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UP Politics : साइकिल पर जब हुआ सवार तब हाथी दिल्ली पहुंचा पहली बार, गठबंंधन में पहली बार चखा था जीत का स्वाद

अब तक लोकसभा के 17 चुनाव हो चुके हैं। इन चुनावों में से बहुजन समाज पार्टी ने 1989 में पहली बार अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा। उस समय बलरामपुर लोकसभा सीट थी। पहले चुनाव में बसपा ने पूजाराम को चुनावी समर में उतारा था। पूजाराम को मात्र 8365 मत मिले थे। भाजपा कांग्रेस समेत कुल 10 उम्मीदवारों में बसपा को छठा स्थान मिला था।

By Amit Srivastava Edited By: Mohammed Ammar Published: Sun, 31 Mar 2024 09:06 AM (IST)Updated: Sun, 31 Mar 2024 09:06 AM (IST)
UP Politics : साइकिल पर जब हुआ सवार तब हाथी दिल्ली पहुंचा पहली बार

लोकसभा चुनाव में श्रावस्ती की जनता ने सभी दलों को मौका दिया। भाजपा, कांग्रेस, सपा व निर्दल प्रत्याशी के समर्थन में दिल खोलकर वोट किए। इन सबके बीच बहुजन समाज पार्टी जनता का दिल जीतने में कभी कामयाब नहीं हो पाई। हर बार बसपा प्रत्याशी मजबूत दावेदारी के साथ मैदान में तो उतरे, लेकिन कमल, पंजा व साइकिल के आगे हाथी को शिकस्त मिलती रही। 

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वर्ष 2019 में जब हाथी ने साइकिल की सवारी की, तो उसे पहली बार दिल्ली पहुंचने का मौका मिल गया। सपा-बसपा गठबंधन होने पर बसपा के राम शिरोमणि वर्मा विजयी हुए थे। यहां के पहले बसपा सांसद के रूप में उन्हें संसद की सीढियां चढ़ने का अवसर मिला। इस बार का चुनावी समर शुरू होते ही उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया। इस बार बसपा किस पर दांव लगाती है। इसपर सभी की नजर है। बलरामपुर से अमित श्रीवास्तव की रिपोर्ट...

1989 में पहली बार मैदान में उतरा प्रत्याशी

अब तक लोकसभा के 17 चुनाव हो चुके हैं। इन चुनावों में से बहुजन समाज पार्टी ने 1989 में पहली बार अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा। उस समय बलरामपुर लोकसभा सीट थी। पहले चुनाव में बसपा ने पूजाराम को चुनावी समर में उतारा था। पूजाराम को मात्र 8365 मत मिले थे। भाजपा, कांग्रेस समेत कुल 10 उम्मीदवारों में बसपा को छठा स्थान मिला था। इस चुनाव में निर्दल प्रत्याशी मुन्न खां ने (1,75,578) मत लेकर भाजपा के सत्यदेव सिंह (1,46,272) को हराकर जीत दर्ज की थी।

उतार चढ़ाव वाला रहा चुनावी समर 

1989 से शुरू हुआ बसपा का लोकसभा चुनाव का सफर काफी उतार चढ़ाव वाला रहा है। पहले चुनाव में छठे स्थान पर रहने वाली बसपा ने चुनाव दर चुनाव प्रदर्शन में सुधार करती रही, लेकिन जीत के लिए 30 साल तक संघर्ष करना पड़ा। 1991 के चुनाव में पांचवां, 1996 में चौथा, 1998 व 1999 में तीसरे नंबर पर रही। 2004,2009 के चुनावी दंगल में बसपा उम्मीदवार लगातार दूसरे स्थान पर रहे। हालांकि 2014 के चुनाव में मतदाताओं ने फिर से तीसरे स्थान पर धकेल दिया।

पहली बार चखा जीत का स्वाद

2009 में श्रावस्ती लोकसभा सीट बनी। इसके बाद 2019 में सपा-बसपा गठबंधन में बसपा ने पहली बार जीत का स्वाद चखा। गठबंधन में श्रावस्ती सीट बसपा के खाते में गई। बसपा ने 2014 में अंबेडकरनगर के लालजी वर्मा को मिले मतों के आधार पर अंबेडकरनगर के ही राम शिरोमणि वर्मा पर दांव लगाया। इस दांव में बसपा सफल भी रही। रामशिरोमणि वर्मा ने दद्दन मिश्र को 5320 मतों से हरा कर भाजपा के खाते से सीट हथिया ली।


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