संघर्ष का नाम है ¨जदगी : पं. जोशी
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब मंजिल मिले न मिले ये तो मुकद्दर की बात है, हम कोशिश भी न करें ये त
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब
मंजिल मिले न मिले ये तो मुकद्दर की बात है, हम कोशिश भी न करें ये तो गलत बात है। वक्त को मरहम बनाना सीख लो। हारना तो है एक दिन मौत से, फिलहाल ¨जदगी जीना सीख लो..। अर्थात मंजिल की परवाह न करते हुए ¨जदगी के साथ संघर्ष करते रहना चाहिए। ¨जदगी को जीने की कला जिसे आ गई, समझो उसका जीवन सफल हो गया। ये विचार गांव कान्यावाली में पंडित पूरन चन्द्र जोशी ने व्यक्त किए।
जोशी ने कहा कि मनुष्य को कल की फिक्र में ¨चताग्रस्त होने की बजाए आज को अच्छे से बिताना चाहिए, क्योंकि जो दौर एक बार बीत गया वो दोबारा नहीं आता। इसलिए कल की ¨चता न करते हुए अपने आज को संवारें। पं. जोशी ने कहा कि 'जिन्हें फिक्र थी कल की, वो रोए रात भर.,जिन्हें यकीन था अपने परमात्मा पर, वो चैन की नींद सोए रात भर। अर्थात कल की ¨चता करने की बजाए परमात्मा के भजन-सिमरन में ध्यान लगाओगे तो भगवान की कृपा से रात को चैन की नींद सो सकोगे। अगर व्यर्थ में आने वाले कल की ¨चता करते रहोगे तो जीवन को तनाव ग्रस्त बना लोगे। इसलिए व्यर्थ की ¨चताएं छोड़ जीवन को हंसी-खुशी बिताएं। पं. जोशी ने परिवार की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परिवार से बड़कर बड़ा धन कोई नहीं होता। जिस परिवार में लोग एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहते हों, वह स्वर्ग समान होता है। वहां कभी धन्य-धान्य की कमी नहीं आती। पिता से बड़ा कोई सलाहकार और मां की ममता की छांव से बड़ी कोई दुनिया नहीं होती। बच्चों को अपने माता-पिता की सेवा में जीवन बिताना चाहिए।