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सिद्धू ने बोर्ड को लपेटा, वीरू की फिटनेस को लेकर बवाल

पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने बोर्ड के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा है कि अब जबकि वीरेंद्र सहवाग ने खुद को इंडियन प्रीमियर लीग [आईपीएल] में खेलने के लिए फिट घोषित कर दिया है तब यह बीसीसीआई का दायित्व बनता है कि वह इस सलामी बल्लेबाज की चोट पर स्थिति स्पष्ट करे।

By Edited By: Published: Sat, 31 Mar 2012 02:56 PM (IST)Updated: Sat, 31 Mar 2012 02:56 PM (IST)

नई दिल्ली। पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने बोर्ड के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा है कि अब जबकि वीरेंद्र सहवाग ने खुद को इंडियन प्रीमियर लीग [आईपीएल] में खेलने के लिए फिट घोषित कर दिया है तब यह बीसीसीआई का दायित्व बनता है कि वह इस सलामी बल्लेबाज की चोट पर स्थिति स्पष्ट करे।

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प्रायोजकों ने इस ट्वंटी-20 लीग में स्टार क्रिकेटरों को देखने के लिए अरबों रुपये खर्च किए हैं। सिद्धू ने कहा, यह बोर्ड का दायित्व बनता है। वह भारतीय क्रिकेट बोर्ड है जिसने उसे प्रायोजकों के पास बेचा जिन्होंने सहवाग, सचिन तेंदुलकर, हरभजन सिंह के लिए अरबों खर्च किए हैं। इसलिए केवल क्रिकेटरों को दोष देना ठीक नहीं है। मैं आपको बताऊंगा कि बोर्ड क्यों नहीं कह सकता। क्योंकि उसने प्रायोजकों से पैसा लिया है और यह धनराशि थोड़ी नहीं है बल्कि अरबों रुपये में है। उदाहरण देख लीजिए। आपने फिल्म के लिए अक्षय कुमार को अनुबंधित किया लेकिन बाद में आप कहते हो कि अक्षय की जगह पर कनाट प्लेस का कोई जगजीत सिंह अभिनय करेगा। कोई नहीं जानता कि जगजीत सिंह कौन है। कोई नहीं जानता कि हीरो कौन है। प्रायोजकों ने आपको इसलिए पैसा दिया है क्योंकि वे अक्षय कुमार को देखना चाहते है और वह लोगों को खींचेगा। वह आकर्षण का केंद्र है इसलिए आप उसे बाहर नहीं रख सकते।

आस्ट्रेलिया में विवादास्पद रोटेशन नीति के बाद सहवाग को एशिया कप के लिए नहीं चुने जाने पर काफी बवाल खड़ा हुआ तथा चयन समिति के अध्यक्ष के श्रीकांत भी यह स्पष्ट करने में नाकाम रहे कि इस सलामी बल्लेबाज को बाहर किया गया या उन्हें विश्राम दिया गया है। श्रीकांत ने जहां कहा कि सहवाग को कंधे की चोट के कारण विश्राम दिया गया है वहीं इस सलामी बल्लेबाज ने कहा कि पीठ दर्द के कारण उन्होंने फिजीयो की सलाह पर विश्राम लिया है। सिद्धू ने कहा कि यह आपसी सहमति है जिसमें बीसीसीआई और क्रिकेटर दोनों को फायदा होता है। उन्होंने कहा, यह आपसी सहमति है। ऐसी सहमति जिसमें दोनों पक्ष को फायदा होता है। बोर्ड को इसलिए फायदा होता है क्योंकि इससे लाभ मिलता है, पैसा मिलता है और क्रिकेटरों को भी फायदा होता है क्योंकि कितने क्रिकेटर ऐसे हैं जो इरफान या यूसुफ पठान की तरह डेढ़ महीने में दस करोड़ रुपये कमाएंगे।

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