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UP Politics: इस बार चुनावी रण में खलेगी इन राजनीतिक धुरंधरों की कमी, अपनी रणनीति से बनाते बिगाड़ते थे सियासी गणित

भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद सत्यदेव सिंह का 17 दिसंबर 2020 काे कोरोना संक्रमण के कारण निधन हो गया। वह भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ-साथ प्रदेश उपाध्यक्ष समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके थे। सत्यदेव सिंह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कोर कमेटी तक में शामिल रहे थे। राम मंदिर आन्दोलन में भी देवीपाटन मंडल से उनकी महत्वपूर्ण भूमिका ...

By Varun Yadav Edited By: Riya Pandey Published: Sat, 13 Apr 2024 03:27 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2024 03:27 PM (IST)
इस बार चुनावी रण में नहीं दिखेंगे राजनीति के ये धुरंधर

जागरण संवाददाता, गोंडा। Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर चुनावी रणभेरी बज चुकी है। पांचवें चरण में होने वाले चुनाव को लेकर राजनीतिक दल चुनावी मैदान सजा तो रहे हैं लेकिन, इस बार राजनीति के धुरंधरों कमी अखर रही है। सपा के टिकट पर तीन बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके पूर्व मंत्री विनोद कुमार उर्फ पंडित सिंह कमी खलेगी।

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भाजपा के पूर्व सांसद सत्यदेव सिंह, पूर्व विधायक बाबूलाल, पूर्व विधायक रामपाल सिंह के साथ ही बसपा से विधानसभा चुनाव लड़ चुके पप्पू सिंह परास का निधन हो चुका है। ये दिग्गज खुद लोकसभा चुनाव तो नहीं लड़ते थे लेकिन, अपनी रणनीति से चुनाव का गणित बनाते-बिगाड़ते थे। प्रस्तुत है रमन मिश्र की रिपोर्ट :

सपा को खल रही पंडित सिंह की कमी

राज्य में मुख्य विपक्षी दल सपा को देवीपाटन मंडल में विनोद कुमार उर्फ पंडित सिंह की कमी खल रही है। सात मई 2021 काे उनका कोरोना संक्रमण के कारण निधन हो गया। विनोद कुमार उर्फ पंडित सिंह पहली बार समाजवादी पार्टी से 1996 में गोंडा विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। इसके बाद वर्ष 2002 में भी वह गोंडा विधान सभा सीट से सपा के विधायक निर्वाचित हुए। प्रदेश में सपा की सरकार बनी।

तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया। वह चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री बनाए गए। मंत्री रहते हुए उन्होंने जिलेवासियों के दिल में एक अपनी अलग छाप छोड़ी, जो जहां चाहता था वहीं उन्हें रोककर अपनी समस्या का निस्तारण कराने के लिए फोन करवा देता था।

इसके बाद वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में उन्हें बसपा प्रत्याशी जलील खां ने पराजित किया। हार के बाद भी पंडित सिंह क्षेत्र में डटे रहे। सभी की सहायता करना और दुख-सुख में शामिल होना उनका कम नहीं हुआ।

यही कारण रहा कि 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में जनता ने फिर उन्हें अवसर दिया और वह फिर सपा से गोंडा विधान सभा से चुनाव जीत गए। इस बार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव रहे। उन्होंने भी पंडित सिंह को कैबिनेट में शामिल किया। वह पहले स्वतंत्र प्रभार राजस्व राज्यमंत्री बने।

2017 में पंडित सिंह समाजवादी पार्टी से तरबगंज विधानसभा सीट से चुनाव लड़े लेकिन, वह पराजित हो गए। वह वर्ष 2009 व 2019 का लोकसभा चुनाव गोंडा लोकसभा सीट, वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव कैसरगंज लोकसभा सीट से लड़े थे।

तीन बार लोकसभा चुनाव जीते थे सत्यदेव सिंह

भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद सत्यदेव सिंह का 17 दिसंबर 2020 काे कोरोना संक्रमण के कारण निधन हो गया। वह भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ-साथ प्रदेश उपाध्यक्ष समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके थे। सत्यदेव सिंह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कोर कमेटी तक में शामिल रहे थे। राम मंदिर आन्दोलन में भी देवीपाटन मंडल से उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।

सत्यदेव सिंह पहली बार 1977 में गोंडा लोकसभा क्षेत्र से भारतीय लोकदल के टिकट पर सांसद चुने गए। इसके बाद 1991 और 1996 में भाजपा के टिकट पर लोकसभा के लिए चुनाव जीते। वह 1980 से 1985 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे।

चुनाव प्रचार में नहीं दिखेंगे बाबूलाल

पूर्व विधायक बाबूलाल का 31 मई 2020 को निधन हो गया था। वह पांच बार कांग्रेस व सपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। वह डिक्सिर सुरक्षित विधानसभा सीट से पहली बार 1967 में विधायक चुने गए। 1980 व 1985 में भी कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंचे। उन्होंने 2002 में समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली और विधायक चुने गए। 2012 में मनकापुर विधानसभा से विधायक फिर निर्वाचित हुए।

पहली बार 1985 में विधायक चुने गए थे बाबू रामपाल सिंह

मुजेहना विधानसभा के पूर्व विधायक रामपाल सिंह 24 अप्रैल को बीमारी के कारण निधन हो गया। वह पहली बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे। 1986 के चुनाव में वह दोबारा कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने। 1996 में बाबू रामपाल सिंह ने साइकिल की सवारी की और सपा के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा प्रत्याशी घनश्याम शुक्ल से हार का सामना करना पड़ा।

तरबगंज की राजनीति में पप्पू सिंह परास का था दखल

पप्पू सिंह परास शुरू में पेशे से शिक्षक थे। वर्ष 2005 में समाजसेवा के लिए सक्रिय राजनीति में आए। पंचायत की राजनीति में सक्रिय होने के बाद उन्होंने 2017 में बसपा के टिकट पर तरबगंज विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा लेकिन, हार गए। आठ अप्रैल 2021 को उन्होंने बसपा छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। कोरोना संक्रमण के कारण 20 मई 2021 को उनका निधन हो गया।

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