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Lok Sabha Election 2024: यूपी में सपा-कांग्रेस गठबंधन की एकजुटता पर उठ रहे सवाल, फीका दिख रहा प्रचार

Lok Sabha Election 2024 बहराइच जिले में लोकसभा चुनाव में ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब सामान्य से सुरक्षित सीट होने के बाद भी एक बार विजय का स्वाद चख चुकी कांग्रेस पहली बार मैदान से गायब है जबकि लगातार विजय का इंतजार कर रही समाजवादी पार्टी मुकाबले में उतरी है। 2009 में पहली बार यहां से कांग्रेस के कमल किशोर ने विजय पताका फहराई थी।

By Jagran News Edited By: Swati Singh Published: Sat, 20 Apr 2024 01:55 PM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2024 01:55 PM (IST)
यूपी में सपा-कांग्रेस गठबंधन की एकजुटता पर उठ रहे सवाल, फीका दिख रहा प्रचार

 मुकेश पांडेय, बहराइच। लोकसभा चुनाव के लिए अब जब नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और भाजपा के मुकाबले के लिए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया है तो उसकी एकजुटता भी कसौटी पर है।

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बहराइच जिले में लोकसभा चुनाव में ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब सामान्य से सुरक्षित सीट होने के बाद भी एक बार विजय का स्वाद चख चुकी कांग्रेस पहली बार मैदान से गायब है, जबकि लगातार विजय का इंतजार कर रही समाजवादी पार्टी मुकाबले में उतरी है।

वर्ष 2009 में जीती थी कांग्रेस

इस संसदीय सीट के सुरक्षित होने के बाद 2009 में पहली बार यहां से कांग्रेस के कमल किशोर ने विजय पताका फहराई थी, हालांकि 2014 के चुनाव में पार्टी के पांव इस कदर उखड़े कि वह चौथे पायदान पर पहुंच गई। 2019 में कांग्रेस ने उम्मीदवार बदलकर भाजपा सांसद रहीं सावित्री बाई फुले को चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन उनके भी कदम चौथे पायदान से आगे न बढ़ सके। यही कारण है कि 2024 के चुनावी रण में कांग्रेस उतरने के बजाय सपा के ही पाले में सीट सौंपकर भाजपा को रोकने की अपनी जवाबदेही से मुक्त हो गई।

सपा और कांग्रेस ने कहा मजबूती से लड़ेगा गठबंधन

गठबंधन होने के बावजूद अभी तक दोनों दलों के बीच एक बार ही समन्वय बैठक हो सकी है। कांग्रेस के ज्यादातर नेता चुनाव मैदान में उतरने के बजाय अपने घरों में विश्राम कर रहे हैं, जबकि समाजवादी पार्टी अपने कार्यकर्ताओं के भरोसे ही चुनावी जंग का ताना बाना बुन रही है।

यही कारण है कि लोकसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस की जुगलबंदी अभी कहीं नजर नहीं आ रही है। ऐसे में उसका गठबंधन कसौटी पर देखा जा रहा है। हालांकि समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष रामहर्ष यादव दावा करते हैं कि उनका कांग्रेस नेताओं से निरंतर संवाद चल रहा है और उनका जमीनी स्तर पर सहयोग मिल रहा है।

सच्चे सिपाही की तरह जुटे हैं कार्यकर्ता

कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष मुस्तकीम सलमानी का कहना है कि पार्टी नेतृत्व ने गठबंधन किया है तो सच्चे सिपाही के रूप में पार्टी का कार्यकर्ता समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को जिताने के लिए पूरी ताकत लगा रहा है। चुनाव प्रचार धीमा होने के सवाल पर वह कहते हैं कि नामांकन होने के बाद चुनाव प्रचार में तेजी जाएगी।

ललन कुमार थे कांग्रेस से दावेदार

लखनऊ से ताल्लुक रखने वाले ललन कुमार यहां से लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार के रूप में दावेदारी कर रहे थे। 2009 में चूंकि कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज की थी। ऐसे में उन्हें ही नहीं, पार्टी नेताओं को उम्मीद थी कि यदि समझौते में 2009 की जीती हुई सीटें कांग्रेस के खाते में आईं तो उन्हें चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा, लेकिन समझौते में 2009 का चुनाव परिणाम आधार नहीं बन सका और समाजवादी पार्टी ने अपनी सुविधानुसार कांग्रेस को सीटें दी तो बहराइच को अपने ही पाले में रखना ज्यादा सुरक्षित समझा।

बहराइच में मतदाताओं पर एक नजर

  • महिला मतदाता- 8,63,058
  • पुरुष मतदाता-9,62,553
  • कुल मतदाता-18,25,673

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