मुक्तसर जिले के शिक्षकों में निराशा का आलम
सुभाष चंद्र, श्री मुक्तसर साहिब ऐसा शायद पहली बार हुआ है कि शिक्षक दिवस पर राज्य के मुख्यमंत्री प
सुभाष चंद्र, श्री मुक्तसर साहिब
ऐसा शायद पहली बार हुआ है कि शिक्षक दिवस पर राज्य के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के गृह जिला श्री मुक्तसर साहिब के एक भी शिक्षक को राज्य पुरस्कार प्राप्त नहीं हुआ है। ऐसा होने पर जिले भर के शिक्षकों में जहां निराशा का आलम है, वहीं राज्य सरकार की इस पुरस्कार के लिए चयन समिति के खिलाफ गुस्सा भी है। साथ ही राज्य के शिक्षा मंत्री डॉ.दलजीत सिंह चीमा के जिले से आठ शिक्षकों को इस पुरस्कार के लिए चुने जाने पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। गौरतलब है कि जिले से जिला शिक्षा अधिकारी(डीईओ) दविंदर कुमार राजौरिया को ही स्पेशल पुरस्कार के लिए चुना गया है।
उल्लेखनीय है कि राज्य पुरस्कार के लिए इस बार जिले से सात अध्यापकों ने अपने केस भेजे थे। इनमें सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, बादल के गणित मास्टर राम सिंह, सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, चन्नू के प्रिंसिपल बलजीत सिंह, सरकारी हाई स्कूल, दौला के हेड मास्टर सुभाष कुमार, सरकारी हाई स्कूल, सुखना अबलू के हेड मास्टर बलवंत सिंह, सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल, मुक्तसर की प्रिंसिपल नीलम बाला, सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल हरिके कलां के प्रिंसिपल कपिल कुमार तथा वड़िंग के सरकारी प्राइमरी स्कूल की ईटीटी शिक्षिका राजबीर कौर शामिल हैं। नाम न छापने की शर्त पर कुछ शिक्षकों ने कहा कि क्या राज्य सरकार को मुक्तसर जिले से एक भी शिक्षक को इस पुरस्कार के लिए योग्य नहीं पाया, जबकि इनमें से हरेक शिक्षक ने उल्लेखनीय कार्य है। कुछ शिक्षकों ने राज्य के शिक्षा मंत्री डॉ.दलजीत सिंह चीमा के जिले के शिक्षकों को सबसे अधिक राज्य पुरस्कार देने पर सवाल उठाए। बेशक डीईओ राजौरिया को प्रदेश के पांच स्पेशल राज्य पुरस्कारों में एक राज्य पुरस्कार के साथ नवाजा जा रहा है, लेकिन एक भी शिक्षक का इस पुरस्कार के लिए चयन होने पर उन्हें भी गहरी हैरानी है।