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दस लाख रुपये से अधिक की गाड़ी पर देना होगा एक प्रतिशत टैक्स

लग्जरी कार खरीदना अब और महंगा हो जाएगा। सरकार ने नकदी से लेन-देन को कम करने तथा कालेधन पर रोक लगाने के मकसद से 10 लाख रुपये से अधिक की गाडि़यों पर एक प्रतिशत टैक्स लगाने का प्रावधान किया है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Fri, 06 May 2016 07:37 PM (IST)Updated: Fri, 06 May 2016 08:21 PM (IST)
दस लाख रुपये से अधिक की गाड़ी पर देना होगा एक प्रतिशत टैक्स

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । लग्जरी कार खरीदना अब और महंगा हो जाएगा। सरकार ने नकदी से लेन-देन को कम करने तथा कालेधन पर रोक लगाने के मकसद से 10 लाख रुपये से अधिक की गाडि़यों पर एक प्रतिशत टैक्स लगाने का प्रावधान किया है। यह टैक्स एक जून 2016 से लागू हो जाएगा। यह टैक्स गाड़ी बेचने वाले व्यक्ति को खरीददार से वसूलकर सरकार के खाते में जमा करना होगा।

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सरकार ने वित्त विधेयक-2016 में संशोधन कर इस संबंध में स्पष्ट प्रावधान किया है। लोक सभा ने वृहस्पतिवार को वित्त विधेयक को मंजूरी दी है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि 10 लाख रुपये से अधिक की गाड़ी पर एक प्रतिशत टैक्स लगाने का मकसद देश में नकदी से लेन-देन को कम करना तथा कालेधन पर अंकुश लगाना है।

सरकार ने आयकर कानून 1961 की धारा 206 सी में संशोधन करते हुए 10 लाख रुपये से अधिक की कीमत वाली गाडि़यों पर एक प्रतिशत टैक्स लगाने का यह प्रावधान जोड़ा है। वित्त मंत्रालय ने इस धारा में एक और महत्वपूर्ण संशोधन किया है। इस संशोधन के अनुसार दो लाख रुपये से अधिक की सेवा के भुगतान पर भी एक प्रतिशत टैक्स देना होगा।

सूत्रों ने कहा कि सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है कि देश में महंगी कारों की तादाद तेजी से बढ़ रही है और देखने में आया है कि अधिकतर लोग नकदी से ही लग्जरी गाडि़यां खरीदते हैं। नए प्रावधान से आयकर विभाग को यह भी पता चल जाएगा कि कार खरीदने वाला उक्त व्यक्ति करदाता है कि नहीं।

25 करोड़ रुपये से कम टर्नओवर वाले स्टार्ट को आयकर से छूट

सरकार ने नव उद्यम यानी स्टार्ट अप को आयकर से छूट देने का अपना वादा तो पूरा कर दिया है लेकिन यह लाभ सिर्फ उन्हीं उद्यमों को मिलेगी जिनका सालाना टर्नओवर एक अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2021 के दौरान किसी भी वर्ष में 25 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है। अगर किसी स्टार्ट अप का कारोबार इस निर्धारित सीमा से बाहर हो जाता है तो उसे आयकर से छूट नहीं मिलेगी। वित्त विधेयक 2016 में संशोधन कर सरकार ने यह प्रावधान किया है। सरकार ने हालांकि स्टार्ट अप को टैक्स संबंधी एक प्रोत्साहन यह भी दिया है कि अब अगर कोई भी निवेशक किसी स्टार्ट अप में दो साल तक निवेश रखता है तो उसे कैपिटल गेन टैक्स नहीं देना होगा। इससे पूर्व स्टार्ट अप और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के निवेशकों को यह लाभ प्राप्त नहीं था। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब स्टार्ट अप इंडिया कार्यक्रम लांच किया था तो उस समय नवउद्यमों के लिए कई प्रोत्साहनों की घोषणा की थी।


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