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यूपी की इस लोकसभा सीट पर 'हैट्रिक' की तैयारी में BJP, कभी फूलन देवी ने सपा के टिकट पर दो बार दर्ज की थी जीत

Lol Sabha Election 1957 से 89 तक भदोही लाेकसभा सीट कांग्रेस का कब्जा था। इस सीट ने कांग्रेस को इस अवधि में छह सांसद दिए। इसके बाद भाजपा ने कब्जा जमा लिया। हालांकि बीच में तीन बार सपा तीन बार बसपा जनता दल के प्रत्याशी को भी यहां की जनता ने लोकसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी दी पर भाजपा के चार सांसद बने।

By Jitendra Upadhyay Edited By: Abhishek Pandey Published: Tue, 12 Mar 2024 12:43 PM (IST)Updated: Tue, 12 Mar 2024 12:43 PM (IST)
भदोही लोकसभा सीट पर भाजपा जीती तो होगी हैट्रिक

जागरण संवाददाता, भदोही। 1957 से 89 तक भदोही लाेकसभा सीट कांग्रेस का कब्जा था। इस सीट ने कांग्रेस को इस अवधि में छह सांसद दिए। इसके बाद भाजपा ने कब्जा जमा लिया। हालांकि बीच में तीन बार सपा, तीन बार बसपा, जनता दल के प्रत्याशी को भी यहां की जनता ने लोकसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी दी पर भाजपा के चार सांसद बने। इसमें तीन बार वीरेंद्र सिंह मस्त और वर्तमान में रमेश चंद बिंद हैं।

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2014 के चुनाव में भाजपा से वीरेंद्र सिंह मस्त चुनाव जीते थे, पर 2019 के चुनाव ने पार्टी ने प्रत्याशी बदल दिया और रमेशचंद बिंद पर दांव लगाया था। मोदी लहर में रमेशचंद्र बसपा प्रत्याशी से 46 हजार मतों के अंतर से जीते थे। यानि अब भाजपा इस सीट पर हैट्रिक लगाने की जुगत में है। चुनाव सामने हैं, ऐसे में राजनीतिक दलों ने चुनावी दंगल में बिसात बिछानी शुरू कर दी है। 

राजनीतिक हलचल हुई तेज

भदोही लोकसभा क्षेत्र में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। भाजपा ने सोशल इंजीनियरिंग को मजबूत कर इस सीट पर हैट्रिक लगाने को बिसात बिछा दी है। कई चक्रों में भाजपा गांव-गांव योजनाओं के जरिए अपनी बात पहुंचा चुकी है। वर्तमान में इस सीट से भाजपा के सांसद हैं।

लोकसभा क्षेत्र की पांच विधानसभा सीटों में ज्ञानपुर, हंडिया और प्रतापपुर बिंद बाहुल्य हैं, जबकि भदोही, औराई में ब्राह्मण व अन्य जातियों का दबदबा हे। ऐसे में पार्टी अपने वोट बैंक को और मजबूत करने कोई कसर नहीं छोड़ रही है। चुनावी चश्मे से देखा जाए तो जातीय समीकरण इस सीट पर मजबूत दिखाई पड़ता है।

सपा ने पीडीए (पिछड़ा, दलित व अल्पसंख्यक) के बीच जाकर पंचायत की है। उधर कांग्रेस ने भी केंद्र की नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोला है। वैसे चुनाव लड़ने वालों की हर दल में लंबी सूची है पर पार्टियां किस पर दांव लगाएंगी यह भविष्य बताएगा। 

किसी दल के पास नहीं है स्थानीय मुद्दा

चुनावों में पूर्व में स्थानीय मुद्दा होता था पर अब पार्टी इन्हें अपने एजेंडे में शामिल नहीं करतीं। पार्टी का जो एजेंडा होता है उसी को आधार बनाकर चुनाव लड़ा जा रहा है। चुनाव के दौरान स्थानीय मुद्दों पर जो वादे, घोषणाएं होती हैं वह चुनावी वर्ष में तेजी से चर्चाओं में आती हैं, इनमें एकाद पूरी हो जाएं तो वही उपलब्धि दिखती है अन्यथा दूसरे चुनाव में फिर से वही वादे होते हैं। 

2008 के पूर्व था मीरजापुर-भदोही क्षेत्र

परिसीमन के पूर्व भदोही लोकसभा सीट मीरजापुर-भदोही के नाम से थी। उस दौरान यहां पांच विधानसभा क्षेत्र में भदोही, ज्ञानपुर, औराई के अलावा मीरजापुर सदर व छानबे थी। 2008 में परिसीमन हुआ और 2009 में पहला लोकसभा चुनाव हुआ। इसमें भदोही, ज्ञानपुर, औराई के अलावा प्रयागराज की प्रतापपुर और हंडिया विधानसभा क्षेत्र शामिल हुए। 

1952 से अब तक लोकसभा क्षेत्र भदोही के यह रहे विजेता

वर्ष               विजेता            पार्टी

1952-57   जान एन विल्सन   कांग्रेस

1957-62  जान एन विल्सन    कांग्रेस

1962-67 श्यामधर मिश्र       कांग्रेस

1967-71 वंश नारायण सिंह   जनसंघ

1971    अजीज इमाम    कांग्रेस

1975 फकीर अली अंसारी जनता पार्टी

1980-84  अजीज इमाम बेग   कांग्रेस

1984-89 अजीज इमाम बेग   कांग्रेस

1989-91 युसुफ बेग        जनता दल

1991-96  वीरेंद्र सिंह मस्त भाजपा

1996-98 फूलन देवी    सपा

1998-99  वीरेंद्र सिंह मस्त भाजपा

1999-2001 फूलन देवी  सपा

2002-2004 रामरति बिंद सपा

2004-2007 नरेंद्र कुशवाहा बसपा

2007-2009  रमेश दुबे    बसपा

2009-2014 गोरखनाथ पांडेय बसपा

2014-2019 वीरेंद्र सिंह मस्त भाजपा

2019- अब तक रमेश बिंद भाजपा

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