Move to Jagran APP

व्यापार सुविधा समझौते को जल्द मिलेगी मंजूरी : रीता तेवतिया

भारत ने व्यापार सुविधा समझौते (टीएफए) से जुड़ी परामर्श की ज्यादातर प्रक्रिया पूरी कर ली है। केंद्र सरकार जल्द ही विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के इस समझौते का अनुमोदन कर सकती है। वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया ने मंगलवार को इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स यह बात कही।

By Manish NegiEdited By: Published: Tue, 09 Feb 2016 07:46 PM (IST)Updated: Tue, 09 Feb 2016 08:04 PM (IST)
व्यापार सुविधा समझौते को जल्द मिलेगी मंजूरी : रीता तेवतिया

नई दिल्ली। भारत ने व्यापार सुविधा समझौते (टीएफए) से जुड़ी परामर्श की ज्यादातर प्रक्रिया पूरी कर ली है। केंद्र सरकार जल्द ही विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के इस समझौते का अनुमोदन कर सकती है। वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया ने मंगलवार को इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स यह बात कही।

loksabha election banner

ट्रेड फैसिलिटेशन पैक्ट यानी टीएफए का मकसद ग्लोबल व्यापार को मजबूती देने के लिए कस्टम प्रक्रियाओं को आसान बनाना है। इस पर वर्ष 2013 में बाली में हुई डब्ल्यूटीओ की बैठक में सहमति बनी थी।

वाणिज्य सचिव ने कहा कि व्यापार को बढ़ावा देने, सीमा शुल्क नियमों को सरल बनाने तथा व्यापार की लागत घटाने के लिए यह समझौता अहम है। सरकार इसको लेकर प्रतिबद्ध है। यह जटिल मामला है। अधिकांश विचार-विमर्श पूरा हो चुका है। हमें भरोसा है कि इसका अनुमोदन करने में कामयाब होंगे। अब तक विश्व व्यापार संगठन के 55 सदस्य देशों ने इस समझौते की पुष्टि की है। रीता ने यह भी कहा कि डब्ल्यूटीओ सदस्यों को सेवा क्षेत्र को उदार बनाने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। आर्थिक विकास एवं रोजगार पैदा करने के लिहाज से भारत जैसे विकासशील देशों के लिए यह क्षेत्र बेहद महत्वपूर्ण है।

माल की तेजी से आवाजाही के साथ सेवाओं का सभी बाजारों में प्रवेश आसान बनाना भी जरूरी है। तेवतिया ने कहा, 'हमारा मानना है कि जैसे हमारे पास वस्तुओं के क्षेत्र का टीएफए है, वैसे ही हमें सेवा सुविधा समझौते के लिए भी काम करने की जरूरत है। डब्ल्यूटीओ में यह अब अगला क्षेत्र है, जिस पर काम होना चाहिए।' भारत की अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र का करीब 60 प्रतिशत योगदान है।

हालांकि भारत को उन घरेलू नीतियों के बारे में ज्यादा सतर्क रहना होगा, जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बढ़ने के साथ ज्यादा निगरानी के दायरे में आ सकती हैं। भारत को कृषि निर्यात सब्सिडी को खत्म करने के लिए रोडमैप तैयार करना होगा। दोहा दौर के अटके हुए एजेंडे पर बात करते हुए कहा कि आगे बढ़ना है तो साल 2001 में लिए गए निर्णयों का सम्मान होना चाहिए। उस वक्त कहा गया था कि गरीब किसानों और लाखों लोगों की खाद्य सुरक्षा संबंधी हितों पर ध्यान दिया जाएगा।

भारत समेत विकासशील देश चाहते हैं कि अमीर देशों द्वारा दी जा रही कृषि सब्सिडी में कटौती करने की प्रतिबद्धता जैसे दोहा दौर के लंबित मुद्दों का समाधान पहले निकलना चाहिए। इसके उलट अमेरिका समेत विकसित देश निवेश, ई-कॉमर्स और सरकारी खरीद जैसे नए मुद्दों पर डब्ल्यूटीओ को चर्चा शुरू करने की वकालत कर रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.