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चित्रकूट, जहां कण-कण में बसे हैं तुलसी के राम

चित्रकूट आध्यात्मिक और धार्मिक आस्था का केंद्र है। यहां पर कण-कण में राम बसे हैं। तो आइए चलिए निकलते हैं चित्रकूट की सैर पर..

By abhishek.tiwariEdited By: Published: Fri, 19 May 2017 11:55 AM (IST)Updated: Fri, 19 May 2017 11:55 AM (IST)
चित्रकूट, जहां कण-कण में बसे हैं तुलसी के राम
चित्रकूट, जहां कण-कण में बसे हैं तुलसी के राम

रामघाट :

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चित्रकूट के घाट में भई संतन की भीर तुलसीदास चंदन घिसे तिलक देय रघुवीर।। गोस्वामी तुलसीदास ने रामघाट पर भगवान श्रीराम के दर्शन किए थे। यह घाट आज आधुनिकता से रंगा है पूरा घाट लाल पत्थर के बने है लेकिन घाट पर प्राचीन मंदिर भी देखे जा सकते है। चित्रकूट आएं तो रामघाट आना न भूलें।

हनुमान धारा :

जहां प्रभु श्रीराम का वास हो वहां पर उनके भक्त हनुमान तो रहेंगे ही। चित्रकूट में सबसे प्रसिद्ध स्थल हनुमान धारा का विशेष महत्व है। यहां पर श्री हनुमान जी को वह सुख और शांति मिली थी जो पूरे ब्राह्मांड में हासिल नहीं हुई। यहां पर भक्‍तों का काफी जमावड़ा लगता है। 

जानकी कुण्‍ड :

रामघाट से 2 किलोमीटर दूर जानकी कुण्‍ड की काफी महत्‍ता है। मंदाकिनी नदी के किनारे जानकी कुण्ड स्थित है। नदी के नीले पानी और हरे-भरे पेड़ों से यह स्थान बहुत ही सुरम्य लगता है। जानकी कुंड तक जाने के दो रास्ते हैं एक तो आप यहाँ नाव के जरिए पहुँच सकते हैं और दूसरे आप हरियाली देखते हुए सड़क मार्ग से भी जा सकते हैं।

स्‍फटिक शिला :

यह विशाल शिला चित्रकूट के दक्षिण में घने जंगली क्षेत्र में स्थित है। माना जाता है कि इस शिला में भगवान राम के पैरों के निशान मुद्रित हैं। मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित यह शिला जानकी कुंड से कुछ दूरी पर है। मंदाकिनी के किनारे स्फटिक शिला पर बैठकर भगवान राम और मां सीता चित्रकूट की प्राकृतिक सुंदरता को निहारा करते थे।

भरत मिलाप मंदिर :

कामदगिरि परिक्रमा मार्ग में एक प्रमुख स्थान भरत मिलाप मंदिर है। कहा जाता है कि यहीं भरत जी भगवान श्री राम से मिलने आए थे। कहा जाता है कि पत्थर ने भाई-भाई के प्रेम को देखकर अपनी जड़ता छोड़ दी थी। जिससे दोनों भाई के पद चिंह बन गए थे जिनके दर्शन आज भी किए जा सकते है।

कब करे सैर

चित्रकूट की सैर तो वैसे किसी भी माह में की जा सकती है लेकिन आठ माह आस्था व प्रकृति की संगम स्थली के लिए मुरीद है। जुलाई से फरवरी तक यहां का मौसम सैर सपाटा के अनुकूल रहता है। विंध्य पर्वत में हरियाली रहती है तो झरने कल-कल बहते रहते है। बरसात के दिनों में शबरी जलप्रपात अदभुद छटा को बिखेरता है। जिसका नजारा कुछ अलग ही है।

कैसे पहुंचे चित्रकूट

चित्रकूट से 8 किलोमीटर की दूरी चित्रकूटधाम कर्वी निकटतम रेलवे स्टेशन है। इलाहाबाद, जबलपुर, दिल्ली, झांसी, हावड़ा, आगरा, मथुरा, लखनऊ, कानपुर, ग्वालियर, झांसी, रायपुर, कटनी, मुगलसराय, वाराणसी आदि शहरों से यहां के लिए रेलगाडिय़ां चलती हैं। चित्रकूट के लिए इलाहाबाद, बांदा, झांसी, महोबा, कानपुर, छतरपुर, सतना, फैजाबाद, लखनऊ, मैहर आदि शहरों से नियमित बस सेवाएं हैं।


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