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सिखों की पहली राजधानी लौहगढ़ की जल्द हो कायापलट : बलदेव

संवाद सहयोगी, बिलासपुर : कपालमोचन स्थित पहली व दसवीं पातशाही गुरुद्वारा साहिब में सिख समाज की

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Nov 2017 11:13 PM (IST)Updated: Wed, 15 Nov 2017 11:13 PM (IST)
सिखों की पहली राजधानी लौहगढ़ की जल्द हो कायापलट : बलदेव

संवाद सहयोगी, बिलासपुर : कपालमोचन स्थित पहली व दसवीं पातशाही गुरुद्वारा साहिब में सिख समाज की एक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक अध्यक्षता एसजीपीसी के वरिष्ठ उपप्रधान बलदेव ¨सह कायमपुर ने की। बलदेव ¨सह ने कहा कि सिखों की पहली राजधानी के रूप में स्थापित लौहगढ़ की कायापलट जल्द की आरंभ हो जाएगी। जिसके लिए एसजीपीसी की ओर से लगभग दस एकड़ जमीन को खरीद कर आगामी 21 नवंबर को गुरुद्वारा व लंगर हाल के निर्माण के लिए आधार शीला रखी जाएगी। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में एसजीपीसी के प्रधान कृपाल ¨सह मुख्य रूप से शिरकत करेंगे। निर्माण कार्य दिल्ली कार सेवा बाबा सुखा सिंह, हरबंस ¨सह, बाबा बचन ¨सह दिल्ली कार सेवा दिल्ली की सेवा द्वारा पूर्ण करवाया जाएगा। पहले चरण में निर्माण कार्य के लिए लगभग डेढ़ करोड़ रुपये की राशि आ गई है। इसके पश्चात लौहगढ़ में सिख युवाओं को सिख इतिहास से परिचित करवाने के लिए मार्शल आर्ट म्यूजियम, शस्त्र चलाना, तलवार बाजी, घुड़सवारी, निशानेबाजी, गत्तका सहित अनेक प्रशिक्षण प्रदान किए जाएंगे। कार्यक्रम में वर्तमान में सिख इतिहास के बारे में सोशल मीडिया व समाज में फैली गलत भ्रांतियों को दूर करने के लिए साहित्यकार युवाओं को सिख इतिहास के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। बलदेव ¨सह ने बताया कि गुरू द्वारा व लंगर के साथ अन्य निर्माण कार्य क्षेत्र की बाहरी दीवार का निर्माण प्राचीन लौहगढ़ किले के दीवार तरह किया जाएगा। बलदेव ¨सह ने बताया कि लौहगढ़ के लिए एसजीपीसी की तरफ से सवा करोड़ रूपये की पहली किस्त कार्य आरंभ करने के लिए आ चुकी है। इसके बाद करोड़ों रुपये खर्च कर यहा पर लौहगढ़ के प्राचीन मुखलिस किले के समान उसी स्वरूप में नया गुरु घर बनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि 21 नवंबर को लौहगढ़ में शब्द कीर्तन व भंडारे का भी आयोजन किया जा रहा है। लौहगढ़ जाने के लिए नदी के रास्ते से होकर जाना पड़ता है। उन्होंने कई बार सरकार से मांग कि है कि लौहगढ़ नदी पर पुलिया बनाई जाए ताकि श्रद्धालुओं को लौहगढ़ पहुंचने में परेशानी न हो। बलदेव ¨सह ने कहा कि बाबा बंदा ¨सह बहादुर का नाम पहले माधो दास था। नांदेड़ के समीप गुरु गो¨बद ¨सह ने बंदा ¨सह को अमृत छकाने के बाद पांच तीर, 25 झुझारू सिख वीर देकर पंजाब की तरफ रवाना किया था। ताकि वह छोटे साहिबजादों को दीवार में चुनावाने वाले जल्लादों व अत्याचारी मुगलों से आम जनमानस को बचा सके। बंदा ¨सह ने जिला पानीपत के समीप से हरियाणा प्रदेश में प्रवेश किया था इसके पश्चात कैथल, लाडवा, शाहबाद, मुस्तफाबाद, कपूरी कलां, साढौरा, मुलाना होते हुए पंजाब में अत्याचारी मुगल शासकों का अंत किया। बंदा ¨सह ने भूमि सुधार कानून, किसानों को उनकी जमीनों का मालिकाना हक दिलाना , सिख साम्राज्य का सिक्का व मोहर चलाना जैसे अनेक कार्य किए। इस मौके पर गुरप्रीत ¨सह, जरनैल ¨सह, सुरेन्द्र ¨सह, जसवंत ¨सह, अवतार ¨सह, नरेन्द्र ¨सह, जसपाल भट्टी सहित अनेक सिख संगत मौजूद रही।


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