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Jammu Kashmir News: यूं ही कश्मीर में दो कदम पीछे नहीं खींच रही भाजपा, उम्मीदवार न उतारने की ये है वजह

केंद्रीय गृमहंत्री अमित शाह (Jammu Kashmir News) ने मंगलवार को अपने कश्मीर दौरे के दौरान पार्टी की रणनीति की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा था कि भाजपा को कश्मीर में कमल खिलाने की जल्दबाजी नहीं है। अब सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है कि आखिर राजनीति के चाणक्य ने ऐसा क्यों कहा? दरअसल बीजेपी की नेकां पीडीपी को मात देने के लिए सहयोगी दलों को आगे रखने की रणनीति है।

By naveen sharma Edited By: Monu Kumar Jha Published: Fri, 19 Apr 2024 03:09 PM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2024 03:09 PM (IST)
Lok Sabha Chunav 2024: कश्मीर में उम्मीदवार न उतारने के पीछे भाजपा की जानें रणनीति। फाइल फोटो

नवीन नवाज,श्रीनगर। (Jammu Kashmir Lok Sabha Election 2024 Hindi News) कश्मीर की चुनावी जंग से फिलहाल भाजपा स्वयं को अलग कर चुकी है। हालांकि अपने सहयोगी दलों को परोक्ष समर्थन देने की रूपरेखा भी तैयार हो चुकी है। विरोधी कश्मीर के मैदान से हटने का आरोप लगा रहे हैं पर पार्टी के रणनीतिकार इसे लंबी छलांग के लिए दो कदम पीछे लेने की रणनीति करार दे रहे हैं।

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कश्मीर में कमल खिलाने की जल्दबाजी नहीं भाजपा- अमित शाह

यहां बता दें कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने मंगलवार को जम्मू (Jammu News) में चुनावी सभा में साफ संकेत दे दिया था कि भाजपा को कश्मीर में कमल खिलाने की जल्दबाजी नहीं है। उन्होंने आगे कहा था कि बस एक बात याद रखें, नेशनल कॉन्फ्रेंस (National Conference), पीडीपी (PDP News) या कांग्रेस (Congress News) जैसी परिवारवादी पार्टियों को वोट मत दें।

स्पष्ट है कि भाजपा (Jammu Kashmir BJP) कश्मीर में पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी और गुलाम नबी की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) का प्रत्यक्ष या परोक्ष समर्थन दे सकती है। अनंतनाग-राजौरी सीट पर नामांकन हो चुका है और श्रीनगर (Srinagar News) के लिए भी नामांकन आरंभ हो चुका है पर पार्टी पूरी रणनीति पर चुप्पी साधे बैठी है।

भाजपा की नजर जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव पर

पार्टी की यह बदली रणनीति उन तमाम विशेषज्ञों को चौंका सकती है जो दो वर्ष से कश्मीर में भाजपा की गतिविधियों पर लगातार नजर लगाए हुए थे। जानकार बताते हैं कि नीति में यह बदलाव एकाएक नहीं है। पार्टी की निगाह जम्मू-कश्मीर में निकट भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनाव पर हैं। वह चाहेगी कि कश्मीर में जिन दलों को वह परोक्ष समर्थन दे रही है, विधानसभा चुनाव में वह उसकी मदद करें। यह दल नेकां और पीडीपी के मुकाबले भले ही छोटे हों पर खास वोट बैंक में दखल रखते हैं।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने ऊधमपुर की चुनावी रैली में भाजपा नेताओं को साफ बता दिया था कि अब विधानसभा चुनाव की तैयारी करें। ऐसे में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Chunav 2024) को विधानसभा चुनाव की तैयारी के रूप में देखा जा सकता है। जम्मू में भाजपा के लिए अपने स्तर पर तैयारी परखने का अवसर है और कश्मीर में अपनी जड़ें मजबूत करने का अतिरिक्त समय है। कश्मीर में कमल खिलाए बिना अपने दम पर जम्मू कश्मीर मे सरकार बनाना भाजपा के लिए आसान नहीं है।

यूं समझें कश्मीर का सियासी गणित

कश्मीर से जुड़ी तीनों सीटें मुस्लिम बहुल हैं। अनंतनाग-राजौरी (Anantnag-Rajouri Seat 2024) और बारामुला लोकसभा क्षेत्र (Baramulla Lok Sabha Seat 2024) में भाजपा ने अच्छी पैठ बनाई है। यहां जनजातीय आबादी ज्यादा है, पर वह चाहेगी कि किसी भी कीमत पर आइएनडीआइए के सहयोगी दलों को रोक सके। पार्टी नेताओं की सज्जाद गनी लोन (Sajjad Ghani Lone) के नेतृत्व वाली पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी की जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी से बैठक भी हो चुकी है।

अनंतनाग-राजौरी से गुलाम नबी आजाद, बारामुला से सज्जाद लोन ओर श्रीनगर से अपनी पार्टी को समर्थन की तैयारी थी पर आजाद की आनाकानी के बाद रणनीति बदलनी पड़ रही है। यह भी प्रयास हो किया गया कि यह दल एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में प्रत्याशी न उतारें। इन तीनों सीटों पर नेकां और पीडीपी भी चुनाव लड़ रही है।

कश्मीर में विधानसभा की 47 सीटें हैं और जम्मू में 43

भाजपा चाहेगी कि कश्मीर की परिवारवादी पार्टियों को उनके गढ़ में मात मिल सके। साथ ही विधानसभा चुनाव (Jammu Kashmir Assembly Elections 2024) में यह दल उसका साथ दें। कश्मीर में विधानसभा की 47 सीटें हैं और जम्मू में 43 सीटें हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव में कश्मीर में समर्थन जुटाना पार्टी के लिए अहम होगा। ऐसे में पार्टी ज्यादा ध्यान कश्मीर में आधार मजबूत करने पर करेगी।

भाजपा लोकसभा चुनाव में कश्मीर की तीन सीटों पर अपने प्रत्याशी नहीं उतारने जा रही है तो इसे ऐसे समझा जा सकता है कि लंबी छलांग लगाने के लिए दो-चार कदम पीछे हटना पड़ रहा है। भाजपा कि नजर विधानसभा चुनाव पर टिकी हैं। वह लोकसभा चुनाव में भाग लेकर अपने विरोधियों को कश्मीर में अपनी स्थिति का आकलन करने का मौका नहीं देना चाहेगी।

आसिफ कुरैशी, कश्मीर मामलों के जानकार

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