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Behmai Kand: बेहमई कांड में 43 साल बाद फैसला, एक अभियुक्‍त को उम्रकैद; फूलन देवी ने दिया था सामूहिक नरसंहार की घटना को अंजाम

14 फरवरी 1981 शनिवार का वह दिन बेहमई गांव पर कहर बनकर टूटा था। गांव में किसान मजदूर सहित अन्य लोग अपने कार्यों में व्यस्त थे। कोई खेत पर गया था तो कुछ मवेशी की देखरेख में लगा था लेकिन डकैत आ गए...डकैत आ गए गांव वाले चिल्लाने लगे। कानों में डकैतों के आने की आवाज सुनकर सभी तितर-बितर होकर भाग रहे थे डकैतों ने घेराबंदी कर उन्हें पकड़ लिया।

By ankit tripathi Edited By: Vinay Saxena Published: Thu, 15 Feb 2024 07:48 AM (IST)Updated: Thu, 15 Feb 2024 07:48 AM (IST)
दस्यु फूलन देवी ने सामूहिक नरसंहार की घटना को द‍िया था अंजाम।

अंकित त्रिपाठी, कानपुर देहात।  43 वर्ष पूर्व 14 फरवरी 1981 को बेहमई गांव में दस्यु फूलन देवी ने सामूहिक नरसंहार की घटना को अंजाम दिया था। इसमें 20 लोगों की मौत हो गई थी। इसके साथ ही छह लोग घायल हुए थे। न्याय की आस में वादी मुकदमा राजाराम व मुख्य गवाह जंटर की भी करीब दो साल पूर्व मौत हो चुकी है, लेकिन संयोग ऐसा रहा कि 43 वर्ष बाद 14 फरवरी को ही एंटी डकैती कोर्ट ने अंतिम फैसला सुनाते हुए एक अभियुक्त को आजीवन कारावास दिया है।

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14 फरवरी 1981 शनिवार का वह दिन बेहमई गांव पर कहर बनकर टूटा था। गांव में किसान, मजदूर सहित अन्य लोग अपने कार्यों में व्यस्त थे। कोई खेत पर गया था तो कुछ मवेशी की देखरेख में लगा था, लेकिन डकैत आ गए...डकैत आ गए गांव वाले चिल्लाने लगे। कानों में डकैतों के आने की आवाज सुनकर सभी तितर-बितर होकर भाग रहे थे, लेकिन डकैतों ने घेराबंदी कर उन्हें पकड़ लिया।

बच्चे, बुजुर्गों व महिलाओं को छोड़कर डकैत 26 युवाओं को गांव में एक कुए के पास एकत्र कर दस्यु फूलन देवी ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी थी। इसमें तुलसीराम सिंह, राजेंद्र सिंह, जगन्नाथ सिंह, वीरेंद्र सिंह, रामाधार सिंह, शिवराम सिंह, रामचंद्र सिंह, शिव बालक सिंह, बनवारी सिंह, लाल सिंह, नरेश सिंह, दशरथ सिंह, बनवारी, हिम्मत सिंह, राजेंद्र, हुकुम सिंह, हरीओम सिंह, नजीर खां, तुलसीराम, रामऔतार की मौत हो गई थी।

वहीं जंटर सिंह, रघुवीर सिंह, वकील सिंह, देव प्रयाग सिंह, कृष्ण स्वरूप सिंह गुरुमुख सिंह सहित छह लोग घायल हुए थे। शाम करीब पांच बजे हुई घटना के प्रत्यक्षदर्शी गांव के राजाराम सिंह थे, जिन्होंने मुकदमा दर्ज कराया था। न्याय की आस में 13 दिसंबर 2020 को राजाराम की मौत हो गई थी।

43 साल बाद एक अभि‍युक्‍त को आजीवन कारावास की सजा 

घटना के 43 वर्ष बाद बरसी के दिन ही एंटी डकैती कोर्ट ने मुकदमे में अंतिम फैसला सुनाते हुए एक अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 

यह थे मुख्य आरोपी   

विश्वनाथ उर्फ अशोक, विश्वनाथ उर्फ पुतानी, भीखा, रामरतन, बाबूराम, श्यामबाबू, पोसा, रामकेश, बालादीन, शिवपाल, राम सिंह, बृजलाल, रतीराम, रामचरन, लालाराम, माता प्रसाद, मान सिंह, मुस्तकीम, लल्लू, बलवान, मोती, बलराम सिंह, श्याम, छोटे मल्लाह, फूलन देवी, राम प्रकाश, लल्लू सहित 35-36 लोग।


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