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यूपी की इस सीट पर बसपा ने चला जातीय समीकरण का दांव, बिगड़ेगा भाजपा और सपा का खेल!

सपा-बसपा गठबंधन में सीट सपा के खाते में थी। भाजपा ने शाक्य तो सपा ने यादव कार्ड जबकि बसपा ने इस बार मुस्लिम कार्ड खेलकर दोनों दलों के सामने चुनौती पेश की। राजनीतिक जानकारों की मानें तो बसपा भाजपा और बसपा दोनों दलों के समीकरण बिगाड़ सकती है। पिछले चुनाव में बसपा के वोटरों का झुकाव भी भाजपा की तरफ हुआ थाक्योंकि बसपा का कोई उम्मीदवार मैदान में नहीं था।

By Kamlesh Kumar Sharma Edited By: Swati Singh Published: Wed, 17 Apr 2024 04:16 PM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2024 04:16 PM (IST)
यूपी की इस सीट पर बसपा ने चला जातीय समीकरण का दांव

जागरण संवाददाता, बदायूं। लोकसभा चुनाव के लिए बसपा ने मुस्लिम कार्ड खेल दिया है। पिछले चुनाव को छोड़ दें तो लगातार छह बार सपा की जीत की वजह मुस्लिम-यादव गठजोड़ बनता रहा है। पिछले चुनाव में बसपा के वोटरों का झुकाव भी भाजपा की तरफ हुआ था, क्योंकि बसपा का कोई उम्मीदवार मैदान में नहीं था।

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सपा-बसपा गठबंधन में सीट सपा के खाते में थी। भाजपा ने शाक्य तो सपा ने यादव कार्ड जबकि बसपा ने इस बार मुस्लिम कार्ड खेलकर दोनों दलों के सामने चुनौती पेश की है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो बसपा भाजपा और बसपा दोनों दलों के समीकरण बिगाड़ सकती है।

बदायूं सीट पर बसपा का ऐसा रहा हाल

बदायूं संसदीय सीट पर बसपा को कभी सफलता तो नहीं मिली है, लेकिन पिछले चुनावों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर प्रतिद्वंद्वी दलों को चुनौती देती आ रही है। जिले की राजनीति में वर्ष 1996 में बसपा ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। इस चुनाव में बसपा ने 1,52,803 वोट हासिल किया था। 1998 में हुए चुनाव में भी बसपा ने 1,04,718 वोट प्राप्त किए थे। 2004 के चुनाव में बसपा को 75,886 वोट हासिल हुए थे। जबकि 2009 के चुनाव में 2,01,202 वोट हासिल किया था। इसी तरह 2014 के चुनाव में बसपा को 1,56,973 वोट प्राप्त किया था। 2019 के चुनाव में सपा और बसपा का गठबंधन था और सीट सपा के खाते में गई थी।

बसपा ने बिगाड़ा सपा-बीजेपी का समीकरण

पिछले चुनावों के परिणाम पर नजर डालें तो बसपा की स्थिति को बहुत हल्के में नहीं लिया जा सकता। पिछले चुनाव में बसपा का उम्मीदवार मैदान में नहीं था तो गठबंधन की वजह से पार्टी के परंपरागत वोटरों में बंटवारा हो गया था। कुछ तो सपा के साथ गए थे, जबकि कुछ भाजपा के पक्ष में चले गए थे। सपा की ताकत यादव और मुस्लिम गठजोड़ है। इस बार बसपा ने मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। इसलिए दोनों दलों के लिए मुसीबत पैदा कर सकती है। बसपा प्रत्याशी मुस्लिम खां अपने बयान में खुद को सबसे बड़ा लोकल उम्मीदवार भी बता चुके हैं।

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