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Exam Tips: अपनी मर्जी से नहीं! इन 5 वजहों से एग्जाम में फेल हो जाते हैं बच्चे

कई बार बच्चे पूरे साल मेहनत करते दिखाई देते हैं लेकिन जब रिजल्ट आता है तो एग्जाम में फेल हो जाते हैं। ऐसे में सिर्फ माता-पिता के लिए ही नहीं बल्कि उनके खुद के लिए भी ये जानना काफी मुश्किल हो जाता है कि इसके पीछे क्या वजह हो सकती है। आइए आज इस आर्टिकल में आपको इस समस्या के पीछे छिपे कुछ बड़े कारण बताते हैं।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Published: Mon, 15 Apr 2024 10:18 PM (IST)Updated: Mon, 15 Apr 2024 10:18 PM (IST)
Exam Tips: क्यों बच्चों को एग्जाम में नहीं मिलता मेहनत के मुताबिक फल?

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Exam Tips: आज हम आपको बच्चों के एग्जाम में फेल होने या मेहनत के मुताबिक रिजल्ट में खरा नहीं उतरने के पीछे छिपे कुछ कारणों के बारे में बताएंगे। ऐसे में आप इन्हें ठीक करने की दिशा में काम कर सकते हैं। जाहिर-सी बात है कि माता-पिता के लिए ये लम्हा जितना स्ट्रेसफुल होता है, उससे कहीं ज्यादा फर्क बच्चों पर भी इसका पड़ता है। जी हां, भले ही वे दिखाते न हों, लेकिन ऐसा होने पर उनके आत्मविश्वास में काफी कमी आ जाती है, जिसका असर रोजमर्रा के कई कामों पर पड़ता है। तो इसलिए बेहतर है इसके कारणों को जान लेना।

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ट्यूशन पर निर्भर

सिर्फ बच्चे ही नहीं, कई बार माता-पिता भी ये समझने लगते हैं, कि बच्चे का ट्यूशन लगवा दिया है, अब काम खत्म। तो बता दें, कि ऐसा नहीं है। कई बच्चों को सिर्फ ट्यूशन या कोचिंग में ही पढ़ने या सीरियस रहने की आदत हो जाती है, जो आगे चलकर पढ़ाई से बोरियत या दूरी का कारण बनती है। ऐसे में ट्यूशन की छुट्टी होने पर बच्चे उसे पढ़ाई को हल्के में लेते हैं सिलेबस का रिवीजन भी सही ढंग से नहीं कर पाते हैं।

बेसिक क्लियर न होना

नई क्लास या सेमेस्टर के शुरुआती चैप्टर्स को अक्सर बच्चे हल्के में लेते हैं। ऐसे में पता ही नहीं लगता कि कब-कब में पढ़ाई पेंडिंग होती जाती है और बेसिक्स क्लियर न रहने पर आगे के चैप्टर भी सही से समझ नहीं आ पाते हैं। ऐसे में इस बात को दिमाग में बैठा लें, कि सिर्फ एग्जाम से पहले की कुछ रातों को काली करके अच्छे नंबर नहीं लाए जा सकते हैं, इसके लिए रोजाना की मेहनत जरूरी है।

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टीचर से सवाल न पूछना

टीचर जब पढ़ा रहे होते हैं, तो अक्सर बच्चे हां में सिर हिला रहे होते हैं। ऐसे में इसे झिझक कहें या डर, जो भी हो, लेकिन ये बच्चों की पढ़ाई में बहुत बड़ा रोड़ा बन सकता है। जरूरी है कि हर समस्या को ट्यूशन वाली दीदी या भैया पर न छोड़कर आप नहीं अपने टीचर से डिस्कस कर लें। हमेशा याद रखें कि जितने ज्यादा सवाल पूछेंगे उतना ही एग्जाम में फायदा देखने को मिलेगा।

नोट्स के भरोसे

कई बच्चे खुद नोट्स नहीं बनाते हैं, और ऐसे में अपने दोस्तों से नोट्स लेने के भरोसे रहते हैं। ऐसे में आपको बता दें, कि हर बच्चे का लिखने और समझने का तरीका अपने हिसाब से अलग-अलग होता है। ऐसा नहीं है कि आपका दोस्त, टीचर की कही हर बात को रोबोट की तरह नोट करके आपको दे सकता है। ऐसे में वे अपनी समझ के हिसाब से चीजों को लिखता है, जिसे एग्जाम के आखिरी मौके पर पढ़ने से आपके हाथ कन्फ्यूजन ही लगती है।

बच्चों पर दबाव

जी हां, हर गलती जाने अनजाने में बच्चे से ही नहीं होती है। वे एग्जाम में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं, तो इसके पीछे कई बार माता-पिता, भाई-बहन या रिश्तेदारों का भी दबाव होता है। अब रिश्तेदारों के दबाव को छोड़िए, लेकिन माता-पिता और भाई-बहन अपने अंदर सुधार जरूर कर सकते हैं। कोशिश करें, कि बच्चों के सामने बड़ी-बड़ी उम्मीदों को लेकर बात न करें और उन्हें पड़ोसी के बच्चे का उदाहरण बिल्कुल न दें। इससे उनकी परफॉर्मेंस और भी खराब हो जाती है।

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Picture Courtesy: Freepik


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