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Sirmaur: शाही अंदाज से मनाया जाता है माघी त्‍योहार, एक हफ्ते तक चलती है रॉयल पार्टी; इस प्रथा के बिना अधूरा है जश्‍न

Maghi Festival सिरमौर के ट्रांसगिरी में माघी त्‍योहार शुरू हो गया है। त्यौहार को शाही अंदाज में मनाते हुए यहां पर एक सप्ताह तक प्रत्येक घर में बकरा काटकर उसके मीट की पार्टी दी जाती है। एक सप्ताह तक रिश्तेदारों गांव और आसपास के लोगों को घर पर बकरे का मीट खाने के लिए भी बुलाया जाता है। ट्रांसगिरी क्षेत्र में यह परंपरा कई दशकों से चली आ रही है।

By Jagran News Edited By: Himani Sharma Published: Fri, 12 Jan 2024 05:09 PM (IST)Updated: Fri, 12 Jan 2024 05:09 PM (IST)
शाही अंदाज में मनाया जाता है माघी त्‍योहार (सोशल मीडिया)

जागरण संवाददाता, नाहन। पूरे देश भर में माघी त्योहार को अलग-अलग नाम तथा अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। वहीं जिला सिरमौर के ट्रांसगिरी क्षेत्र में माघी त्योहार (Maghi Festival) को शाही अंदाज में मनाते हुए यहां पर एक सप्ताह तक प्रत्येक घर में बकरा काटकर उसके मीट की पार्टी दी जाती है। एक सप्ताह तक रिश्तेदारों, गांव और आसपास के लोगों को घर पर बकरे का मीट खाने के लिए भी बुलाया जाता है।

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हर घर में काटा जाता है बकरा

ट्रांसगिरी क्षेत्र में यह परंपरा कई दशकों से चली आ रही है। मगर अब यह गरीब जनता के लिए काफी खर्च का त्यौहार हो गया है, क्योंकि वर्तमान में एक बकरे की कीमत 20 हजार रुपए से लेकर 50 हजार रुपए तक है। ट्रांस गिरी के प्रत्येक घर को कम से कम एक बकरा तो माघी त्यौहार में काटना ही पड़ता है। सिरमौर जिला के ट्रांसगिरी क्षेत्र में 155 पंचायतें आती हैं। इन 155 पंचायतो में 40 हजार से अधिक परिवार रहते हैं।

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पारंपिक व्‍यंजन भी किए जाते हैं तैयार

गरीब तथा निम्न जाति के परिवारों को कम से कम एक बकरा अवश्य काटना होता है। जबकि उच्च श्रेणी तथा सुविधा संपन्न लोग 2 से 3 बकरों को माघी त्योहार पर काटते हैं। एक सप्ताह तक मनाए जाने वाले इस माघी त्योहार पर जहां गांव में पार्टियों का दौर चलता है। वहीं मीट ना खाने वाले लोगों के लिए लुश्के, पटानडे, असकली, सिडकु, गेहूं चावल का मुड़ा आदि पारंपरिक व्यंजन भी तैयार किए जाते हैं।

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मेहमानों के लिए पार्टी

जिला सिरमौर के ट्रांसगिरी क्षेत्र में आंजभोज, शिलाई, श्री रेणुकाजी, संगडाह, हरिपुरधार, नोहराधार और राजगढ़ ब्लॉक आते हैं। ट्रांसगिरी के गरीब तथा निम्न जाति के जो लोग बकरा नहीं खरीद सकते, वह खड्डू और सूअर का मीट खरीद कर लाते हैं, फिर उन्हें अपने मेहमानों के लिए पार्टी देनी होती है। बदलते परिवेश में भी यह परंपरा अभी तक ट्रांस गिरी के लोगों ने कायम रखी हुई है।


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