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5 साल पहले भी बैंक की लापरवाही का शिकार हो चुके 50 हजार किसान, अब तक नहीं हो सका 134 करोड़ रुपये का भुगतान

प्रीमियम जमा करने के बाद भी फसल बीमा क्लेम से हाथ धो बैठे किसानों का सही-सही आकलन अभी सामने नहीं आया है लेकिन ऐसे ही मामले में जनपद के लगभग 50 हजार किसान 5 साल से उलझे हैं। वर्ष 2019 में आई प्राकृतिक आपदा ने खरीफ की फसलों को चौपट कर दिया था लेकिन बैंक ने किसानों का प्रीमियम बीमा कंपनी में जमा ही नहीं किया था।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Published: Wed, 03 Apr 2024 12:14 AM (IST)Updated: Wed, 03 Apr 2024 12:14 AM (IST)
5 साल पहले भी बैंक की लापरवाही का शिकार हो चुके 50 हजार किसान।

जागरण संवाददाता, झांसी। प्रीमियम जमा करने के बाद भी फसल बीमा क्लेम से हाथ धो बैठे किसानों का सही-सही आकलन अभी सामने नहीं आया है, लेकिन ऐसे ही मामले में जनपद के लगभग 50 हजार किसान 5 साल से उलझे हैं। वर्ष 2019 में आई प्राकृतिक आपदा ने खरीफ की फसलों को चौपट कर दिया था, लेकिन बैंक ने किसानों का प्रीमियम बीमा कंपनी में जमा ही नहीं किया था। 

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इन किसानों के लगभग 134 करोड़ रुपए की देनदारी बैंक पर निकाली गई थी। इसके विरोध में बैंक ने न्यायालय में वाद दायर कर दिया था, जिस पर फैसला आना अभी बाकी है।

मार्च माह में आई प्राकृतिक आपदा से फसलों की तबाही का मंजर देख चुके कई किसानों पर दोहरा संकट आ गया है। इन किसानों का बैंक ने प्रीमियम तो काट लिया, लेकिन बीमा कंपनी के पोर्टल पर अपलोड नहीं किया। इससे किसानों का फसल बीमा नहीं हो सका और अब क्षतिपूर्ति में बाधा आ गई है। 

कृषि विभाग व बीमा कंपनी से कुछ किसानों ने शिकायत भी की, लेकिन इनकी संख्या काफी अधिक बताई गई है। इसमें अधिकांश किसान स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया की अलग-अलग शाखाओं के बताए गए हैं। प्रशासन अब ऐसे किसानों की संख्या का आकलन करा रहा है। 

जानकर आश्चर्य होगा कि किसानों के साथ धोखाधड़ी का यह पहला मामला नहीं है। वर्ष 2019 में भी ऐसे ही मामले में झांसी के 49,560 किसान अब तक फंसे हैं। तब खरीफ की फसलों पर प्रकृति ने वज्रपात किया था, लेकिन इससे भी बड़ा झटका बैंक से लगा था, जब किसानों को पता चला कि प्रीमियम जमा करने के बाद भी उनकी फसल का बीमा नहीं हुआ है। 

तत्कालीन मण्डलायुक्त व जिलाधिकारी ने इसे गंभीरता से लिया और बैंक की जिम्मेदारी तय करते हुए 133.88 करोड़ रुपए की देनदारी बैंक पर तय कर दी। चौतरफा घिरता देख बैंकों ने न्यायालय की शरण ली, जिसके बाद से मामला लम्बित है।

2 लाख से अधिक किसानों का हुआ था नुकसान

वर्ष 2019 में खरीफ फसलों पर आई प्राकृतिक आपदा ने झांसी के 2,06,435 किसानों की फसलों को तबाह कर दिया था। सर्वे के बाद बीमा कंपनी ने 1,56,875 किसानों को 244.23 करोड़ की क्षतिपूर्ति राशि वितरित कर दी, जबकि 49,560 किसान नुकसान के बाद भी अपना बीमा क्लेम नहीं ले सके। इन किसानों का 133.88 करोड़ रुपए का भुगतान अब तक अटका हुआ है।

यह तय हुई थी जिम्मेदारी

बैंक : प्रभावित किसान : मुआवजा

पंजाब नैशनल बैंक : 31,379 : 104.21 करोड़ रुपये

स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया : 15,263 : 20.59 करोड़ रुपये

सर्व यूपी ग्रामीण बैंक : 1,867 : 5.16 करोड़ रुपये

कुल : 49,560 : 133.88 करोड़ रुपये

वर्ष 2019 में खरीफ की फसलों की क्षति हुई थी। इस दौरान 1.56 लाख से अधिक किसानों को 244 करोड़ का मुआवजा दिया गया था, जबकि 49,560 किसानों का प्रीमियम काटने के बावजूद बैंकों ने पोर्टल पर अपलोड नहीं किया था, जिससे किसानों को 133 करोड़ का क्लेम नहीं मिल सका था। बैंकों की जिम्मेदारी तय होने पर मामला न्यायालय में चला गया था।

-एमपी सिंह, उप निदेशक, कृषि।

टोल फ्री नम्बर पर कर सकते हैं बीमा की जानकारी

प्रीमियम राशि काटे जाने के बाद फसल बीमा को लेकर बेफिक्र हो चुके किसान थोड़ा जागरूक हो जाएं, क्योंकि 5 साल पहले भी बैंक द्वारा उनका प्रीमियम काटा गया था, लेकिन पोर्टल पर अपलोड नहीं करने के कारण मुआवजा राशि नहीं मिल सकी थी। 

किसान बीमा कंपनी इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस के रेलवे स्टेशन रोड स्थित एसआरके बिल्डिंग के प्रथम तल पर स्थित कार्यालय पर सम्पर्क कर सकते हैं। इसके साथ ही टोल फ्री नम्बर 14447 पर भी सम्पर्क कर बीमा के संबंध में जानकारी की जा सकती है।


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