शराब नहीं पीने वालों का भी 'फैटी' हो सकता है लिवर, जानिए क्या है इस बीमारी के लक्षण और बचाव
ऐसा बिल्कुल नहीं है कि केवल शराब पीने वालों का ही लिवर फैटी हो शराब को हाथ तक न लगाने वालों का भी लिवर फैटी होता है। अगर समय पर इसका इलाज न हो तो ये समस्या लिवर सिरोसिस नाम की बीमारी में तब्दील हो जाती है जो जानलेवा हो सकती है। चिकित्सक बताते हैं कि फैटी लिवर अल्कोहलिक और नॉन-अल्कोहलिक दोनों कारणों से हो सकता है।
जागरण संवाददाता, झांसी। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि केवल शराब पीने वालों का ही लिवर फैटी हो, शराब को हाथ तक न लगाने वालों का भी लिवर फैटी होता है। अगर समय पर इसका इलाज न हो तो ये समस्या लिवर सिरोसिस नाम की बीमारी में तब्दील हो जाती है, जो जानलेवा हो सकती है।
चिकित्सक बताते हैं कि फैटी लिवर अल्कोहलिक (शराब के सेवन से) और नॉन-अल्कोहलिक (शराब न पीने से) दोनों कारणों से हो सकता है। नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर गलत खानपान और मोटापे के कारण होता है।
आंकड़ों की मानें तो वर्तमान 8 से 30 प्रतिशत तक लोगों का लिवर फैटी हो चुका है। इससे गर्भवती महिलाएं भी अछूती नहीं है। फैटी लिवर होने से उन्हें हेपेटाइटिस की समस्या हो सकती है। इसलिए सभी गर्भवती महिलाओं को हेपेटाइटिस की जांच अवश्य करानी चाहिए।
झांसी मेडिकल कॉलेज में वायरल हेपेटाइटिस के लिए भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से एक कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत सभी मरीजों का उपचार और प्रबंधन किया जाता है। वहीं लिवर फैटी होने की जांच की सुविधा भी मेडिकल कॉलेज में है। बस जरूरत है समय पर उपचार कराने की।
फैटी लिवर होने के प्रमुख कारण
शराब का सेवन, जंक फूड का सेवन और आरामदायक जीवन शैली ने आम जनमानस में फैटी लिवर की समस्या को बढ़ा दिया है। कुछ वर्षों में इसके मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि नॉन एल्कोहलिक लिवर डिजीज में लिवर के आसपास फैट जमा होने लगता है। इसका कारण मोटापा, इन्सुलिन रेजिस्टेंस, मेटाबोलिक सिंड्रोम होता है। फैटी लिवर का अगर समय पर इलाज न किया जाए तो इसकी वजह से सूजन और लिवर के डैमेज होने का खतरा रहता है, जो आगे चलकर गंभीर रूप धारण कर लेता है।
फैटी लिवर होने पर दिखाई देने वाले लक्षण
- भूख का कम लगना
- शरीर में कमजोरी लगना
- सिर व पेट दर्द, मितली आना
- हल्का बुखार होना
- जोड़ों में दर्द रहना
फैटी लिवर से बचाव के उपाय
- वजन को कम करना जरूरी है, जो कि व्यायाम और संतुलित आहार से सम्भव है
- शारीरिक सक्रियता बनाए रखना
- शराब के सेवन से स्वयं को बचाना
- अनावश्यक और बिना चिकित्सकीय परामर्श के दवाई खाने से परहेज करना
- यदि शुगर और हाई कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित है, तो उसकी दवा का नियमित सेवन करना।
मेडिकल कॉलिज में लिवर से सम्बन्धित समस्याओं के निदान की पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं। योग्य चिकित्सक जाँच के उपरान्त सही उपचार देते हैं, जिससे मरीज को आराम मिलता है। बस लक्षण दिखाई देते ही अपनी जाँच अवश्य कराएं, ताकि उपचार समय से शुरू हो सके।
-प्रो. डॉ. जकी सिद्दीकी, प्रभारी अधिकारी, हेपेटाइटिस/ लिवर ट्रीटमेंट सेंटर, मेडिकल कॉलेज, झांसी।
जन सामान्य में फैटी लिवर की समस्याएं सामने आ रही हैं। लापरवाही बरतने पर यह आगे चलकर जानलेवा साबित हो सकती है। इसलिए सबसे पहले अपनी जीवन शैली में बदलाव लाएं और अपनी बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) को सामान्य रखें। नियमित व्यायाम, शारीरिक सक्रियता, शुगर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखना बेहद जरूरी है। यह सभी चीज न सिर्फ फैटी लिवर को नियंत्रित करेंगे, आप भी स्वस्थ रहेंगे।
-डाॅ. सुधा शर्मा, सहायक आचार्य, एमएलबी मेडिकल कॉलेज, झांसी।