सीमा की निगरानी करेगा… घायल जवानों की जान भी बचाएगा ओईएफ का ड्रोन, पुंछ जिले में हुआ सफल परीक्षण
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के हजरतपुर स्थित आयुध उपस्कर निर्माणी (ओईएफ) ने ऐसा सर्विलांस ड्रोन तैयार किया है जो कि सीमा की निगरानी के लिए मुफीद होगा। यह घुसपैठ और पंजाब में सीमा पार से हो रही ड्रग तस्करी रोकने में भी मददगार होगा। कंट्रोल रूम में बैठकर 40 किलोमीटर के दायरे में इसके माध्यम से नजर रखी जा सकेगी।
विवेक मिश्र, कानपुर। उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के हजरतपुर स्थित आयुध उपस्कर निर्माणी (ओईएफ) ने ऐसा सर्विलांस ड्रोन तैयार किया है जो सीमा की निगरानी के लिए मुफीद होगा। यह घुसपैठ और पंजाब में सीमा पार से हो रही ड्रग तस्करी रोकने में भी मददगार होगा।
कंट्रोल रूम में बैठकर 40 किलोमीटर के दायरे में इसके माध्यम से नजर रखी जा सकेगी। अंधेरी रात हो या घना कोहरा, यह ड्रोन हर गतिविधि स्पष्ट रूप से रिकॉर्ड करेगा। अनुसंधान व विकास का काम पूरा होने के साथ ही जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा से सटे पुंछ जिले में इसका सफल परीक्षण भी हो चुका है।
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को 50 ड्रोन बेचने की प्रक्रिया चल रही है। इसके साथ ही एंबुलेंस ड्रोन के अनुसंधान पर भी काम शुरू हो चुका है। यह दुर्गम इलाकों में घायल हुए जवानों की जान बचाएगा।
सर्विलांस ड्रोन पर रक्षा मंत्रालय के सार्वजनिक उपक्रम ट्रूप कंफर्ट्स लिमिटेड (टीसीएल) की कंपनी ओईएफ के इंजीनियरों ने काम किया है। यह विशेष ड्रोन 2200 वाट की बैटरी से लैस है।
आठ किलो तक का वजन लेकर अधिकतम 7500 मीटर की ऊंचाई पर 40 घंटे तक उड़ने में सक्षम पाया गया। यह माइनस 20 डिग्री से लेकर अधिकतम 60 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में बिना बाधा के उड़ सकता है। अंधेरी रात और घने कोहरे में भी होने वाली हर गतिविधि को रिकॉर्ड करके कंट्रोल रूम को साफ तस्वीरें व वीडियो भेजने में सक्षम है।
ओईएफ हजरतपुर के महाप्रबंधक अमित सिंह ने बताया कि यह ड्रोन सीमा पर निगरानी के लिए कारगर है। वहां वाली संदिग्ध गतिविधियों को यह आसानी से रिकॉर्ड कर सकता है। इसके माध्यम से तस्करों और घुसपैठियों की धरपकड़ आसान होगी। बीएसएफ से ड्रोन आपूर्ति के आर्डर लेने की प्रक्रिया चल रही है।
दो क्विंटल तक भार उठा सकेगा एंबुलेंस ड्रोन
ओईएफ के इंजीनियरों ने दुर्गम पहाड़ों और बर्फीले क्षेत्रों में आतंकी मुठभेड़ या हमलों में घायल जवानों को फौरन अस्पताल पहुंचाने वाले एंबुलेंस ड्रोन पर भी अनुसंधान शुरू कर दिया है। स्वदेशी पुर्जों से निर्मित होने वाले ड्रोन को दो क्विंटल तक का भार उठाने लायक बनाया जाएगा।
ताकि चीन या पाकिस्तान की सीमा पर अधिक ऊंचाई पर फंसे घायल और बीमार सैनिकों को अस्पताल तक पहुंचाने में देरी न हो। इसे रडार प्रणाली से लैस किया जाएगा। इस प्रणाली से बर्फीले तूफान में फंसे हुए जवानों की आसानी से लोकेशन का पता चल सकेगा।