नई दिल्ली, जागरण प्राइम। लोकसभा चुनाव को देखते हुए जागरण न्यू मीडिया मतदाताओं को जागरूक करने के लिए ‘मेरा पावर वोट- नॉलेज सीरीज’ लेकर आया है। इसमें हमारे जीवन से जुड़े पांच बुनियादी विषयों इकोनॉमी, सेहत, शिक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुरक्षा पर चर्चा की जाएगी। हमने हर सेगमेंट को चार हिस्से में बांटा है- महिला, युवा, शहरी मध्य वर्ग और किसान। इसका मकसद आपको एंपावर करना है ताकि आप मतदान करने में सही फैसला ले सकें। देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा और इससे जुड़ी चुनौतियों पर हमने रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल जे.एस.सोढ़ी और रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल अमरदीप त्यागी से बात की।

साइबर वारफेयर की चुनौती पूरी दुनिया में बढ़ी है। बार-बार ये बात सामने आ रही है कि दुनिया साइबर वारफेयर से दो-चार हो सकती है। यूक्रेन-रूस का युद्ध हो या इजरायल-ईरान का, साइबर वारफेयर हर जगह दिखाई दे रहा है। हमने दोनों विशेषज्ञों से यह जानना चाहा कि यह कितनी बड़ी चुनौती बन चुका है और इसका मुकाबला करने के लिए किस तरह की तैयारी की जानी चाहिए? भारत साइबर वारफेयर के लिए कितना सक्षम है? युवाओं की पूरी दुनिया अब टेक्नोलॉजी के ईर्द-गिर्द है। ऐसे में उनके लिए यह किस तरह की चुनौती हैं?

कर्नल जे.एस.सोढ़ी कहते हैं कि, हमास ने पिछले साल 7 अक्टूबर की सुबह इजराइल पर हमला किया तो 20 मिनट के लिए इजरायली डिफेंस फोर्स के पूरे इलेक्ट्रोमैग्नेट स्पेक्ट्रम और इंटरनेट को जाम कर दिया गया। इजराइल को 20 मिनट तक पता ही नहीं चला कि 1000 से ज्यादा आतंकवादी 15 मील तक उनके देश में घुस आए और कत्लेआम मचा दिया। स्पेक्ट्रम जाम करना हमास के बस की बात नहीं थी। उनकी मदद की चीन ने। ऐसे में हमें समझना होगा कि जब पूरी तरह से लड़ाई छिड़ेगी तो चीन किस तरह तबाही मचा सकता है। साइबर वारफेयर से सिर्फ देश की सेनाओं पर ही असर नहीं होगा बल्कि ये हमारे मोबाइल, बैंक, हमारे बिजली के ग्रिड आदि को भी प्रभावित करेगा। ऐसे में साइबर वारफेयर के लिए युद्ध स्तर पर तैयारी जरूरी है। हाल ही में थल सेना अध्यक्ष जनरल मनोज पांडेय ने ऐलान किया था कि कमांड में साइबर यूनिट बनाई जा रही हैं। राष्ट्रीय स्तर पर भी साइबर एजेंसी काम कर रही है।

देश के युवाओं को खास तौर पर ध्यान रखना चाहिए कि वो चीन के ऐप का इस्तेमाल न करें। ये आने वाले समय में देश के लिए खतरा बन सकता है। ये ऐप आपकी और देश की कई तरह की बेहद संवेदनशील जानकारियों तक चीन की एजेंसियों की पहुंच को आसान बना देता है। सरकार समय समय पर चीन में बने ऐप को बैन करती रहती है, लेकिन चीन की कंपनियां रोज नए ऐप बना रही हैं। ऐसे में आज हमारे युवाओं की जिम्मेदारी बन जाती है कि वो किसी भी ऐप को डाउनलोड करने के पहले ये जांच लें कि ये ऐप कहां बना हुआ है। हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि हम चीन का कोई ऐप या चीन में बना कोई सामान खरीद रहे हैं तो उससे होने वाली कमाई का एक हिस्सा चीन हमारे ही देश के खिलाफ अपनी सेनाओं को मजबूत करने में खर्च करता है।

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल अमरदीप त्यागी कहते हैं कि, हमारी साइबर सिक्योरिटी को इतना मजबूत करना होगा कि चीन में बने ऐप को पूरी तरह से प्रतिबंधित या ब्लॉक किया जा सके। सरकार और सिक्योरिटी एजेंसियों की जिम्मेदारी है कि इन ऐप्स को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए। सरकारी एजेंसियों के अलावा हमारे देश के वो युवा जो एथिकल हैकिंग का काम कर रहे हैं, उन्हें भी हमें राष्ट्रहित में देश की साइबर सुरक्षा को मजबूत करने और दुश्मन को कमजोर करने के लिए जोड़ा जाना चाहिए।

कर्नल जे.एस.सोढ़ी कहते हैं कि, 2014 के पहले दुनिया भर की हथियार बनाने वाली विदेशी कंपनियों के सीईओ आधे समय भारत में ही मिल जाते थे। दरअसल सभी रक्षा उपकरण बनाने वाली कंपनियों के लिए भारत एक बड़ा बाजार है। 2014 के बाद से सरकार की सोच में बदलाव आया और आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत देश में हथियार बनाने पर जोर दिया गया तो स्थितियों में बड़ा बदलाव आया। आज भारत में कई डिफेंस स्टार्टअप बेहतरीन काम कर रहे हैं। भारत ने एक इकोसिस्टम विकसित किया है। ये सिस्टम इतना सफल रहा है कि पिछले साल हमने 21 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के हथियार एक्सपोर्ट किए हैं। इस इकोसिस्टम में स्टार्टअप महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। सरकार के सहयोग के चलते इनका आउटपुट काफी बेहतर बना हुआ है। सरकार आज एमएसएमई को ग्रांट दे रही है, कई तरह के प्रोत्साहन दे रही है। आज हम लगभग 85 देशों को निर्यात कर रहे हैं। ऐसे में स्टार्टअप का रोल और बढ़ जाता है। दरअसल बड़ी कंपनियां बड़े हथियार बनाती हैं, लेकिन इन बड़े हथियारों के लिए पुर्जे ये स्टार्टअप ही उपलब्ध कराते हैं।

जब पूरी तरह से लड़ाई छिड़ेगी तो चीन किस तरह तबाही मचा सकता है। (Video)

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल अमरदीप त्यागी कहते हैं कि, भारत में पहले सिर्फ पब्लिक सेक्टर यूनिट डिफेंस सप्लाई करती थीं। स्टार्टअप के आने के बाद कई तरह के नए प्रयोग हो रहे हैं। हजारों युवाओं को रोजगार भी मिल रहा है। हमें स्टार्टअप कल्चर को प्रमोट करना चाहिए। इसमें हमारे युवाओं के लिए काफी संभावनाएं बनेंगी।