Lok Sabha Election 2024: एटा के रण में कैसा है इंडी गठबंधन-बसपा और भाजपा का हाल, सीटों के समीकरण पर पढ़िए ये खास खबर
ब्रज की लोकसभा सीटों एटा मैनपुरी के अलावा फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट पर इनका प्रभाव साफ नजर आता है। वहीं सपा के सामने यह सवाल है कि उसके प्रत्याशी अपने सजातियों के कितने वोट ले पाते हैं। इस चुनाव में शाक्यों की चाल दलों के लिए नाक का बाल बन गई है। तीन सीटों के समीकरण पर एटा से अनिल गुप्ता की रिपोर्ट...
अनिल गुप्ता, एटा। आगरा मंडल में जातीय समीकरणों को लेकर खूब घमासान है। एटा के रण में भाजपा और सपा के बीच शाक्य समीकरण की इन दिनों खूब चर्चा है। समाजवादी पार्टी ने देवेश शाक्य को चुनाव मैदान में उतारकर शाक्य मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश की है तो भाजपा उनसे अपने अटूट रिश्ते की दुहाई दे रही है।
एटा से भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह को तीसरी बार चुनाव मैदान में उतारा है। लोधी, यादव बहुल इस क्षेत्र में शाक्य मतदाताओं का रुख निर्णायक माना जाता रहा है। भाजपा के डा. महादीपक सिंह शाक्य इस सीट पर छह बार सांसद रहे। इस बार सपा से शाक्य प्रत्याशी उतारे जाने से भाजपा के सामने शाक्य वोट बैंक को बचाए रखने की चुनौती है। तीन सीटों के समीकरण पर एटा से अनिल गुप्ता की रिपोर्ट...
कुल मतदाताओं की संख्या 16,72,149
एटा लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 16,72,149 है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इनमें शाक्य मतदाताओं की संख्या 1,56,000 से कुछ अधिक है। लोकसभा क्षेत्र की तीन विधानसभा क्षेत्र कासगंज, अमांपुर, पटियाली में शाक्य मतदाता अधिक हैं।
भाजपा के पूर्व विधायक सुधाकर वर्मा कहते हैं, चुनाव में प्रभावशाली नेताओं का मतदाताओं से सीधा जुड़ाव प्रभावकारी होता है। बूथ लेवल के कार्यकर्ता रंजीत शाक्य की प्रधानमंत्री से लाइव बातचीत को शाक्यों के बीच यह कहकर प्रचारित किया जा रहा है कि भाजपा के स्थानीय नेता ही नहीं प्रधानमंत्री तक शाक्यों से सीधे जुड़े हैं। भाजपा के नेता शाक्यों के बीच जाकर यह कह रहे हैं कि जिस प्रधानमंत्री से सांसद तक आसानी से नहीं मिल पाते, वे शाक्यों का हालचाल स्वयं जान रहे हैं।
टी−20 की तरह
पूर्व राज्यसभा सदस्य हरनाथ सिंह यादव कहते हैं, यह मैच 20-20 की तरह है। सपा के समक्ष करो और मरो की स्थिति है। एटा लोकसभा सीट भाजपा का अभेद दुर्ग बनी हुई है। इस सीट पर सपा-बसपा गठबंधन का प्रयोग भी कामयाब नहीं हुआ और 2019 में भाजपा की प्रचंड जीत हुई। 2019 में गठबंधन के प्रत्याशी कुंवर देवेंद्र सिंह यादव सपा की टिकट पर चुनाव लड़े थे। इस बार वे स्वयं भाजपा में हैं।
ये भी पढ़ेंः Baghpat News: आंधी और बारिश ने किसानों के लिए मचाई तबाही, आम को नुकसान, 100 से अधिक गांवों की बत्ती गुल
फतेहपुर सीकरी क्षेत्र में खेरागढ़ व फतेहाबाद में प्रभावी
फतेहपुर सीकरी लोकसभा क्षेत्र में अनुमानित 1.40 लाख कुशवाह (शाक्य) मतदाता हैं। खेरागढ़ और फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र में इनका प्रभाव है। खेरागढ़ विधान सभा क्षेत्र वर्तमान में विधायक भाजपा के भगवान सिंह कुशवाह हैं। वे जातिगत समीकरण से तीसरी बार 2022 में जीते। इससे पहले 2007 और 2012 में बसपा से विधायक रहे।
ये भी पढ़ेंः चारू चौधरी ने योगी को मंच पर किया प्रणाम, CM की सादगी ने जीत लिया सबका दिल; मुस्कुराते नजर आए जयंत
दूसरे नंबर पर शाक्य मतदाता
मैनपुरी में वर्तमान में 17.87 लाख मतदाता हैं। इनमे सर्वाधिक संख्या यादव और उसके बाद दूसरे नंबर पर शाक्य मतदाता आते हैं। यादव मतदाता चार लाख और शाक्य मतदाता ढाई लाख माने जाते हैं। भाजपा एक उपचुनाव सहित बीते तीन चुनाव से शाक्य प्रत्याशी ही उतार रही थी। इसी तरह बसपा भी शाक्य पर दांव लगाती थी। इस बार भाजपा ने पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह और बसपा ने पूर्व विधायक शिव प्रसाद को प्रत्याशी बनाया है। जबकि सपा से डिंपल यादव प्रत्याशी हैं। तीनों दल शाक्य मतों को अपने पाले में लाने की कसरत में जुटे हैं।
फिरोजाबाद में नहीं अधिक प्रभाव
इस लोकसभा सीट पर कुल 18.87 लाख मतदाता हैं। इनमें से सर्वाधिक संख्या यादव समाज के मतदाताओं की है। इनकी संख्या चार लाख से अधिक होने का अनुमान है। दूसरे नंबर पर कुशवाह, शाक्य, निषाद, लोधी राजपूत और कश्यप हैं। इन सभी मतदाताओं की संख्या भी चार लाख के आसपास मानी जाती है, लेकिन शाक्य मतदाता काफी कम हैं। जसराना और सिरसागंज में 20 से 25 हजार शाक्य मतदाता हैं। अन्य विधानसभा क्षेत्रों में बहुत कम संख्या है।