हौसले की उड़ान, जीत लिया मैदान
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं होता, एक बार तबीयत से पत्थर तो उछालो यार
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं होता, एक बार तबीयत से पत्थर तो उछालो यारो। किसी शायर की ये पंक्तियां मदर्स टच प्ले वे स्कूल के दिव्यांग छात्र मोहित बंसल पर सटीक बैठती हैं। परिजनों ने जिस बेटे से पढ़ाई कराने की उम्मीद ही छोड़ दी थी, उसने सीबीएसई की 10वीं की परीक्षा में 8.6 सीजीपी हासिल कर अचंभे में डाल दिया।
मोहित बचपन से ही दिव्यांग हैं। वे न तो हाथों से लिख सकते हैं, न मुंह से बोल सकते हैं। चलने-फिरने में भी दिक्कत होती है। बचपन से बेटे की हालात देख कर परिजनों को उम्मीद थी कि उसका पढ़ना मुश्किल होगा। मोहित ने अपनी इस कमजोरी को ताकत बना लिया। कड़ी मेहनत व लगन से पढ़ाई की। शिक्षकों ने भी पूरा सहयोग किया। समय-समय पर उन्हें अतिरिक्त कक्षाएं दी गईं। परीक्षा के दौरान मोहित की कॉपी भी दूसरे छात्र से लिखवाई गईं। परीक्षा में इस छात्र ने 8.6 सीजीपीए हासिल कर दूसरे दिव्यांगों के लिए उदाहरण पेश किया।
किसान के बेटे ने रखी शान
आमतौर पर सीबीएसई में शहर और कस्बों के छात्रों का ही दबदबा रहता था। अब गांव देहात के लाल भी बाजी मारने लगे हैं। शनिवार को आए 10वीं के परिणामों में एक किसान के बेटे ने 9.6 सीजीपीए हासिल किया है। खैर के गांव बामनी निवासी मयंक शर्मा जीडी पब्लिक स्कूल के छात्र हैं। उसके पिता किसान हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति भी ज्यादा ठीक नहीं है। मां गृहिणी हैं। बेटे को सीबीएसई स्कूल में पढ़ाना पिता के लिए मुश्किल काम था। इसका कारण अब तक गांव देहात के छात्र यूपी बोर्ड में पढ़ते आए हैं। मयंक पिता के फैसले पर खरा उतरा और मिशाल पेश की। उन्होंने दसवीं में 9.6 सीजीपीए प्राप्त की है।
टै्रक्टर चालक के
बेटे का कमाल
रामघाट रोड पर राजविहार कॉलोनी निवासी ललित जादौन ब्रिलियंट पब्लिक स्कूल में दसवीं के छात्र हैं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। पिता देवराज गोकुल बिल्डिंग मैटेरियल पर ट्रैक्टर चलाते हैं। इसी पगार से घर का खर्च चलता है। पिता की कमाई कम होने के कारण परिवार तमाम परेशानियां भी झेलता है, उसके बाद भी बेटे को सीबीएसई स्कूल में पढ़ाया। बेटा भी परिवार की उम्मीदों पर खरा उतरा और उसने दसवीं में 10सीजीपीए हासिल किया। ललित बताते हैं कि उन्होंने दिन-रात कड़ी मेहनत कर पढ़ाई की। शिक्षकों से भी पूरा सहयोग मिला। इसी के बूते 10 सीजीपीए हासिल किया। पिता का सपना ललित को इंजीनियर बनाना है। ललित भी आइआइटी से इंजीनिय¨रग करने के लिए तैयारियों जुटे हैं।