UP Travel Series: बाघ का प्राकृत निवास, पक्षियों की 400 से ज्यादा प्रजातियां... सोहेलवा जंगल की मोहक नैसर्गिक छटा मोह लेगी मन
सोहेलवा पक्षियों की दृष्टि से भी काफी समृद्ध जंगल है। यहां बड़े पैमाने पर विदेशी परिंदे अपना आशियाना बनाकर प्रजनन करते हैं। गत वर्ष देश ही नहीं दुनिया के तमाम पक्षी विशेषज्ञों ने सोहेलवा वन्यजीव प्रभाग में एकत्र होकर पक्षियों का सर्वे किया था। सोहेलवा में पक्षियों की करीब 400 प्रजातियां पाई जाती हैं। इसमें कुछ दुर्लभ पक्षी भी शामिल हैं।
अमित श्रीवास्तव, बलरामपुर। समय के साथ पर्यटन भी बदल रहा है। चिड़ियाघर में कैद जानवरों को मूंगफली खिलाकर उत्साहित होने वालों को जंगल की सैर अधिक रोमांचित करती है। ऐसा ही रोमाचं पाने के लिए लिए आपको नेपाल सीमा से सटे बलरामपुर जिले तक आना होगा। यहां जैव विविधता को संजोए सोहेलवा जंगल की वादियां आपके मन को छू लेंगी।
452 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग की प्राकृतिक आबोहवा, हरियाली और खूबसूरती सभी को लुभाती है। यहां टाइगर की दहाड़ और पक्षियों की 400 प्रजातियों कलरव एक साथ गूंजती है। अंग्रेजों के समय बंगाल टाइगर के प्राकृत वास के रूप में विख्यात सोहेलवा एक बार फिर पर्यटन के क्षेत्र में ख्याति बटोर रहा है।
यहां लोग हिरन, तेंदुआ, टाइगर, भालू समेत 7768 वन्यजीवों का दीदार कर सकते हैं। साथ ही नेपाल में हिमालय की पर्वत श्रृंखला का अलग ही रोमांच मिलेगा। जंगल के साथ ही 51 शक्तिपीठों में से एक देवी पाटन मंदिर तुलसीपुर में मां पाटेश्वरी के पावन धाम में अभिभूत होने का लाभ मिलेगा।
सोहेलवा पक्षियों की दृष्टि से भी काफी समृद्ध जंगल है। यहां बड़े पैमाने पर विदेशी परिंदे अपना आशियाना बनाकर प्रजनन करते हैं। गत वर्ष देश ही नहीं दुनिया के तमाम पक्षी विशेषज्ञों ने सोहेलवा वन्यजीव प्रभाग में एकत्र होकर पक्षियों का सर्वे किया था। सोहेलवा में पक्षियों की करीब 400 प्रजातियां पाई जाती हैं। इसमें कुछ दुर्लभ पक्षी भी शामिल हैं।
प्रभागीय वनाधिकारी डॉ एम सेम्मारन का कहना है कि वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए गए हैं। लंबित योजनाओं की स्वीकृति के लिए प्रयास चल रहा है।
जब उत्तरी यूरोप में ठंड की अधिकता से पानी जम जाता है, तब मध्य एशिया के मेहमान पक्षी पिनटेल, कामनक्रट, मध्य यूरो के गैंडेवाल, कामनटील, तिब्बत व लद्दाख के ब्रहमनी डक व दक्षिण साइबेरिया के नीलसर व लालसर पक्षी भारत की ओर रुख करते हैं।
प्रभाग में दिखने वाले वन्यजीवों में भालू भी हैं। इसमें नर, मादा और बच्चे भी हैं। इससे इनकी संख्या में बढ़ोतरी भी हो रही है।
तेंदुआ : 116
फिसिंग कैट : 41
हिरन : 30
वनरोज : 361
घुरल : 15
सांभर : 119
चीतल : 400
बारासिंहा : 107
काकड : 21
भालू : 14
जंगली सुअर : 748
बंदर : 2664
लंगूर : 1404
भेडिया : 79
लकड़बघ्घा : 86
लोमड़ी : 142
सियार : 636
मोर : 224
वन गाय : 161
जंगली बिल्ली : 61
बिज्जू : 82
सही : 158
गोह : 95
अन्य : चार
ऐसे पहुंचें सोहेलवा
लखनऊ चौधरी चरण सिंह हवाई अड्डा से श्रावस्ती के लिए सीधी उड़ान है। यहां उतरने के बाद बस या निजी टैक्सी से 18 किमी की दूरी तय कर बलरामपुर पहुंचा जा सकता है। यहां से देवीधाम तुलसीपुर व सोहेलवा पहुंचने के लिए ट्रेन, रोडवेज, निजी बस समेत टैक्सी कर सकते हैं।
तुलसीपुर से सोहेलवा जंगल तक पहुंचने के लिए निजी वाहन का सहारा लेना पड़ता है। साथ ही ट्रेन या सड़क मार्ग से लखनऊ से सोहेलवा जंगल पहुंचने के लिए पहले तुलसीपुर आना होगा। लखनऊ से तुलसीपुर की दूरी करीब 190 किलोमीटर है। तुलसीपुर तक सफर करने के लिए ट्रेन, रोडवेज एवं निजी बस की सुविधा है।
गेस्ट हाउस में विश्राम कर पर्यटन का लें आनंद
भांभर, वीरपुर, जनकपुर, जरवा, नंदमहरा, पिपरा व श्रावस्ती के पूर्वी सोहेलवा में गेस्ट हाउस हैं। इनमें ठहरने के लिए वन विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है। जंगल के बीच बने इन गेस्ट हाउस में रुककर सोहेलवा की वादियों का पर्यटक आनंद लेते हैं। वहीं बरहवा रेंज का जलजलवा फार्म पर्यावरण व वन्यजीव संरक्षण की इबारत लिख रहा है।
सेवानिवृत्त बैंक प्रबंधक राना प्रताप सिंह ने अपने जलजलवा फार्म में 15 वर्ष पूर्व तालाब का निर्माण कराया था, जो आज वन्यजीवों की प्यास बुझा रहा है। हिरनों के झुंड को यहां पानी पीते आसानी से देखा जा सकता है। इससे प्रभावित होकर वन विभाग ने यहां इको-फ्रेंडली काटेज निर्माण कराया है।
इन्क्रेडिबल इंडिया एंड ब्रेकफास्ट योजना के तहत पंजीकृत होम स्टे में चयनित है। सोहेलवा की मनमोहक छटा का आनंद लेने आए पर्यटक इस काटेज में विश्राम कर प्रकृति की गोद में रोमांचक अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।