धर्मशाला से सुधीर, छिटकी दावेदारों की भीड़
राकेश पठानिया, धर्मशाला
धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र से बैजनाथ के निवर्तमान विधायक सुधीर शर्मा की टिकट पर मुहर के साथ ही कांग्रेस के दावेदारों की भीड़ अब छिटक गई है। इस विस क्षेत्र से करीब डेढ़ दर्जन दावेदारों की फेहरिस्त में एक लंबे समीकरणों की दावेदारी से प्रत्याशी टिकट के लिए आवेदकों में थे लेकिन हाईकमान के फैसले ने इन समीकरणों को एक तरफ कर केवल पार्टी के नाम पर मुहर लगाकर कार्यकर्ताओं को सकते में डाल दिया है।
हाईकमान के फैसले से केवल चंद्रेश समर्थकों को ही नहीं बल्कि उनके विरोधियों को भी झटका लगा है। चंद्रेश के खिलाफ वीरभद्र सहित कौल सिंह खेमा भी एकजुट हो गया था कि उनके अलावा किसी को भी टिकट दे दिया जाए, सभी एकजुटता से उसका समर्थन करेंगे। लेकिन मैडम ने अपनी हाईकमान की पकड़ का इजहार धर्मशाला के कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को करवा दिया है कि अगर वह या उनका कोई करीबी नहीं तो यहां का कोई प्रत्याशी भी नहीं। अब आलम यह है कि सुधीर शर्मा को बैजनाथ से धर्मशाला का जिम्मा सौंपा गया है। धर्मशाला में अब तक रहे नौ विधायकों में से केवल दो विधायक राजपूत समुदाय से रहे हैं। पहले विधायक चंद्रवर्कर व सातवीं विधायक चंद्रेश कुमारी। शेष सभी विधायक गद्दी समुदाय से ही रहे हैं। 1998 के चुनाव में यहां कांग्रेस प्रत्याशी रामस्वरूप भी ब्राह्माण समुदाय से थे, लेकिन वह चुनाव हार गए थे। उन्हें 39 फीसद मत मिले थे, जबकि भाजपा प्रत्याशी किशन कपूर 48.94 मत लेकर तीसरी बार विधायक बने थे। इस बार सुधीर शर्मा भी ब्राह्मण समुदाय से हैं और उनके मुकाबले में वर्तमान सरकार के उद्योग मंत्री व भाजपा के प्रत्याशी किशन कपूर हैं। धर्मशाला से कांग्रेस प्रत्याशियों की सशक्त दावेदारी में पार्टी के पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष दिग्विजय पुरी, मनोज कुमार, विपिन कटोच व चंद्रेश कुमारी थे। इन चार प्रत्याशियों के नाम की हाईकमान में चर्चा भी हुई। यहां चंद्रेश कुमारी को जोधपुर से सांसद होने के कारण जब इस संग्राम से पीछे हटना पड़ा तो दिग्विजय पुरी के जनाधार व मनोज कुमार के गद्दी समुदाय से ताल्लुक रखने और विपिन कटोच के धर्मशाला पंचायत समिति के सदस्य होने पर मजबूत दावेदार के रूप में चर्चा हुई। लेकिन अंत में दोनों को ही इस दौड़ से बाहर होना पड़ा। शेष अन्य कई दावेदार केवल आवेदनों तक ही सिमट कर रह गए। वहीं, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पप्पी ने कहा है कि हाईकमान का फैसला सर्वमान्य है। वहीं, पूर्व अध्यक्ष दिग्विजय पुरी ने कहा है कि उनके कार्यकर्ता ही आगे का फैसला सुनाएंगे।
धर्मशाला के विधायक
1972 प्रो. चंद्रवर्कर कांग्रेस
1977 बृजलाल जनता पार्टी
1982 बृजलाल भाजपा
1985 मूलराज पाधा कांग्रेस
1990 किशन कपूर भाजपा
1993 किशन कपूर भाजपा
1998 किशन कपूर भाजपा
2003 चंद्रेश कुमारी कांग्रेस
2007 किशन कपूर भाजपा
2012 ? ?
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