मप्र सरकार ने लाट साहब को मुहैया कराया 'सुरक्षित रास्ता'
मध्य प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव गुरुवार को सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के पौत्र और लालू यादव की बेटी की शादी में शामिल होने के बहाने दिल्ली चले गए।
भोपाल । मध्य प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव गुरुवार को सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के पौत्र और लालू यादव की बेटी की शादी में शामिल होने के बहाने दिल्ली चले गए। राज्य विधानसभा में बजट सत्र की कार्रवाई ताबड़तोड़ खत्म करने के पीछे सरकार की रणनीति यही रही कि व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले के मुद्दे पर राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की और ज्यादा फजीहत न हो। इसलिए लाट साहब को 'सुरक्षित रास्ता' मुहैया करा दिया गया। उनके साथ प्रमुख सचिव विनोद सेमवाल भी गए हैं।
सदन में व्यापमं मामले पर हो रहे हंगामे को टालने और मीडिया में लगातार हो रही छीछालेदर से बचने के लिए ही सत्ता पक्ष ने यह रास्ता अख्तियार किया। बताया जाता है कि एफआइआर दर्ज होने के बाद राज्यपाल यदि भोपाल में रहते हुए इस्तीफा देते तो उनकी गिरफ्तारी की पूरी संभावना थी। गिरफ्तार न करने की स्थिति में अंदेशा यह भी था कि 'गैस कांड' के आरोपी एंडरसन जिस तरह भोपाल से निकल भागा था, उसी अंदाज में यह एपिसोड भी दोहराए जाने का आरोप सरकार के माथे लग जाता।
धर्मसंकट यह भी..
इसके अलावा परंपरा यह भी है कि राज्यपाल की जब विदाई होती है तो राज्य सरकार का एक मंत्री ससम्मान उन्हें घर तक छोड़ने जाता है। यह धर्मसंकट भी टालना जरूरी था क्योंकि ऐसी स्थिति में सरकार के सिर पर यह तोहमत भी चस्पा हो जाती कि आरोपी राज्यपाल को मंत्री के संरक्षण में प्रदेश से बाहर निकाल दिया गया।
दिला दी फौरी राहत
अंदरखाने की खबर तो यह भी है कि महामहिम को पहले ही यह अंदेशा हो गया था इसलिए उन्होंने पिछले सप्ताह ही इस्तीफे का मन बना लिया था। लेकिन उन्हें ऐसा करने से रोक दिया गया। उस वक्त तक उनका बेटा ही आरोपों के दायरे में था लेकिन अब राज्यपाल रहते हुए रामनरेश यादव पर एफआइआर दर्ज होने के साथ देश-दुनिया में फजीहत भी हो चुकी है। इसलिए तात्कालिक तौर पर ज्यादा अपमान एवं गिरफ्तारी से फौरी राहत दिला दी गई।
इस्तीफे को लेकर अटकलें
राज्यपाल यादव के साथ उनके प्रमुख सचिव सेमवाल के दिल्ली साथ जाने पर यह कयास लगाया जा रहा है कि वह दिल्ली में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात के बाद इस्तीफा दे देंगे। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि राज्यपाल अब प्रदेश वापस नहीं लौटेंगे। उनके इस्तीफे के बाद छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलरामजी दास टंडन को प्रभार सौंपा जा सकता है।
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