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Mukhtar Ansari: बुंदेलखंड में 50 ‘अपनों’ की निगरानी में था माफिया, तीन साल में अपनी सुरक्षा पर उड़ाए इतने करोड़ रुपए

Mukhtar Ansari Death मुख्तार अंसारी ने जेल के अंदर बंदीरक्षकों बाहर पीएसी और पुलिस की सुरक्षा के अलावा लगभग 50 गुर्गों को पाल रखा था। वो बड़ी कारों से जेल से लेकर अदालत में पेशी अस्पताल आने-जाने या मुलाकात के वक्त निगाह रखते थे। बांदा जेल में आने से मृत्यु के बीच लगभग तीन साल में उसने इन पर 3.60 करोड़ रुपए खर्च किए।

By Jagran News Edited By: Vinay Saxena Published: Tue, 02 Apr 2024 12:26 PM (IST)Updated: Tue, 02 Apr 2024 12:26 PM (IST)
बांदा जिला जेल में आने के बाद मुख्तार ने अपने गुर्गों की फौज खड़ी कर ली थी।

शिवा अवस्थी, बांदा। कभी पानी, पकड़, पलायन, कट्टा और फट्टा (जुआ) की विभीषिका से जूझते बुंदेलखंड में इनामी बदमाशों व डाकुओं की अकड़ दूर कर देने वाली बांदा जिला जेल में आने के बाद मुख्तार ने अपने गुर्गों की फौज खड़ी कर ली थी। वो और चित्रकूट जेल में बंद रहा उसका बेटा, 50 ‘अपनों’ की निगरानी में रहे।

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बांदा-चित्रकूट से फतेहपुर तक इनका जाल फैला था, जबकि प्रयागराज व गाजीपुर से सीधी निगरानी रखी जाती रही। बांदा जेल में आने से मृत्यु के बीच लगभग तीन साल में उसने इन पर 3.60 करोड़ रुपए खर्च किए। जेल सूत्रों के अनुसार, अप्रैल 2021 में पंजाब के रोपड़ जिले की रूपनगर जेल से बांदा लाए जाने के बाद माफिया मुख्तार ने प्रदेश में योगीराज की सख्त कानून-व्यवस्था के सामने घुटने टेक दिए थे।

जेल के अंदर 50 गुर्गाें को पाल रखे था मुख्‍तार    

जेल के अंदर बंदीरक्षकों, बाहर पीएसी और पुलिस की सुरक्षा के अलावा उसने लगभग 50 गुर्गों को पाल रखा था। वो बड़ी कारों से जेल से लेकर अदालत में पेशी, अस्पताल आने-जाने या मुलाकात के वक्त निगाह रखते थे। चित्रकूट जेल में बंद रहा बेटा अब्बास और उसकी पत्नी निखत के लिए व्यवस्था करते रहे। गुर्गे बांदा के मर्दननाका, खुटला, मड़िहा नाका, खाईंपार, अलीगंज, चित्रकूट के कर्वी कस्बा, बबेरू के औगासी, फतेहपुर के गाजीपुर में ठिकाना बनाए थे। तत्कालीन एसपी अभिनंदन के कार्यकाल में जेल के आसपास घरों में गुर्गों के रहने की बात सामने आने पर सघन पड़ताल तक कराई गई थी।

ये किराएदार के रूप में पहचान छिपाकर रहते थे। माफिया की बीमारी पर जेल से मेडिकल कालेज तक शार्प शूटर गुर्गों की निगाह थी। गुरुवार रात से सुबह तक मेडिकल कालेज में पोस्टमार्टम हाउस के पास वह डटे रहे। मुख्तार हर महीने इन पर 10 लाख रुपये खर्च करता था। ये धनराशि बेटों और भाई के जरिए भेजने की बात सामने आई है। जेल में सुविधाओं के लिए भी कुछ को रकम भेजी जाती थी पर सख्ती के कारण उसकी नहीं चली। प्रशासनिक कार्यों में लापरवाही के चलते जेलर, दो डिप्टी जेलर समेत नौ जेल कर्मी माफिया के यहां आने के बाद निलंबित हो चुके हैं। कुछ गुर्गे ऐसे भी रहे, जो जेल तक पहुंच बनाए रहे। इनका नियंत्रण गाजीपुर से माफिया के स्वजन करते थे।

चित्रकूट में दर्ज हुआ था मुकदमा, निलंबन भी

चित्रकूट जिला जेल में अवैध ढंग से मिलाई के मामले में विधायक अब्बास, उसकी पत्नी निखत व नियाज, जेल अधीक्षक अशोक कुमार सागर, जेलर संतोष कुमार, वार्डर जगमोहन समेत सात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ था। कर्वी कोतवाली में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम समेत विभिन्न संगीन धाराएं लगी थीं। जेल अधीक्षक समेत आठ कर्मी निलंबित हुए थे। अब्बास की पत्नी निखत, चालक नियाज, स्थानीय मास्टरमाइंड सपा जिला महासचिव फराज, कैंटीन ठेकेदार नवीन सचान और डिप्टी जेलर चंद्रकला की गिरफ्तारी हुई थी।

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