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Holi 2024: ...तो इस कारण कैथल के गांव दुसेरपुर में 165 सालों से नहीं मनाया जाता होली का त्योहार

जहां एक तरफ देशभर में होली का त्योहर बड़े धूमधाम के साथ मनाया मनाया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर हरियाणा के कैथल जिले के उपमंडल गुहला के गांव दुसेरपुर में 165व सालों से होली नहीं मनाई जा रही है। जी हां! बात चौंकाने वाली है। यहां जिस दिन लोग हर्षोल्लास के साथ होली मना रहे थे उस दिन एक घटना घटी जिसके बाद से कभी होली नहीं मनी।

By Jagran News Edited By: Monu Kumar Jha Published: Sun, 24 Mar 2024 05:38 PM (IST)Updated: Sun, 24 Mar 2024 05:38 PM (IST)
Holi 2024: गुहला के गांव दुसेरपुर में पिछले 165 सालों से नहीं मनाया जाता होली का पर्व। फाइल फोटो

पंकज आत्रेय, गुहला-चीका (कैथल)। उपमंडल गुहला के गांव दुसेरपुर में होली (Holi 2024) के हर्षोल्लास पर भी सन्नाटा पसरा है। यहां 165 सालों से होली का पर्व नहीं मनाया जाता। ग्रामीणों के अनुसार एक दिन गांव में ऐसी घटना घटी, जिसने उनकी होली मनाने की सारी उम्र की खुशियां ही छीन ली। जिस दिन घटना घटी उस दिन गांव के लोगों में होली मनाने के लिए हर्षोल्लास था।

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बाबा श्रीराम स्नेही ने नहीं चाहते थे हो होलिका दहन

लोगों ने एक स्थान चुनकर होलिका दहन (Holika Dahan) की तैयारी कर रखी थी। होलिका दहन के निश्चित समय से पहले गांव के ही कुछ युवा होलिका दहन करने लगे। इसी दौरान वहां मौजूद बाबा श्रीराम स्नेही ने उन्हें समय से पहले होलिका दहन करने से रोकना चाहा। बाबा छोटे कद के थे।

समय से पहले ही कर दिया था होलिका दहन

वहां पर मौजूद युवा न केवल उसके छोटे कद का मजाक उड़ाने लगे, बल्कि उन्होंने समय से पहले ही होली का दहन भी कर दिया, जिस पर उक्त बाबा आग बबूला हो गया और उन्होंने जलती होली में ही छलांग लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। बाबा ने होलिका में जलते-जलते गांव के लोगों को श्राप भी दे दिया कि आज के बाद इस गांव में होली नहीं मनेगी।

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किसी ने होली मनाई तो उसे इसका खमियाजा भुगतना पड़ेगा। लोगों ने बाबा से गलती के लिए माफी मांगी, परंतु बाबा ने माफी देने से इन्कार कर दिया। गांव वालों को श्राप से मुक्त होने का वरदान देते हुए बाबा ने कहा कि होली वाले दिन गांव में किसी भी ग्रामीण की गाय को बछड़ा और किसी भी बहू को एक ही समय पर लड़का पैदा होगा तो उस दिन के बाद गांव के लोग स्वत: ही श्राप से मुक्त हो जाएंगे।

बाबा ने जलती होली में ही छलांग लगाकर दे दी थी जान 

जहां प्राण त्यागे वहीं बना दी बाबा की समाधि गांव के लोगों ने बताया कि यह कहकर बाबा तो परलोक सिधार गए, परंतु 165 वर्ष बीत जाने के बाद आज तक गांव में होली का पर्व नहीं मनाया गया।

उन्होंने बताया कि घटना के बाद उसी स्थान पर बाबा की समाधि बना दी गई और लोगों ने उसकी पूजा करनी शुरू कर दी। अब जब भी गांव में कोई शुभ कार्य होता है तो ग्रामीण सबसे पहले बाबा की समाधि पर जाकर माथा टेकते हैं।

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