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डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बदल रहा अर्थतंत्र, लोकसभा चुनाव में सियासत की रेल भी इस ट्रैक पर भर रही रफ्तार

आश्चर्य का रेल ट्रैक डीएफसी है जो पंजाब के लुधियाना से बंगाल के दनकुनी को जोड़ रहा है। मालगाड़ियों के परिचालन से कुछ ही समय में इस कॉरिडोर ने अर्थतंत्र को बदलना शुरू कर दिया है। सुगम माल ढुलाई का माध्यम मिला जबकि शहरों-गांवों ने नई पहचान पाई। लोकसभा चुनाव के मोर्चे पर सियासत की रेल इस ट्रैक पर भी रफ्तार भर रही है। लोग खुलकर बोल रहे हैं।

By shiva awasthi Edited By: Shivam Yadav Published: Tue, 30 Apr 2024 05:15 PM (IST)Updated: Tue, 30 Apr 2024 05:15 PM (IST)
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बदल रहा अर्थतंत्र। फोटो- जागरण

कानपुर-सागर राजमार्ग पर जब कभी नौबस्ता चौराहा से रमईपुर की ओर जाते समय निगाह बिनगवां के पास ऊंचाई से गुजर रहे रास्ते व पुल पर पड़ते ही हर कोई आश्चर्य से भर जाता है। ये आश्चर्य का रेल ट्रैक डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) है, जो पंजाब के लुधियाना से बंगाल के दनकुनी को जोड़ रहा है। मालगाड़ियों के परिचालन से कुछ ही समय में इस कॉरिडोर ने अर्थतंत्र को बदलना शुरू कर दिया है। सुगम माल ढुलाई का माध्यम मिला, जबकि शहरों-गांवों ने नई पहचान पाई। लोकसभा चुनाव के मोर्चे पर सियासत की रेल इस ट्रैक पर भी रफ्तार भर रही है। लोग खुलकर बोल रहे हैं। पढ़िए जागरण संवाददाता शिवा अवस्थी की रिपोर्ट... 

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डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की लुधियाना से सोन नगर तक लंबाई 1318 किलोमीटर, उससे आगे दनकुनी तक 538 किलोमीटर है। दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग पर यात्री ट्रेनों के समानांतर अब इस ट्रैक पर वर्तमान में लगभग सवा सौ मालगाड़ियां दौड़ रही हैं। इससे माल ढुलाई, कोयला लदान, बंदरगाहों तक पहुंच आसान हुई है। 

आश्चर्य के इस ट्रैक ने यात्री ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने में मदद की है। अर्थ तंत्र को बदलने वाली छुक-छुक रेल की गूंज आसपास साफ सुनी जा सकती है। इस रेल ट्रैक के किनारे रूमा में लाजिस्टिक पार्क बनना है, जो भविष्य में और बेहतरी लाएगा। जिन-जिन शहरों से ये ट्रैक गुजरा है, उनकी आर्थिकी में तब्दीली शुरू हो गई है। 

सचेंडी थाने से थोड़ा आगे रेल ट्रैक के पास खड़े कानपुर देहात के गजनेर के शकील अहमद कहते हैं, काफी अरसे बाद कानपुर जाते समय ट्रैक देखकर लगा कि ये कौन सी सड़क बन गई। इसलिए खड़े होकर इत्मीनान से देखा। पता चला कि ये डीएफसी है। उम्र में 50 का पड़ाव पार कर चुके हैं, पहली बार ऐसे किसी ट्रैक के बारे में सुना। वाकई मोदी सरकार अलग ही करने में माहिर है। ये रेल ट्रैक मालगाड़ियों को रफ्तार देने के साथ आसपास क्षेत्रों की दिशा-दशा भी बदल रहा है। 

फत्तेपुर गोही के पास मिले श्रवणानंद महाराज कहते हैं, इस रेल ट्रैक से केवल मालगाड़ियां गुजर रही हैं, ये तब पता चला, जब रेलवे के एक अधिकारी से बात हुई। मालगाड़ी के लिए भी अलग रेल ट्रैक, वो भी इतनी जल्दी और शानदार होगा, ये स्वयं में आश्चर्य है। ऐसे विकास कार्यों से ही जन सरोकार से जुड़ी नई आर्थिकी लिखी जाएगी। 

द्विवेदी नगर की संगीता पांडेय का कहना है कि इस रेल ट्रैक के निर्माण से पहले पांडु नदी व उसके आसपास जाने में डर जैसा लगता था। अब माहौल बदल गया है। अक्सर मालगाड़ी गुजरने से क्षेत्र में हलचल रहती है। 

कर्रही के राजेंद्र अवस्थी कहते हैं, जब रेल ट्रैक का निर्माण शुरू हुआ था, तब लगा कि हाईवे निकल रहा है। बाद में पता चला कि इतनी ऊंचाई से रेल ट्रैक गुजारा जा रहा है। इसमें केवल मालगाड़ियां ही चलेंगी। इससे वर्तमान व पूर्ववर्ती सरकारों के काम में फर्क का आकलन करना भी आसान हुआ है। कम समय में ही ट्रैक बनकर तैयार है। यही बदलाव है, जो दिख रहा है। हाथ कंगन को आरसी क्या जैसे हालात हैं। 

बसंत विहार के रामगोपाल बाजपेई कहते हैं, केवल डीएफसी ही नहीं, किसी स्टेशन पर जाइए। सफाई, सुविधाएं देखकर बदलाव स्वयं समझ जाएंगे।

ब्रिटिश काल के बाद बड़ा बदलाव 

यशोदा नगर के रामनाथ द्विवेदी कहते हैं, ब्रिटिश काल के बाद रेलवे में बड़ा बदलाव दिख रहा है। गुलामी की मानसिकता से निजात मिल रही है। अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत कानपुर सेंट्रल, गोविंदपुरी, अनवरगंज व पनकीधाम रेलवे स्टेशन की बदलती छवि, पुराने भवनों की जगह आधुनिक सुविधाओं से युक्त भवन सब कुछ बताने के लिए काफी हैं। बढ़ रही यात्री सुविधाओं से ब्रिटिश काल के रेल तंत्र में बड़े बदलाव की आहट साफ सुनाई पड़ रही है। 

हंसपुरम के राकेश शर्मा कहते हैं, बदलता अर्थतंत्र लोगों के जेहन में है। केवल सियासत के लिए ही नहीं, राष्ट्रहित को ख्याल में रखकर काम करने से बदलाव आएगा। स्वाधीनता से पहले ही शहर में रेल ट्रैक बिछाने का काम शुरू हुआ था। वर्तमान में नई-नई रेल लाइनें कारोबार, परिवहन व सुगम यात्रा का कारण बन रही हैं। चाहे वो दिल्ली-हावड़ा, लखनऊ से वाया झांसी मुंबई रेल ट्रैक हो, बुंदेलखंड के बांदा से कानपुर को जोड़ने वाली रेल लाइन हर जगह भूमिगत व उपरिगामी पुल नई कहानी कह रहे हैं।


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