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यूरोप को लग चुकी है आतंकियों की नजर, अब कैसे बचेंगे ये देश, जानें

यूरोप लगातार आतंकियों के निशाने पर बना हुआ है। फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, तुर्की, और अब इंग्‍लैंड पर हुआ हमला बता रहा है कि यूरोप अब शांत नहीं रहा है। इसको आतंकियों की नजर लग चुकी है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 23 May 2017 09:50 AM (IST)Updated: Tue, 23 May 2017 08:54 PM (IST)
यूरोप को लग चुकी है आतंकियों की नजर, अब कैसे बचेंगे ये देश, जानें
यूरोप को लग चुकी है आतंकियों की नजर, अब कैसे बचेंगे ये देश, जानें

नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। फ्रांस, जर्मनी, ब्रसेल्‍स, तुर्की और अब इंग्‍लैंड का मैनचेस्‍टर आतंकियों का निशाना बना है। यह सिर्फ इत्‍तफाक नहीं हो सकता है कि किसी ने अपनी नापाक साजिश और अपनी नफरत की वजह से इस हमले को अंजाम दिया हो, बल्कि इसके पीछे एक सोची समझी रणनीति काम कर रही है। यह रणनीति कभी बेहद शांत रहने वाले यूरोप को अशांत करने की है। एक समय था जब यूरोप को बेहद शांत और खूबसूरत माना जाता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसकी शांति को बुरी नजर लग चुकी है। यहां पर लगातार आतंकी हमले हो रहे हैं और लगातार यूरोप के विभिन्‍न देशों और शहरों को आतंकी अपने निशाने पर ले रहे हैं। जर्मनी का चार्ली  हब्‍दो, फ्रांस का नीस, तुर्की का इस्‍तांबुल, बेल्जियम का ब्रेसल्‍स और इंग्‍लैंड के मैनचेस्‍टर पर हुआ हमला इस बात की साफ गवाही देता है कि यूरोप न तो अब शांत ही रहा है और न ही सुरक्षित रहा है।

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यूरोप पर आतंकी साया

इंग्‍लैंड पर आतंकी साया लगातार मंडराता रहा है। इसका जिक्र पहले भी मीडिया में किया जा चुका है। इसके अलावा इंग्‍लैंड का खुफिया विभाग भी इस तरह की बात कर चुका है। आपको यदि ध्‍यान हो तो फ्रांस में बांटाक्‍ला कसंर्ट हॉल को भी आतंकियों ने उस वक्‍त निशाना बनाया था जिस वक्‍त वहां पर इस कंसर्ट को सुनने के काफी संख्‍या में लोग मौजूद थे। मैनचेस्‍टर में भी यही सब हुआ है।

मैनचेस्टर में यह हमला पॉप कंसर्ट के समाप्‍त होने के तुरंत बाद किया गया। इस हमले में अब तक 19 लोगों की मौत हुई है जबकि 50 से अधिक लोग घायल हुए हैं। यहां पर अमेरिकी गायिका अरियाना ग्रैंडे को सुनने के लिए काफी संख्‍या में भीड़ जमा थी। यहां पर हुआ धमाका इतना जबरदस्‍त था कि इससे पूरा इलाका थर्रा गया। स्थानीय समय के अनुसार धमाके के वक्त घड़ी में लगभग साढ़े दस बज रहे थे। ब्रिटेन पुलिस इस हमले को चरमपंथी हमला मान रही है।

समय रहते निष्क्रिय किया विस्‍फोटक

इतना ही नहीं धमाके की जगह के पास से कुछ और विस्‍फोटक भी बरामद किया गया था जिसको समय रहते  निष्क्रिय कर दिया गया। फिलहाल मैनचेस्टर के मुख्य इलाके में बम निरोधी विशेष दस्ता और हथियारबंद पुलिस लगातार गश्त लगा रही है और पूरे इलाके को सील कर दिया गया है। वहीं मैनचेस्टर विक्टोरिया स्टेशन से आवागमन रोक दिया है. ग्रेटर मैनचेस्टर पुलिस ने लोगों से इलाके से दूर रहने की अपील की है. पुलिस का कहना है कि हताहतों के बारे में जल्द से जल्द जानकारी रिलीज कर दी जाएगी। 

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अमेरिका का समर्थन करने वालों को आतंकी संगठनों की धमकी

