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डिब्रूगढ़ जेल में बंद अमृतपाल सिंह लड़ेगा लोकसभा चुनाव, पंजाब की इस सीट से होगा निर्दलीय उम्मीदवार

डिब्रूगढ़ जेल में बंद अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh will Contest Elections) ने लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इस बात की जानकारी एडवोकेट राजदेव सिंह खालसा ने दी है। उन्होंने कहा कि जेल में बंद अमृतपाल से मुलाकात की गई है और उसने पंजाब की खडूर साहिब लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

By DHARAMBIR SINGH MALHAR Edited By: Gurpreet Cheema Published: Wed, 24 Apr 2024 07:25 PM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2024 08:28 PM (IST)
अमृतपाल सिंह ने पंजाब की खडूर साहिब सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है (फाइल फोटो)

जागरण संवाददाता, तरनतारन। एनएसए एक्ट के तहत डिब्रूगढ़ जेल में बंद अमृतपाल सिंह लोकसभा चुनाव लड़ना चाहता है। खालिस्तान समर्थक अमृतपाल ने पंजाब की संसदीय सीट खडूर साहिब से चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

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वह किसी पार्टी की टिकट पर नहीं बल्कि आजाद तौर पर चुनाव लड़ेगा। इस बात की जानकारी एडवोकेट राजदेव सिंह खालसा ने दी है। पूर्व सासंद ने कहा कि आसाम की डिबड़ूगढ़ जेल में बंद अमृतपाल सिंह के साथ मुलाकात की गई है और उन्होंने खडूर साहिब से चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

यह पहला मौका नहीं है कि जब कोई उम्मीदवार इस तरह से जेल में रहते हुए चुनाव लड़ रहा है। पंजाब से पहले भी दो उम्मीदवारों को जेल में रहते हुए लोकसभा चुनाव लड़ा है। इनमें दो तो एक ही कार्यकाल के दौरान गए हैं। तरनतारन से विजयी हुए सिमरनजीत सिंह मान रिकॉर्ड मतों से जीतकर संसद में भेजे गए थे। हालांकि, संसद के अंदर तलवार लेकर जाने के विवाद के चलते वह संसद में गए ही नहीं।

सिमरनजीत सिंह मान ने भी जेल से लड़ा था चुनाव

1989 में हुए इन चुनाव में उनकी पार्टी शिरोमणि अकाली दल अमृतसर के आठ और उनके तीन समर्थक जीतकर कर गए थे। सिमरनजीत सिंह मान ने जब तरनतारन से चुनाव लड़ा था उस समय वह भागलपुर जेल में बंद थे । उन्हें अवैध तरीके से काठमांडू में जाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जबकि, पटियाला से उनकी पार्टी के नेता अतिंदरपाल सिंह भी जेल में रहते हुए जीते थे। अतिंदरपाल ने बताया कि उन दिनों वह तिहाड़ जेल में बंद थे।

जेल से चुनाव लड़ने का क्या है प्राविधान

यदि सजा नहीं हुई है तो जेल में रहते चुनाव लड़ने का प्राविधान है। साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने भी यह स्पष्ट किया था। एक पूर्व मुख्य चुनाव अधिकारी ने बताया कि प्रत्याशी जेल से ही अपने नामांकर भरकर अपने प्रतिनिधि के जरिए भेज सकता है । ऐसा प्राविधान भी है। जीतने पर उसे शपथ लेने के लिए कुछ समय के लिए छोड़ा जाता है क्योंकि जेल में रहकर शपथ दिलाने का प्राविधान नहीं है।

गौरतलब है कि हाल में जेल में बंद अमृतपाल सिंह के साथ-साथ अन्य 10 साथियों पर पंजाब सरकार ने नए सिरे से NSA लगाया था।

NSA के तहत हुई थी गिरफ्तारी

बता दें कि अमृतपाल सिंह के खिलाफ एनएसए के वारंट जारी हुए थे, जिसके बाद उसकी गिरफ्तारी एनएसए के अधीन हुई थी। पंजाब पुलिस को ऐसी जानकारी मिली थी कि अमृतपाल मोगा के रोडे गांव में एक गुरुद्वारे में छुपा बैठा है। इसके बाद पुलिस ने गुरुद्वारा साहिब की मर्यादा को रखते हुए उसको गिरफ्तार किया था। फिर उसे  असम की डिब्रूगढ़ रवाना कर दिया गया था। 23 अप्रैल 2023 से अमृतपाल डिब्रगढ़ जेल में बंद है।

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कौन है अमृतपाल सिंह?

अमृतपाल सिंह खालिस्तान समर्थक और ‘वारिस पंजाब दे ‘ का प्रमुख है। इसका जन्म 17 जनवरी साल 1993 में अमृतसर के जल्लूपुर खेड़ा में हुआ था। 2021 में अमृतपाल परिवार के ट्रांसपोर्ट के बिजनेस में शामिल हुआ और दुबई चला गया। इसके बाद 2022 में अमृतपाल भारत लौटा और 

सुर्खियों में क्यों आया अमृतपाल?

पिछले साल अमृतसर के अजनाला थाने में हुई हिंसा के बाद अमृतपाल सुर्खियों में आया था। ऐसे आरोप थे कि  अमृतपाल ने अपने सहयोगी लवप्रीत सिंह तूफान की गिरफ्तारी से नाराज होकर 23 फरवरी को अपने समर्थकों के साथ मिलकर अजनाला थाने पर हमला कर दिया था।

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