Move to Jagran APP

भारत का चार यूरोपीय देशों से मुक्त व्यापार समझौता, कालीन निर्यातकों ने किया स्वागत; पढ़ें क्या है Free Trade Agreement

वरिष्ठ कालीन निर्यातक आलोक कुमार बरनवाल का कहना है कि विश्व बाजार की स्थिति को देखते हुए व्यवसाय की संभावना वाले हर पहलू पर नजर रखना जरूरी है। एफटीए कालीन उद्योग के लिए रामबाण साबित हो सकता है। एफटीए वाले देशों से व्यापार बढाने के लिए पहल करनी चाहिए। विशेषकर कालीन मेलों में उन देशों के आयातकों को अधिक से अधिक आमंत्रित करना चाहिए।

By ravindra nath pandey Edited By: Riya Pandey Published: Tue, 12 Mar 2024 06:03 PM (IST)Updated: Tue, 12 Mar 2024 06:03 PM (IST)
भारत के चार यूरोपीय देशों से मुक्त व्यापार समझौता का कालीन निर्यातकों ने किया स्वागत

संवाद सहयोगी, भदोही।  Free Trade Agreement: भारत सरकार ने चार यूरोपीय देशों आइसलैंड, लिस्टेंस्टीन, नार्वे और स्विटजरलैंड से व्यापार मुक्त समझौता किया (Free Trade Agreement) है। इस समझौते से कालीन उद्योग को बल मिलेगा। इसमें स्विटजरलैंड और नार्वे भारतीय कालीनों के खरीदार देश हैं।

loksabha election banner

कालीनों की खरीदारी के मामले में नार्वे 27वें नंबर पर है व प्रति वर्ष 7.36 यूएस मिलियन डालर का कालीन निर्यात किया जाता है। जबकि स्विटजरलैंड 36वें नंबर पर है और यहां प्रति वर्ष भारत से 3.12 यूएस मिलियन डालर का कालीन निर्यात होता है।

निर्यातकों का मानना है कि इन देशों से व्यापार मुक्त समझौता होने से उद्यमियों को काफी लाभ मिलेगा। इसे कालीन उद्योग के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है। कालीन निर्यातकों का मानना है कि समझौता करने वाले देशों से आयात व निर्यात करना दोनों लाभदायक होगा। समझौते के तहत निर्यात पर लगने वाली ड्यूटी में रियायत मिलेगी।

क्या है फ्री ट्रेड एग्रीमेंट?

फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) का इस्तेमाल दो देशों के बीच व्यापार को सरल बनाने के लिए है। एफटीए के तहत दो देशों के बीच आयात-निर्यात के तहत उत्पादों पर सीमा शुल्क, नियामक कानून, सब्सिडी और कोटा आदि को सरल बनाया जाता है। इसका बड़ा लाभ यह होता है कि जिन दो देशों के बीच में यह समझौता होता है, उनकी उत्पादन लागत, बाकी देशों के मुकाबले सस्ती होती है। इससे व्यापार को बढ़ाने में मदद और अर्थव्यवस्था को गति मिलती है। उपभोक्ताओं को कम कीमत का सीधा लाभ मिलता है।

कालीन उद्योग के लिए रामबाण है एफटीए

वरिष्ठ कालीन निर्यातक आलोक कुमार बरनवाल का कहना है कि विश्व बाजार की स्थिति को देखते हुए व्यवसाय की संभावना वाले हर पहलू पर नजर रखना जरूरी है। एफटीए कालीन उद्योग के लिए रामबाण साबित हो सकता है। एफटीए वाले देशों से व्यापार बढाने के लिए पहल करनी चाहिए। विशेषकर कालीन मेलों में उन देशों के आयातकों को अधिक से अधिक आमंत्रित करना चाहिए। जिन देशों से भारत का समझौता हो चुका है।

अमेरिका-जर्मनी से होना चाहिए एग्रीमेंट

एकमा सचिव सबसे बड़े कालीन खरीदार देशों अमेरिका व जर्मनी से व्यापार समझौता अधिक लाभदायक साबित होगा। सरकार द्वारा आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, वियतनाम, यूएई व गल्फ कंट्रीज से समझौता करने की बात सामने आ रही है। इन देशों में कालीन उत्पादों का निर्यात होता है लेकिन अमेरिका से समझौता हो जाए तो कालीन उद्योग के लिए संजीवनी बन सकता है।

संयुक्त निदेशक, विदेश व्यापार महानिदेशालय से विस्तृत चर्चा हुई है। एग्रीमेंट वाले देशों की सूची मांगी गई है। निर्यात में कौन सा देश कितनी छूट देगा इसके बारे में भी जानकारी मांगी गई है।

- असलम महबूब, मानद सचिव अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ (एकमा)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.