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Lok Sabha Election 2024: यूपी की एक ऐसी सीट, जहां जीते चाहे कोई हारे चुनाव परिणाम गढ़ेगा सबके लिए रिकॉर्ड

Lok Sabha Election 2024 हरदोई सीट पर तीनों प्रत्याशियों में विजयी कोई हो उसका रिकार्ड बनेगा। भाजपा की जीत होती तो जय प्रकाश पांचवीं बार सांसद होंगे। सपा के जीतने पर ऊषा वर्मा चार बार सांसद बनने वाली एक मात्र महिला होंगी। अगर बसपा की जीत पर भीमराम अंबेडकर पहले सांसद होंगे। हरदोई की राजनीतिक तस्वीर पर वरिष्ठ संवाददाता पंकज मिश्र की रिपोर्ट....

By Pankaj Mishra Edited By: Vinay Saxena Published: Thu, 25 Apr 2024 11:49 AM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2024 11:49 AM (IST)
भाजपा प्रत्याशी जयप्रकाश, सपा प्रत्याशी ऊषा वर्मा, बसपा प्रत्याशी भीमराम अंबेडकर।

पंकज मिश्र, हरदोई। भगवान नरसिंह और वामनावतार वाली हरदोई की धरा ऐतिहासिक-सांस्कृतिक धरोहरों से भी भरी हुई है। पौराणिक तीर्थ स्थल, मंदिर हैं तो अपने आप में इतिहास छिपाए दरगाह और मस्जिदें भी हैं। पर्यटन के मानचित्र में विशेष स्थान रखने वाली सांडी की दहरझील भी यहीं पर है। गंगा-जमुनी तहजीब वाली हरदोई का राजनीति के क्षेत्र में अपना खास स्थान रहा। आजाद भारत में हरदोई दक्षिणी उत्तरी के साथ फर्रुखाबाद पूर्वी और शाहजहांपुर को मिलाकर एक लोक सभा थी।

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1951 में एक सामान्य और एक आरक्षित वर्ग का सांसद चुना गया था। 1957 तक सामान्य रहने के बाद यह सीट आरक्षित कोटे में आ गई। यहां पर कांग्रेस का खूब डंका बजा, साइकिल भी चली। हाथी दौड़ा तो पर दिल्ली न पहुंच सका। अब तो कमल ही खिल रहा है। चुनाव कोई भी रहा हो, मुद्दे दूर ही रहे और मतदाता लहरों में बहकर चेहरों को चुनते रहे।

यहां हरियाणा से आए चांदराम तक सांसद बन गए और लोकतांत्रिक कांग्रेस भी जीती। भाजपा ने हरदोई से चार बार सांसद रहे जय प्रकाश को फिर मैदान में उतारा है तो सपा ने तीन बार सांसद और मंत्री तक रहीं ऊषा वर्मा को फिर प्रत्याशी बनाया। बसपा के पास कोई स्थानीय मजबूत चेहरा नहीं था तो उन्होंने इटावा से भीमराम अंबेडकर को भेजा। चेहरों के इस चुनाव में सभी प्रत्याशियों की प्रतिष्ठा दांव पर है।

तीनों प्रत्याशियों में विजयी कोई हो, उसका रिकॉर्ड बनेगा। भाजपा की जीत होती तो जय प्रकाश पांचवीं बार सांसद होंगे। सपा के जीतने पर ऊषा वर्मा चार बार सांसद बनने वाली एक मात्र महिला होंगी। अगर बसपा की जीत पर भीमराम अंबेडकर पहले सांसद होंगे। हरदोई की राजनीतिक तस्वीर पर वरिष्ठ संवाददाता पंकज मिश्र की रिपोर्ट..

लोकसभा चुनाव का माहौल क्या है, यह बावन मार्ग पर अस्पताल के बाहर चाय की दुकान पर बैठे संजय, सचिन और नीरज समझाते हैं। कहते हैं कि भइया यहां पर चुनाव कभी मुद्दों पर नहीं हुआ। जब विकास दूर था तो भी इस पर बात नहीं होती थी और अब खूब हो चुका, तो भी कोई बात नहीं करता। रही बात चुनाव की तो नेता भले ही जाति का जाल बिछा रहे, लेकिन यह देश के मान और सम्मान का चुनाव है। बावन चौराहे पर योगेंद्र सिंह राष्ट्रवाद पर लोगों से बहस कर रहे थे। बोले आप बताओ अगर मोदी में कोई दम नहीं है तो उनसे सब मिलकर क्यों लड़ रहे हैं। हर नेता मोदी का ही नाम क्यों ले रहा है।

