होटल में चेक-इन जब मर्जी तब, लेकिन चेकआउट हमेशा 12 बजे...आप जानते हैं इसके पीछे का लॉजिक?
आपने गौर किया है होटल में चेक- इन आप जब मर्जी तब कर सकते हैं लेकिन चेक-आउट आपको दोपहर 12 बजे ही करना पड़ता है। कभी सोचा है इसके पीछे का लॉजिक? आखिर इस नियम को बनाने के पीछे होटल का क्या मकसद है अगर नहीं तो आज हम इसी के बारे में जानेंगे। जो थोड़ा इंटेस्टिंग होने के साथ अजीब भी है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। वेकेशन की प्लानिंग के दौरान होटल या होमस्टे तो आपने कभी न कभी बुक किया ही होगा। आपने इस बात पर कभी गौर किया है कि होटल्स में चेक-इन टाइम को लेकर कोई नियम- कानून नहीं होते, लेकिन चेकआउट टाइम फिक्स होता है दोपहर 12 बजे। आसान शब्दों में कहें तो बड़े या छोटे होटल्स किराया तो आपसे पूरे 24 घंटे का लेते हैं लेकिन कमरा आपको 24 घंटे के लिए नहीं मिलता है। आखिर इसके पीछे होटल्स का क्या लॉजिक है। अगर आप भी ढूंढ़ रहे हैं इस सवाल का जवाब, तो आज के लेख में हम इसी के बारे में विस्तार से जानने वाले हैं।
पहली वजह
होटल में चेकआउट टाइम 12 बजे रखने की कई सारी वजहें हैं। सबसे बड़ी कारण यह है कि इससे होटल के स्टाफ को कमरों की साफ- सफाई, बेडशीट, कवर के साथ और दूसरी जरूरी तैयारियों के लिए पूरा टाइम मिल जाता है। वहीं अगर कस्टमर्स लेट चेकआउट करते हैं, तो इससे इन तैयारियों के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता। जिसकी कई बार कस्टमर्स शिकायत भी करते हैं।
दूसरी वजह
वेकेशन के दौरान लोग आराम से उठना और तैयार होना पसंद करते हैं। उनके इसी कंफर्ट का ध्यान रखते हुए 12 बजे चेकआउट टाइम रखा जाता है, न कि सुबह 9 या 10 बजे। इससे वो आराम से रेडी हो सकते हैं और दूसरे मेहमानों को भी दिक्कत नहीं होती।
तीसरी वजह
12 बजे चेकआउट टाइम होटल्स इसलिए भी रखते हैं क्योंकि अगर चेकआउट लेट से होता है, तो सारी चीज़ों को जल्दी-जल्दी मैनेज करने के लिए होटल्स को ज्यादा एम्प्लाई रखने की जरूरत होती है। किसी एक स्टाफ पर पूरा काम नहीं छोड़ा जा सकता। जिससे उनका बजट बढ़ सकता है।
तो क्लीयर हो गया आपको होटल्स का ऐसा करने के पीछे का फंडा।
(अभिजीत घोष, यात्रा सलाहकार से बातचीत पर आधारित)
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