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चारा घोटाले में पूर्व मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती ने किया आत्मसमर्पण

सजल चक्रवर्ती ने कहा कि वे कोर्ट के आदेश पर उपस्थित हुए हैं। न्यायालय का आदेश मान्य होगा।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 23 May 2017 11:55 AM (IST)Updated: Wed, 24 May 2017 11:01 AM (IST)
चारा घोटाले में पूर्व मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती ने किया आत्मसमर्पण

जागरण संवाददाता, रांची। चारा घोटाले के आरोप में झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती ने सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शंभूलाल साव की अदालत में मंगलवार को आत्मसमर्पण किया। इसके बाद एक-एक लाख रुपये का बेल बांड भरा। सजल फिलहाल बेल पर हैं।

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सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आलोक में उन्होंने चाईबासा कोषागार से 37.70 करोड़ रुपये अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाला कांड संख्या आरसी 20ए/96 में आत्मसमर्पण किया। इस मामले में सीबीआइ के विशेष अदालत से 30 सितंबर 2013 को फैसला सुनाया जा चुका है। सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने बताया कि सजल चक्रवर्ती के खिलाफ आरोप था कि उपायुक्त रहते हुए उन्होंने कोषागार पर कोई नियंत्रण नहीं रखा।

घोटाले के रूप में कोषागार से राशि निकलती गई, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया। इसके अलावा एक आपूर्तिकर्ता से अपने घर में कंप्यूटर लिया था। - लालू-जगन्नाथ को सुनाई जा चुकी है सजा चारा घोटाला कांड संख्या आरसी 20ए/96 से संबंधित जिस मामले में सजल चक्रवर्ती ने आत्मसमर्पण किया, उस मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, जगन्नाथ मिश्रा सहित अन्य आरोपियों को दोषी पाए जाने के बाद तीन अक्टूबर-2013 को सजा सुनाई गई थी।

मूल अभिलेख हो चुका है निष्पादित:

मूल अभिलेख का निष्पादन अक्टूबर 2013 में हुआ था। इसके निष्पादन के पूर्व झारखंड हाई कोर्ट ने सजल चक्रवर्ती के आरोप को निरस्त कर दिया था। सीबीआइ ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद सजल चक्रवर्ती पर मुकदमा चलाने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में सजल चक्रवर्ती ने चारा घोटाले के इस मामले में आत्मसमर्पण किया है। विशेष न्यायाधीश की अदालत में अब सुनवाई शुरू होगी। अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए छह जून की तिथि निर्धारित की है। इसके पूर्व उनके निष्पादित अभिलेख को झारखंड हाई कोर्ट से सीबीआइ के विशेष कोर्ट में मंगाया जाएगा।

एक मामले में हाई कोर्ट से सजल हुए हैं बरी:

सजल की ओर से अधिवक्ता एके मित्रा और प्रितांशु कुमार सिंह ने न्यायालय में पक्ष रखा। प्रितांशु कुमार ने बताया कि चारा घोटाले के समय सजल चक्रवर्ती वर्ष 1992 से 95 के बीच चाईबासा के उपायुक्त थे। उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2011 में चारा घोटाला कांड संख्या 51ए/96 में सीबीआइ के विशेष कोर्ट ने फैसला सुनाया था। मामले में सीबीआइ कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए उन्हें सजा सुनाई थी। बाद में हाई कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था। इस मामले में तीन लैपटॉप खरीदने का आरोप था।

एक मामले में 30 मई को उपस्थित होने का है आदेश:

चारा घोटाले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा व झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती को चारा घोटाला से संबंधित एक मामले में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एसएस प्रसाद की अदालत में 30 मई को उपस्थित होने की तिथि निर्धारित है। चारा घोटाला कांड संख्या आरसी 68ए/96 में दोनों के खिलाफ समन जारी किया गया है। यह मामला चाईबासा कोषागार से 33 करोड़ रुपये अवैध निकासी से संबंधित है।

कोर्ट का आदेश मान्य होगा:

सजल आत्मसमर्पण के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए सजल चक्रवर्ती ने कहा कि वे कोर्ट के आदेश पर उपस्थित हुए हैं। मामला कोर्ट में चल रहा है, इसलिए बहुत कुछ नहीं कह सकते हैं। न्यायालय का आदेश मान्य होगा।

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