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Mahashivratri 2024: पंजाब में जुड़वा शिवलिंग का खास महत्व, ब्रह्मा-विष्णु के युद्ध से जुड़ी ये रोचक कहानी

Mahashivratri Series 2024 हिमाचल-पंजाब सीमा पर मीरथल से मात्र तीन किमी दूर छोंछ खड्ड और व्यास नदी के किनारे पर विराजमान अद्भुत जुड़वां शिवलिंग वाला काठगढ़ महादेव शिवालय लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहां महाशिवरात्रि के अवसर पर विशाल मेला लगता है और सावन महीने में हर समय श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। तो आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़े कुछ खास तथ्य...

By hazari lal Edited By: Deepak Saxena Published: Mon, 04 Mar 2024 06:00 PM (IST)Updated: Mon, 04 Mar 2024 07:33 PM (IST)
पंजाब में जुड़वा शिवलिंग का खास महत्व।

सरोज बाला, दातारपुर। हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व होता है। हर शिव भक्त के लिए ये दिन बेहद ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये 8 मार्च को मनाई जाएगी। ऐसे में हिमाचल और पंजाब सीमा गांव मीरथल से तीन किमी दूर जुड़वा शिवलिंग का विशेष महत्व है। तो आइए जानते हैं इस महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2024) जानते हैं इस शिवलिंग से जुड़ी कुछ खास बातें...

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काठगढ़ में ऐतिहासिक शिव मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। यह मंदिर जालंधर-पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग के गांव मीरथल से चार किलोमीटर की दूरी पर, इंदौरा से चार किमी तथा पठानकोट से बस मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है, यह एक ऊंचे टीले पर नदी के किनारे स्थित है।

शिवलिंग को लेकर है भक्तों की विशेष आस्था

मंदिर में विशाल शिवलिंग है, जो दो भागों में विभाजित है। उसको मां पार्वती और भगवान शिव के दो रूपों में माना जाता है। इस शिवलिंग की विशेषता ये है कि ग्रहों और नक्षत्रों के अनुरूप इन दोनों भागों के बीच अंतर घटता व बढ़ता रहता है। माता पार्वती और उनका प्रिय सांप भी स्वयं-भू प्रकट है। ग्रीष्म ऋतु में यह स्वरूप दो भागों में बंट जाता है और शिवरात्रि के दिन यह दोबारा एकरूप धारण कर लेता है।

लोगों में मशहूर हैं ये दंत कथाएं

स्वयं प्रकट हुए इस शिवलिंग का इतिहास भी दंत कथाओं किवदंतियों और पुराणों से जुड़ा होने के कारण शिव भक्तों में भक्ति का संचार करता है। मंदिर के बारे में शिवपुराण में भी प्रसंग है, जिसमें श्री ब्रह्मा जी व श्री विष्णु जी का बड़प्पन के कारण युद्ध हुआ था। इस युद्ध में दोनों एक-दूसरे को नीचा दिखाने की खातिर महेश्वर व पाशुपात अस्त्र का प्रयोग करने के प्रयासरत थे, जिससे त्रिलोक के भस्म होने की आशंका पनपने लगी।

ब्रह्मा और विष्णु में शुरू हो गया था युद्ध

इसे देखकर भगवान शिव महाअग्नि तुल्य स्तंभ के रूप में उन दोनों के बीच प्रकट हुए, जिससे युद्ध तो शांत हो गया लेकिन दोनों ने अग्नि स्तंभ का मूल देखने की ठान ली। भगवान विष्णु शुक्र रूप धारण करके नीचे की ओर पाताल तक पहुंच गए, किंतु स्तंभ का अंत न ढूंढ पाए, जबकि भगवान ब्रह्मा आकाश की ओर हंस का रूप धारण करके चले गए और वापस आकर झूठ ही विश्वास दिलाया कि स्तंभ की चोटी पर केतकी का फूल था, जिसे वे प्रमाण के तौर पर लाए हैं। ब्रह्मा जी के छल को देखकर भोले भंडारी को साक्षात प्रकट होना पड़ा तथा युद्ध शांत करने के लिए ही उन्होंने अग्नि तुल्य स्तंभ का रूप धारण किया था।

चारदीवारी में यूनानी शिल्पकला का प्रतीक जिस स्थान पर काठगढ़ महादेव विराजमान हैं। यह भी कथा प्रचलित है कि भगवान राम के भ्राता महाराज भरत अपने ननिहाल कैकेय जाते थे, तो रास्ते में यहीं पर रुककर अपने अराध्य देव शिव जी की पूजा किया करते थे। इतिहास में वर्णन आता है कि सिकंदर भारत विजय का अपना सपना यहीं पर अधूरा छोड़कर वापस अपने देश लौटा था। अत्यंत ही सुंदर इस शिवालय की ऐतिहासिक चारदीवारी में यूनानी शिल्पकला का प्रतीक व प्रमाण देखने को मिलता है।

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ऐसा भी कहा जाता है कि पहले यह शिवलिंग खुले आसमान के नीचे था और महाराजा रणजीत सिंह ने इस स्थान की महत्ता को सुनकर इस मंदिर का निर्माण करवाया था। प्रतिदिन यहां पर दूर-दराज से श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है। प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर यहां तीन दिवसीय मेला लगाया जाता है।

प्रबंधक समिति ही करती है सारी व्यवस्था

वर्तमान समय में यहां ओमप्रकाश कटोच की अध्यक्षता में प्रबंधक समिति गठित है जो यहां की सारी व्यवस्था करती है, विशाल भवन है सराय तथा कई अन्य प्रकल्प यहां चलते रहते हैं। महंत कालिदास जी यहां के महंत हैं जो प्रबंधक कमेटी के तत्वावधान में दोनों समय पूजन करते हैं। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर यहां तीन दिनों तक विशाल मेले का आयोजन होता है, जिसमे लगभग तीन लाख से अधिक श्रद्धालु जुटते हैं और भोले नाथ के प्रति अपनी श्रद्धा का इजहार करते हैं।

हिमाचल के श्रद्धालु भी करेंगे शिरकत

इसी प्रकार सावन महीना शिव जी का अतिप्रिय महीना है इस महीने में यहां हर समय भक्तों का समूह उपस्थित रहता है। प्रबंधक कमेटी अध्यक्ष ओमप्रकाश कटोच ने बताया कि सात मार्च से नौ मार्च तक तीन दिवसीय महाशिवरात्रि पर्व पर मेला लगेगा, जिसमें पंजाब और हिमाचल प्रदेश के लाखों श्रद्धालु शिरकत करेंगे और भोले शंकर की कृपा प्राप्त करेंगे।

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