 12 वर्षों तक राज्यसभा सांसद रहे। वह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे हैं। बीजेपी दलित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखिल भारतीय कोली समाज अध्यक्ष भी रहे। वर्ष 1986 में दलित वर्ग के कानूनी सहायता ब्यूरो के महामंत्री भी रह चुके हैं।
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आईएएस परीक्षा में तीसरे प्रयास में मिली थी सफलता
रामनाथ कोविंद की प्रारंभिक शिक्षा संदलपुर ब्लाक के ग्राम खानपुर परिषदीय प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय हुई। कानपुर नगर के बीएनएसडी से इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद डीेएवी कॉलेज से बी कॉॅम व डीएवी लॉ कालेज से विधि स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
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इसके बाद दिल्ली में रहकर आईएएस की परीक्षा तीसरे प्रयास में पास की। मुख्य सेवा के बजाय एलायड सेवा में चयन होने पर नौकरी ठुकरा दी। जून 1975 में आपातकाल के बाद जनता पार्टी की सरकार बनने पर वे वित्त मंत्री मोरारजी देसाई के निजी सचिव रहे थे। जनता पार्टी की सरकार में सुप्रीम कोर्ट के जूनियर काउंसलर के पद पर कार्य किया।
मकान को बारातशाला के रूप में किया दान
बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं। परौख गांव में कोविद अपना पैतृक मकान बारातशाला के रूप में दान कर चुके हैं। बड़े भाई प्यारेलाल व स्वर्गीय शिवबालक राम हैं। इनके एक भाई झींझक कस्बे में ज्वेलरी की दुकान चलाते हैं। एक भाई गुना (मप्र) में है।