हालांकि रक्षा मामलों के जानकार मानते हैं कि इन हमलों की अहम वजह कहीं न कहीं यूरोप खुद ही बना है। रक्षा विशेषज्ञ पीके सहगल का कहना है कि अलकायदा हो या फिर आईएसआईएस सभी को खड़ा करने के पीछे कहीं न कहीं अमेरिका का अपना हित था। लेकिन अब अमेरिका अपने साथियों के साथ मिलकर इनको खत्‍म करने पर तुला है। उनका कहना है कि इन आतंकी संगठनों ने पहले ही इस बात को कहा है कि जो कोई भी अमेरिका का साथ देगा वह उसको नहीं छोड़ने वाले हैं।

इमिग्रेशन पॉलिसी में हो बदलाव

सहगल मैनचेस्‍टर हमले के पीछे इन्‍हीं दोनों आतंकी संगठनों में से किसी एक का हाथ मानते हैं। उनका यह भी कहना है कि यूरोप जिस तरह से लगातार आतंकियों के निशाने पर है उस लिहाज से जरूरी है कि इंग्‍लैंड अपनी इमिग्रेशन पॉलिसी में बदलाव लाए। वहीं रक्षा विशेषज्ञ अनिल कौल भी ऐसा ही मानते हैं। उनका कहना है कि यूरोप को अपनी इमिग्रेशन पॉलिसी पर दोबारा विचार करने की जरूरत है। वह यह भी मानते हैं कि यूरोप में मजदूरी करने वाला एक खास वर्ग इस तरह की आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहा है। इसके पीछे उनकी अपनी नाराजगी है जिसका फायदा आतंकी संगठन उठा रहे हैं। कौल का कहना है कि इन देशों को चाहिए कि वह अपनी इमिग्रेशन पॉलिसी में बदलाव लाएं और इसको सख्‍त बनाएं। उन्‍हीं को इन देशों में आने की इजाजत हो जिसको लेकर वह आशांवित हों बाकियों को वापस भेज दिया जाना चाहिए। तभी यह देश सुरक्षित रह सकते हैं।

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भारत को हर बार किया अनसुना

भारत काफी समय से आतंकी हमलों का सामना करता रहा है। भारत ने हर बार विश्‍व मंच आतंकवाद के खिलाफ के एकजुट होकर लड़ने की बात दोहराई है। लेकिन पहले भारत की बात को यूरोप अनसुना कर देता था। वजह थी क्‍योंकि वह अपने आपको बिल्‍कुल अलग मानता था। लेकिन अब जबकि यूरोप इसका लगातार निशाना बन रहा है तो यूरोप में भी आतंकवाद के खात्‍मे को लेकर एकजुट होने के स्‍वर उठने लगे हैं। यूरोप के हर हमले के बाद इस तरह की बात निकलकर सामने आई है।

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आतंकवाद की पनाहगार बने हैं कुछ देश

भारत ने कई बार इस बात का जिक्र किया है कि उन देशों पर सख्‍त कदम उठाए जाने चाहिए जो देश आतंकवाद को न सिर्फ पनाह देते हैं बल्कि उन्‍हें आतंक फैलाने के लिए ट्रेनिंग से लेकर असला-बारूद भी मुहैया करवाते हैं। भारत ने कई बार पाकिस्‍तान का जिक्र करते हुए इस बात का हवाला भी दिया है कि पाकिस्‍तान लगातार अपनी जमीन पर आतंकियों को ट्रेनिंग देकर उन्‍हें भारत समेत दूसरे देशों में भेजता रहा है। इसका सीधा सा उदाहरण जम्‍मू कश्‍मीर की आतंकी घटनाएं हैं। इसके अलावा अमेरिका पर इतिहास का सबसे बड़ा आतंकी हमला कराने  वाला ओसामा बिन लादेन भी पाकिस्‍तान की जमीन पर ही मारा गया था। उसकी वहां पर मौजूदगी की खबर पाकिस्‍तान को पहले से थी लेकिन खामोश था। इतना ही नहीं पाकिस्‍तान आतंकवाद के नाम पर अमेरिका से जो पैसा लेता रहा है उसको भी वह आतंकी कार्रवाई में शामिल करता रहा है। इसका भी जिक्र अमेरिकी सांसदों द्वारा किया जाता रहा है। इतना ही नहीं कई बार अमेरिकी सीनेट में भी पाकिस्‍तान को आतंकी देश घोषित करने की बात होती रही है।

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