112 साल पहले आज ही के दिन सफर पर निकला था Titanic, चार दिन बाद ही समुद्र में समा गया करोड़ों में बना जहाज
आज से 112 साल पहले उस समय का बड़ा जहाज हजारों लोगों को साथ लेकर अपने पहले सफर पर निकला था। कौन जानता है था कि अपने पहले सफर पर निकले Titanic यह आखिरी सफर साबित होगा। 11 अप्रैल1912 में निकला यह जहाज फिर कभी लौट कर वापस न आ सका। जानते हैं टाइटैनिक के पहले और आखिरी सफर की पूरी कहानी।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। शायद ही कोई ऐसा हो, जिसने कभी टाइटैनिक (Titanic) का नाम न सुना हो। अपने समय के इस विशाल जहाज के साथ हुए दर्दनाक हादसे को इस हफ्ते 112 साल (112 years of titanic) पूरे होने वाले हैं, लेकिन आज भी इसके जख्म ताजा है। इस जहाज की कहानी आज भी भुलाई नहीं जा सकी है। समुद्र में डूबे इस जहाज के खंडहरों की खोज आज भी जारी है और आए दिन इससे जुड़ी कोई न कोई खबर लगातार सामने आती ही रहती है।
10 अप्रैल, 1912 को टाइटैनिक ने साउथेम्प्टन, इंग्लैंड से अपनी पहली यात्रा शुरू की थी, लेकिन किसे पता था कि उसकी यह पहली यात्रा आखिरी सफर में बदल जाएगा। जहार चलने के चार दिन बाद ही यह लक्जरी लाइनर एक आइसबर्ग यानी बर्फ के टुकड़े से टकराने के कुछ ही घंटों बाद डूब गया। इस दर्दनाक हादसे के 112 साल पूरे होने मौके पर आज जानते हैं इस हादसे जुड़ी सभी जानकारी के बारे में-
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करोड़ों में थी टाइटैनिक की कीमत
टाइटैनिक के लॉन्च होने तक ओलंपिक दुनिया का सबसे बड़ा जहाज था। हालांकि, बाद में टाइटैनिक, जो ओलंपिक से लगभग तीन इंच बड़ा और बहुत भारी था, दुनिया का सबसे बड़ा जहाज बन गया था। टाइटैनिक, जिसे बनाने में अनुमानित 7.5 मिलियन डॉलर यानी 62,41,67,250 रुपए की लागत आई थी। 882 फीट से थोड़ा अधिक लंबा था और इसका वजन 46,328 टन था। वहीं, इसकी अधिकतम गति 23 समुद्री मील थी।
पहली यात्रा बन गई आखिरी सफर
जब 10 अप्रैल, 1912 को यह रवाना हुआ, तो वह उस समय दुनिया सबसे बड़ा यात्री जहाज था और इसे कभी न डूबने जहाज माना जाता था। अपनी यात्रा के शुरू करने के ठीक चार दिन बाद, टाइटैनिक की पहली यात्रा एक अंतरराष्ट्रीय त्रासदी में बदल गई, जब जहाज उत्तरी अटलांटिक में एक बर्फ के टुकड़े से टकरा गया और इसके बाद तीन घंटे से भी कम समय में यह विशालकाय शिप जलमग्न हो गई है।
कैसे हुआ हादसा
अपनी पहली यात्रा का आनंद ले रहा टाइटैनिक का सफर उस समय हादसे में बदल गया है, जब रात करीब 11:30 बजे समुद्र से एक हिमखंड बाहर आता नजर आया। इसे देखते ही शिप पर मौजूद क्रू के लोगों ने
चेतावनी की घंटी बजाई और पुल पर फोन किया, जिसके बाद इंजनों को तुरंत पलट दिया गया और जहाज को तेजी से घुमाया गया। इस दौरान टाइटैनिक के आगे डेक से बर्फ के टुकड़ों की हल्की टक्कर हो गई।
हालांकि, उस समय क्रू मैंबर्स को इस टक्कर का अंदाजा नहीं था और न ही उन्हें इस बात का पता था कि बर्फ का एक बड़ा हिस्सा, जो समुद्र के नीचे मौजूद था, जहाज को नीचे से डैमेज कर चुका है। जब तक शिप के कैप्टन को इस नुकसान के बारे में पता चला, तब तक जहाज के पांच डिब्बों में पहले से ही समुद्री का पानी भर चुका था और फिर देखते ही देखते करीब डेढ़ घंटे में यह बड़ा सा जहाज विशाल समुद्र में समा गया है।
कई लोगों को गंवानी पड़ी अपनी जान
इस लग्जरी जहाज की पहली यात्रा में लगभग 2,220 लोग शामिल थे। इस हादसे के वक्त इतने लोगों को बचाने के लिए पर्याप्त जीवनरक्षक नौकाएं नहीं थीं, जिसकी वजह से इस दुर्घटना में 1,500 से अधिक लोगों की जान चली गई। इस तरह टाइटैनिक इतिहास का सबसे प्रसिद्ध जहाज दुर्घटना बन गया, जिसमें सिर्फ करीब 700 लोग जीवित बचे थे। इतिहास के इस सबसे बड़े और मशहूर हादसे पर हॉलीवुड में इसी नाम से एक फिल्म भी रिलीज हो चुकी है।
वायरल हुआ टाइटैनिक का 112 साल पुराना मेन्यू
इस हादसे को भले ही 112 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन आज भी इसका जिक्र अकसर सुनने को मिलता है। हाल ही में सोशल मीडिया पर टाइटैनिक की आखिरी रात का मेन्यू कार्ड वायरल हुआ था। इस मेन्यू कॉर्ड के मुताबिक इस दर्दनाक हादसे से पहले जहाज में सफर कर रहे फर्स्ट क्लास पैसेंजर्स के लिए चिकन, कॉर्न बीफ, सब्जियां, पकौड़े, ग्रिल्ड मटन, हैम पाई, सॉसेज पनीर और चीज सर्व किया गया था। वहीं, थर्ड क्लास के पैसेंजर्स को दलिया, अंडे परोसे गए थे। बता दें कि, टाइटैनिक का फूड मेन्यू ब्रिटेन में 84 लाख रुपए से भी ज्यादा में नीलाम हुआ है।
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