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Dowry in Islam : कांफ्रेंस में बोले मौलाना, कहा- दहेज लेने और देने की प्रथा इस्लाम का हिस्सा नहीं

बता दें कि बौड़िहार के मौलाना समशीर मदनी ने कहा कि दहेज लेने और देने की प्रथा इस्लाम का हिस्सा नहीं है। हालांकि यह वास्तव में कई मुस्लिम संस्कृतियों में बढ़ रही है जो बहुत निंदनीय है। लोगों से शादी में होने वाली फिजूलखर्ची को छोड़ने मस्जिदों में सादगी से निकाह करने और दहेज लेनदेन को पूरी तरह छोड़ने का आह्वान किया।

By Amit Srivastava Edited By: Mohammed Ammar Published: Thu, 15 Feb 2024 08:37 PM (IST)Updated: Thu, 15 Feb 2024 08:37 PM (IST)
Dowry in Islam : कांफ्रेंस में बोले मौलाना, कहा- दहेज लेने और देने की प्रथा इस्लाम का हिस्सा नहीं

संवादसूत्र, उतरौला (बलरामपुर) : जमीअतुश्शुब्बान कमेटी अहले हदीस द्वारा एमवाई उस्मानी इंटर कालेज परिसर में आयोजित इसलाह-ए-उम्मत कांफ्रेंस में धर्मगुरुओं ने नमाज, प्यार और इंसानियत पर प्रकाश डाला। इटावा के मौलाना जरजीस सिराजी ने कहा कि पूरी दुनिया इंसानियत पर टिकी है। इंसानियत से दिलों को जीता जा सकता है। इंसान अल्लाह के बंदे हैं और वह सभी बंदे से बेइंतहा प्यार करता है। इसलिए इंसान को इंसान से मोहब्बत करते हुए एक दूसरे के सुख दुख का साथी बनना चाहिए।

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मौलाना बोले- कोई दुखी है तो उसकी मदद करें

कहा कि अल्लाह और अल्लाह के रसूल के फरमान पर जो भी चला उसकी हर मुश्किल आसान हुई है। कहा कि नबी ने जिंदगी में दुखियों की मदद कर जो पैगाम दिया उसका पालन करने की जरूरत है। उन्होंने यह नसीहत दी कि कोई दुखी हो तो उसकी मदद करें। अल्लाह ने अगर किसी को दौलत से नवाजा है तो उसका फर्ज बनता है कि वह अपने पड़ोसियों, गरीबों का ख्याल रखें। जीवन में कितनी भी परेशानी व तकलीफ आए, लेकिन हमेशा सच का साथ दें।

बौड़िहार के मौलाना समशीर मदनी ने कहा कि दहेज लेने और देने की प्रथा इस्लाम का हिस्सा नहीं है। हालांकि यह वास्तव में कई मुस्लिम संस्कृतियों में बढ़ रही है जो बहुत निंदनीय है। लोगों से शादी में होने वाली फिजूलखर्ची को छोड़ने, मस्जिदों में सादगी से निकाह करने और दहेज लेनदेन को पूरी तरह छोड़ने का आह्वान किया।

मुंबई से आए मौलाना हाफिज अब्दुर्रब, मौलाना काजी इस्माईल फैजी ने भी संबोधित किया। कांफ्रेंस की अध्यक्षता मौलाना अब्दुल सत्तार सिराजी ने की। हाफिज अब्दुल अहद सिराजी, अनवारुल्लाह, कमेटी सदस्य मलिक अब्दुल कादिर बब्बू, गुल हमीद, अल्ताफ अहमद, मौलाना अब्दुल लतीफ सलफी, मौलाना नूरुद्दीन मदनी, मास्टर अब्दुरर्हमान सिद्दीकी, खेसाल सिद्दीकी, तबरेज, जब्बार सिद्दीकी, अब्दुल्लाह, हसीन, अखलाक, सलमान, अदनान, आरिफ समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।


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