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ईश्वर प्राप्ति के लिए इन बातों को जीवन में जरूर करें आत्मसात: सद्गुरु

किसी लक्ष्य के बिना बस यहां रहना ही एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है। इसका मतलब सुस्त और शिथिल होना नहीं है। एक आध्यात्मिक प्रक्रिया का अर्थ है कि अभी जो कुछ भी हो रहा है उसके साथ गहरी भागीदारी के साथ होना लेकिन लक्ष्य के बिना। यदि आप इस तरह से यहां बैठने की हिम्मत रखते हैं कि “कल जो कुछ भी होगा मुझे मान्य है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Mon, 15 Apr 2024 04:53 PM (IST)Updated: Mon, 15 Apr 2024 04:53 PM (IST)
ईश्वर प्राप्ति के लिए इन बातों को जीवन में जरूर करें आत्मसात: सद्गुरु

नई दिल्ली, सद्गुरु (ईशा फाउंडेशन)। जीवन में हर कोई अपने सपनों को पूरा करने की सोचता है। आपका सपना जो कुछ भी हो, यह आपके अतीत का एक बढ़ा-चढ़ा रूप होता है। आप किसी ऐसी चीज का सपना नहीं देख सकते, जिसे आप जानते नहीं हैं। तो आप जो जानते हैं, उसी के आधार पर आपको भविष्य में क्या करना है, यह तय करते हैं। जब आप पहले से जो जानते हैं, उसी से अपना भविष्य तय करते हैं, तो एक तरह से आप यह सुनिश्चित कर लेते हैं कि आपके साथ कभी भी कुछ नया नहीं होगा। भविष्य के लिए ऐसे सपने एक संभावना नहीं हैं, बल्कि निराशा हैं। आप भविष्य में अतीत की तलाश कर रहे हैं। आप वास्तव में वापस लौट रहे हैं, लेकिन आपको लगता है कि आप आगे बढ़ रहे हैं।

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किसी लक्ष्य के बिना बस यहां रहना ही एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है। इसका मतलब सुस्त और शिथिल होना नहीं है। एक आध्यात्मिक प्रक्रिया का अर्थ है कि अभी जो कुछ भी हो रहा है, उसके साथ गहरी भागीदारी के साथ होना, लेकिन लक्ष्य के बिना। यदि आप इस तरह से यहां बैठने की हिम्मत रखते हैं कि “कल जो कुछ भी होगा, मुझे मान्य है, लेकिन अभी मैं जो कुछ भी कर रहा हूं, उसे मैं सबसे अच्छे ढंग से करूंगा," तो आप स्वाभाविक रूप से आध्यात्मिक होंगे।

कुछ साल पहले मैं कुछ साहसी लोगों के एक ग्रुप से मिला, जिन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटियों की चढ़ाई की थी। वे उत्तरी ध्रुव के पार चले गए, और उन्होंने सर्दियों में तीन महीने तक समुद्र के स्तर से बीस-बाईस हज़ार फीट की ऊंचाई पर चढ़ाई की। वे एक ऐसे स्थान पर रहना चाहते थे, जहां उन्हें पता न हो कि अगले क्षण क्या आ रहा है। वे मुझसे मिलने आए थे और हमारे एक स्वयंसेवक इनर इंजीनियरिंग कार्यक्रम के बारे में उन्हें बता रहे थे।

मैंने सिर्फ इन लोगों को देखा और मैं जान गया कि मुझे उनके साथ तीन दिन बर्बाद करने की आवश्यकता नहीं थी। मैंने उनसे कहा कि बस मेरे साथ बैठो और अपनी आंखें बंद कर लो, बस और कुछ नहीं। सब कुछ बस एक शब्द भी बोले बिना हुआ। उन्होंने अपने जीवन में आध्यात्मिकता के बारे में कभी सोचा नहीं था, वे केवल रोमांच चाहते थे। वे उस तरह से जीना चाहते थे, जहां वे नहीं जानते कि अगला पल क्या लाएगा।

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मुझे उन्हें कुछ भी सिखाने की आवश्यकता नहीं थी, मुझे बस उन्हें प्रज्वलित करना था, क्योंकि वे पहले ही अच्छी तरह से तैयार थे। उनके शरीर अच्छे और स्वस्थ थे, दिमाग खुला हुआ था और किसी भी चीज के लिए तैयार था। बस इतने की ही आवश्यकता है। सहज रूप से रहने के लिए आप सृष्टा में विश्वास करके रह सकते हैं। सृष्टा पर भरोसा करने का अर्थ यह नहीं है कि आप भगवान से बात करते रहें।

आप जहां भी बैठे हैं, आराम से हैं, इसी को विश्वास कहते है। क्योंकि ऐसी घटनाएं हुई हैं कि धरती फटी और उसने लोगों को निगल लिया। ऐसी घटनाएं हुई हैं कि आकाश से कुछ गिर गया और उन्हें कुचल कर मार डाला। ऐसी परिस्थितियां भी हुई हैं कि जिस हवा में लोगों ने सांस ली, उसी ने उनकी जान ले ली। यह गोल ग्रह तीव्र गति से घूम रहा है और सौरमंडल और आकाशगंगा की यात्रा कर रहा है।

मान लीजिए कि धरती मां अचानक विपरीत दिशा में घूमना शुरू कर दें, तो आप जहां अभी बैठे हैं, वहां से उड़ जाएंगे। यहां आराम से बैठने, मुस्कुराने, सुनने या बात करने के लिए, आपको भरोसे की आवश्यकता है - बहुत सारा विश्वास। आध्यात्मिक प्रक्रिया में यह एक मौलिक कदम है। आप कल के लिए तत्पर हैं। यह कुछ भी हो सकता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह क्या है, आप इसके लिए तत्पर हैं। यह जीवन के लिए एक स्वछंद उत्साह है।


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