जगदीशपुर में रियाजुद्दीन और बालकराम यादव से चुनावी माहौल पर बात चले तो गठबंधन को मजबूत बताते हैं, लेकिन अपने आप ही बोल देते हैं कि पता नहीं क्या बात है कि जो भी आता एक बार मोदी का नाम जरूर लेता है। उसी बीच बालेंद्र सिंह तानाशाही की बात कहते हुए नाराजगी दिखाते हैं। लोनार थाने के सामने बैठे लोगों के बीच हाथी पर चर्चा होती दिखी। जानकी प्रसाद बोले कि बहनजी ने जो किया वह कौन कर सका।

बरवन मार्ग पर बस के इंतजार में बैठी महिलाओं से चुनावी बात छिड़ी तो रेखा शुक्ला तपाक से बोलीं, कि दोपहरी में हम सब अकेले जा रहे हैं। जरा सा भी डर नहीं लग रहा। ऐसा कभी हुआ। सरकार और नेता ने किया तो कुछ नहीं, बस चुनाव में जाति जोड़ते घूम रहे हैं। सवायजपुर में राजेश्वर सिंह मोदी को दमदार पीएम बता रहे थे। बोले, जानवरों ने फसल को बहुत नुकसान पहुंचाया, लेकिन पालने के बाद कुछ जिम्मेदारी हमारी भी है।

सीने में दर्द है लेकिन देश की बात पर सीना चौड़ा हो जाता है। सांडी में घटकना के पास मिले राजेश्वर पाल पीडीए की बात रखते हैं। कहते हैं कि इसके बारे में जो बोलता वही हमारा। वर्ष 2019 के चुनाव में सपा और बसपा के बीच गठबंधन प्रत्याशी ऊषा वर्मा ने चार लाख 35 हजार 669 मत हासिल किए थे। जबकि कांग्रेस को मात्र 19 हजार 972 वोट मिले थे।

इस बार बसपा अलग से चुनाव लड़ रही है और सपा का गठबंधन कांग्रेस से है। जबकि पहले ही तरह भाजपा इस बार भी अपनी दम पर चुनाव मैदान में है। भाजपा प्रत्याशी 1991 और 1996 में भाजपा से चुनाव जीते थे तो 1999 में लोकतांत्रिक कांग्रेस से भी विजय श्री हासिल कर 2019 में भाजपा से फिर सांसद बने। सपा प्रत्याशी ऊषा वर्मा 1998 में पहली बार सांसद बनीं फिर 2004 और 2009 में जीतीं, जिसके बाद 2014 में तीसरे स्थान पर पहुंच गईं।

2019 में बसपा का साथ होने के बाद भी करीब एक लाख 32 हजार मतों से पराजित हुईं। सपा से पारिवारिक रिश्तों से वर्ष 2022 में उन्होंने सांडी विधान सभा से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं। तीन बार लोक सभा और विधान सभा चुनाव हारने के बाद 2024 का चुनाव उनके लिए प्रतिष्ठा का विषय है। बसपा के लिए तो यह सीट हमेशा प्रतिष्ठा की रही। हरदोई में कोई चेहरा न देखकर इटावा से एमएलसी भीमराव अंबेडकर को प्रत्याशी बनाया है। अब पार्टी की जीत होती तो पहली बार सांसद बनने का रिकार्ड होगा, लेकिन सफल न होने पर बसपा अपनी परंपरा नहीं तोड़ पाएगी। अब मतदाता किसका चेहरा और दल पर भरोसा करते हैं यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा, फिलहाल सभी राजनीतिक दल अपनी दम लगाए हुए हैैं।

भाजपा,सपा के पुराने तो बसपा ने नया प्रत्याशी उतारा

भाजपा प्रत्याशी सांसद जय प्रकाश और सपा प्रत्याशी पूर्व सांसद ऊषा वर्मा के बीच 1998, 1999, 2019 में चुनाव हो चुका है। दोनों प्रत्याशियों की अपनी जाति और दल में पकड़ है। हां, बसपा प्रत्याशी भीमराव अंबेडकर जरूर नए हैं। यहां पर पिछले चुनाव में बसपा का प्रत्याशी नहीं लड़ा था और गठबंधन से सपा प्रत्याशी ऊषा वर्मा थीं।

वर्ष 2019 के चुनाव पर एक नजर

जय प्रकाश रावतभाजपा568143 (विजयी)

ऊषा वर्मासपा435669

वीरेंद्र वर्मा --  कांग्रेस -- 19972

हरदोई लोकसभा क्षेत्र

कुल मतदाता-1913730

पुरुष मतदाता-1001722

महिला मतदाता- 911953

विधानसभावार महिला व पुरुष मतदाताओं की संख्या

विधानसभा - पुरुष - महिला - कुल मतदाता

सवायजपुर-219564 - 199008 - 418583

शाहाबाद-192781 - 174980 - 367771

हरदोई-221253 - 203504 - 424768

गोपामऊ- 187641 - 170789 - 358445

सांडी-180483 - 163672 - 344163


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