Hardoi Lok Sabha Seat: विरासत में मिली सियासत, क्षेत्र में बेटा बनकर बहू ने दिखाई ताकत; तीन बार ताजपोशी
हरदोई लोकसभा सीट पर विरासत में सिर्फ एक को ही सियासत मिली जिन्होंने एक या दो बार नहीं बल्कि तीन बार जीत का परचम लहराया। दो बार सांसद रहे ससुर ने अपनी राजनीतिक विरासत अपनी बहू ऊषा वर्मा को सौंप दी जिसके बाद उन्होंने तीन बार जीत हासिल कर सांसद का ताज पहना और क्षेत्र में बहू या बेटी के साथ बेटा बनकर लोगों के दिलों पर राज किया।
आशीष त्रिवेदी, हरदोई। हरदोई लोकसभा सीट पर विरासत में सिर्फ एक को ही सियासत मिली, जिन्होंने एक या दो बार नहीं बल्कि तीन बार जीत का परचम लहराया। दो बार सांसद रहे ससुर ने अपनी राजनीतिक विरासत अपनी बहू ऊषा वर्मा को सौंप दी, जिसके बाद उन्होंने तीन बार जीत हासिल कर सांसद का ताज पहना और क्षेत्र में बहू या बेटी के साथ बेटा बनकर लोगों के दिलों पर राज किया।
खास बात यह है कि ससुर परमाई लाल को पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह अपना करीबी मानते थे और ऊषा को बहू। इसी कारण इस बार भी सपा मुखिया अखिलेश सिंह ने एक बार फिर ऊषा वर्मा पर भरोसा जताया और उन्हें सपा का टिकट दिया। हरदोई से आशीष त्रिवेदी की रिपोर्ट...
पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय मुलायम सिंह का यहां के लोगों से काफी जुड़ाव रहा। मुलायम जनपद के लोगों को मित्र और सखा कहकर बुलाते थे। यहां के स्वर्गीय बाबू परमाई लाल से मुलायम सिंह यादव का खास रिश्ता था। वह बाबू परमाई लाल को अपना भाई कहकर पुकारते थे। 1990 का यह दौर लोगों को आज भी याद है, जब बाबू परमाई लाल और मुलायम सिंह एक ही जीप पर में बैठकर क्षेत्र में दौरा करते थे।
जनपद पासी बाहुल्य क्षेत्र है और परमाई लाल को पासी बिरादरी का बड़ा नेता माना जाता था। इसी रिश्ते से मुलायम सिंह यादव भी ऊषा वर्मा को अपनी बहू मानते थे। परमाई लाल ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत जनसंघ से की। वे पहली बार वर्ष 1962 में गोपामऊ विधानसभा से विधायक चुने गए। इसके बाद हरदोई लोकसभा सीट पर जनता पार्टी से वर्ष 1977 में जीत हासिल की। वह मुलायम सिंह के मंत्रिमंडल में लघु सिंचाई राज्य मंत्री भी बनाए गए। वर्ष 1980 में वह पुन: जनता दल से चुनाव लड़े लेकिन हार गए।
वर्ष 1984 में लेाकदल से चुनाव लड़ने के बाद भी उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। इसके बाद भी वर्ष 1989 में वह जनता दल से चुनाव लड़े और जीते। परमाई लाल के निधन के बाद नवगठित सपा से उनकी पत्नी जदुरानी विधायक चुनी गईं थीं। जदुरानी के निधन के बाद उनकी छोटी बहू ऊषा वर्मा ने राजनीति में कदम रखा। वर्ष 1998, 2004 व 2009 में भी सांसद चुनी गईं। ससुर इस सीट पर जहां दो बार सांसद रहे वहीं बहू तीन बार सांसद चुनी गईं और इस बार एक बार फिर भाग्य आजमा रहीं हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने दी थी बड़ी जिम्मेदारी
ऊषा वर्मा को 1999 में महिला सशक्तिकरण की संयुक्त समिति का सदस्य नियुक्त किया गया। 2004 में अनुसूचित जाति जनजाति के कल्याण समिति का सदस्य बनाकर ऊषा को मुलायम ने बड़ी जिम्मेदारी दी गई। रिश्तों को बरकरार करते हुए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने एक बार फिर से उन पर भरोसा जताकर मैदान में उतारा है।
कुछ इस तरह हरदोई सीट पर चुने गए सांसद
वर्ष - जीते प्रत्याशी - पार्टी
1957- शिवदीन- जनसंघ
1957- छेदालाल- कांग्रेस
1962- किंदर लाल- कांग्रेस
1967- किंदर लाल- कांग्रेस
1971- किंदर लाल- कांग्रेस
1977- परमाई लाल- जनता पार्टी
1980- मन्नी लाल- कांग्रेस
1984- किंदर लाल- कांग्रेस
1989- परमाई लाल- जनता दल
1990-चांद राम-जनता दल
1991-जय प्रकाश-भाजपा
1996-जय प्रकाश-भाजपा
1998-ऊषा वर्मा-सपा
1999-जय प्रकाश-लोकतांत्रिक कांग्रेस
2004-ऊषा वर्मा-सपा
2009-ऊषा वर्मा-सपा
2014-अंशुल वर्मा-भाजपा
2019-जय प्रकाश-भाजपा
विधानसभावार महिला व पुरुष मतदाताओं की संख्या
विधानसभा - पुरुष - महिला - कुल मतदाता
सवायजपुर-219564 - 199008 - 418583
शाहाबाद-192781 - 174980 - 367771
हरदोई-221253 - 203504 - 424768
गोपामऊ- 187641 - 170789 - 358445
सांडी-180483 - 163672 - 344163
कुल मतदाता- 1001722 - 911953 - 191373