बासमती का सही मूल्य नहीं मिलने से किसान व आढ़ती परेशान
संवाद सहयोगी, काहनूवान बासमती का सही मूल्य नहीं मिलने के कारण किसान व आढ़तिए परेशान हैं। किसानों क
संवाद सहयोगी, काहनूवान
बासमती का सही मूल्य नहीं मिलने के कारण किसान व आढ़तिए परेशान हैं। किसानों का कहना है कि गत दशक में बासमती की फसल की काश्त कुछ फीसदी ही रह गई थी। इसके बाद एक दम बरामदी दर में आई तेजी के कारण बासमती की फसल पंजाब व हरियाणा में कुल उपजाऊ जमीन का 50 फीसदी हिस्सा बासमती के रकबे में आ गया तथा साल 2012-13 में किसानों ने बासमती की बरामद शिखर पर जाने के कारण मुंह मांगी कीमतें मार्केट से प्राप्त कीं। इसके बाद साल 2014 में बासमती की बरामद को लगी ब्रेक के कारण पिछले साल के मुकाबले किसानों को अपनी बासमती की फसल कम मूल्य तक बेचनी पड़ी। कुछ किसानों द्वारा तथा बड़ी संख्या में आढ़तियों द्वारा भविष्य में कीमत में वृद्धि की आशा को लेकर बासमती का स्टोर कर लिया। लेकिन अब पूरी कीमत नहीं मिलने से यह खराब हो रही है। आज के दिन में बासमती की नई फसल 1509 कई जगह मंडियों में बिकने के लिए आ चुकी है जिसकी कीमत करीबन 12 सौ रुपये के तक ही मिल रही है। जिस कारण स्टोर की पिछले साल की बासमती की 1121 की कीमत दो हजार से 22 सौ रुपये तक थी तथा 1509 की कीमत लगाने के लिए कोई भी व्यापारी तैयार नहीं।
मंडियों में नहीं मिल रहे हैं खरीददार
पंजाब में अमृतसर, जलालाबाद, बटाला तथा हरियाणा के गुल्ला चीका व कैथल की मंडियों में करोड़ों रुपए का व्यापार बासमती की फसल को हाता है परंतु इस साल इन मंडियों में भी खरीददार गायब हैं। आढ़तियों द्वारा ऐसे हालात से निपटने के लिए लामबंदी करनी शुरू कर दी है। इस संबंध में बासमती की ट्रेडिंग करने वाले इकबाल सिंह खालसा का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय मंडी में फसल की बरामद को लेकर हुए हेर फेर व केंद्र सरकार द्वारा इसका कोई खरीद सही मूल्य घोषित न करने के कारण इस फसल की बेकदरी इस साल पूरी तरह होने की आशा है। उन्होंने कहा कि इस बार फसल की मंदी का खामियाजा आढ़तियों व शैलर वालों को छोड़कर सीधा किसानों को भुगतना होगा। क्योंकि आढ़तियों द्वारा पिछले साल किसानों को नगद अदायगी कर दी थी जबकि आढ़तियों के अरबों रुपये बासमती बकाया रह गए हैं। आढ़ती गुरमिंदर सिंह, लखविन्दर सिंह ने कहा कि हर आढ़ती के 25 लाख से लेकर एक करोड़ रुपये तक की अदायगी शैलर मालिकों व अन्य की तरफ बकाया फंसा हुआ है।
पांच से आठ हजार करोड़ रुपए का होता है लेनदेन
एक अंदाजे के अनुसार पंजाब में बासमती के मंडीकरण में पांच हजार से आठ हजार करोड़ रुपये का लेन देना होता है। पिछले साल जहां पंजाब में बासमती की काश्त के नीचे 60 फीसदी रकबा था इसके मुकाबले इस साल 35 फीसदी तक ही रह गया है। इसके बावजूद भी इस साल बासमती की खरीद प्रति केंद्र सरकार व खेतीबाड़ी विभाग की गंभीर प्रयास नहीं किए जाने से आने वाली फसल के मंडियों में खराब होने के आसार नजर आ रहे हैं।