हर मुकाबला मेरे लिए खास है : विजेंद्र
वैसे कोई भी फाइट आसान नहीं होती और हर मुकाबले के लिए मैं एक जैसी ही तैयारी करता हूं।
साक्षात्कार :
भारतीय मुक्केबाज विजेंद्र सिंह ने इस महीने की शुरुआत में चीन के जुल्पिकार मैमतअली को हराकर अपना डब्ल्यूबीओ एशिया पैसेफिक सुपर मिडिलवेट खिताब बरकरार रखते हुए जुल्पिकार से उनका डब्ल्यूबीओ ओरिएंटल सुपर मिडिलवेट खिताब छीन लिया था। इस मुकाबले और अन्य मुद्दों पर उमेश राजपूत ने उसने बातचीत की। पेश है मुख्य अंश-
पांच अगस्त का मुकाबला आपके पेशेवर करियर के अन्य मुकाबलों से कितना मुश्किल रहा?
-मुश्किल तो था यह मुकाबला। वैसे कोई भी फाइट आसान नहीं होती और हर मुकाबले के लिए मैं एक जैसी ही तैयारी करता हूं। मैंने अपने सभी नौ मुकाबलों में जीत दर्ज की है, इसलिए हर मुकाबला मेरे लिए खास है।
आपने मैमतअली के बारे में कहा था कि चीन का माल है ज्यादा नहीं चलेगा, तो क्या यह मुकाबला आपकी सोच से भी ज्यादा कड़ा साबित हुआ?
-यह एक अच्छा मुकाबला रहा। लोग सोचते हैं कि बॉक्सिंग सिर्फ मारधाड़ का खेल है, लेकिन यह दिमाग का खेल है। मैं पहले छह राउंड आसानी से जीत चुका था, तो उसे (मैमतअली को) मालूम चल गया था कि फाइट मैं जीत जाऊंगा। मैं जानता था कि अगर अगले चारों राउंड मैं हार भी जाऊं तो फाइट 6-4 से मेरे पक्ष में चली जाएगी। रही बात चीन का माल वाली, तो ऐसे बयान हम मानसिक तौर पर मजबूती के लिए करते हैं। यह प्रो बॉक्सिंग का हिस्सा है।
आखिरी राउंड के बाद आप कुछ निराश नजर आ रहे थे। यह थकान का असर था या मन में कुछ और चल रहा था?
-यह पूरे दस राउंड की फाइट थी। दस राउंड की फाइट इतनी आसान नहीं होती है। ऐसे में थकान तो होती ही है।
आगे आपके लिए क्या लक्ष्य है?
-हम नवंबर या दिसंबर में अगले मुकाबले की योजना बना रहे हैं। अभी तारीख और जगह तय नहीं है, लेकिन इसी दौरान हम अगला मुकाबला मानकर चल रहे हैं।
उसी दिन आपके साथी अखिल कुमार और जितेंद्र कुमार ने भी पेशेवर मुक्केबाजी में पदार्पण किया। उनके बारे में क्या कहना चाहेंगे?
-पुराने साथी जब साथ आते हैं तो निश्चिततौर पर खुशी होती है। अच्छी बात है कि उन्होंने भी अपना प्रो करियर शुरू किया। उन्हें मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई। उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया और जीत दर्ज की। लेकिन, यह टीम स्पोट्र्स नहीं, व्यक्तिगत खेल है। इसमें मेहनत करनी पड़ती है। अभी उनकी शुरुआत है और उन्हें लंबा रास्ता तय करना है।
अपने साथ-साथ अपने साथियों को भी जीतते हुए देखना कितनी खुशी प्रदान करता है?
-इसमें हम नहीं जीतते हैं। इसमें हमारा मुल्क जीतता है। जब हम फाइट करते हैं तो उसमें यह नहीं कहा जाता कि विजेंद्र सिंह फाइट कर रहा है, कहते हैं विजेंद्र सिंह फ्रॉम इंडिया। इसलिए हम अकेले नहीं जीतते हैं। हमारे साथ पूरा भारत जीतता है।
आपका अभ्यास का सिलसिला किस तरह का होता है?
-मेरा दस से 12 सप्ताह का अभ्यास का कार्यक्रम होता है। मैं ढाई साल से मैनचेस्टर (इंग्लैंड) में रह रहा हूं और वहीं तैयारी करता हूं। वहां हर तरह की सुविधाएं हैं। हर दिन के अनुसार अलग-अलग तरह से अभ्यास करता हूं।
क्या आपका बेटा भी बॉक्सिंग करना पसंद करता है। आप क्या चाहेंगे कि वह भी बॉक्सिंग करे?
-वह अभी चार साल का है। उसे बॉक्सिंग पसंद नहीं है। मैनचेस्टर में फुटबॉल ज्यादा खेला जाता है तो वह फुटबॉल खेलता है। अभी वह काफी छोटा है। मैं चाहता हूं कि वह जो करना चाहे वह करे। मेरी बस इतनी इच्छा है कि वह जितना भी बड़ा नाम कमाए वह भारत के लिए कमाए। मैंने ओलंपिक में भारत के लिए कांस्य पदक जीता है। मैं चाहूंगा कि मेरा बेटा भारत के लिए स्वर्ण पदक जीते।