Move to Jagran APP

अशोक गहलोत और सुखजिंदर सिंह रंधावा की मनमानी ने राजस्थान में डुबोई कांग्रेस की नैया! कांग्रेस आलाकमान ने गिनाए हार के कारण

राजस्थान चुनाव में कांग्रेस को मिली हार पर पार्टी आलाकमान ने प्रारंभिक तौर पर अशोक गहलोत और सुखजिंदर सिंह रंधावा की मनमानी को एक बड़ा कारण माना है। रंधावा के खिलाफ आलाकमान तक शिकायत पहुंची है कि अन्य नेताओं को दरकिनार कर उन्होंने अधिकांश फैसले गहलोत की मर्जी से किए थे। यहां तक की कई फैसलों में तो प्रदेशाध्यक्ष तक को शामिल नहीं किया गया ।

By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarPublished: Mon, 11 Dec 2023 03:25 PM (IST)Updated: Mon, 11 Dec 2023 03:25 PM (IST)
राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बाद पार्टी कड़े फैसले लेने की तैयारी कर रही।(फोटो सोर्स: जागरण)

जागरण संवाददाता,जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद अब पार्टी आलाकमान कार्यवाहक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को प्रदेश की राजनीति से दूर कर राष्ट्रीय स्तर पर उनका उपयोग करने पर विचार कर रहा है। प्रदेश में पार्टी की कमान पूरी तरह से पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट व प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को सौंपने को लेकर पार्टी आलाकमान ने मानस बनाया है।

loksabha election banner

पायलट और डोटासरा के साथ पंजाब के पूर्व प्रभारी हरीश चौधरी,गुजरात के पूर्व प्रभारी रघु शर्मा व आदिवासी नेता महेंद्र मालवीय को प्रदेश में पहले से अधिक सक्रिय करने की तैयारी है। कांग्रेस के एक राष्ट्रीय महासचिव ने बताया कि राजस्थान में पार्टी की हार के बाद प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को भी हटाने पर विचार हो रहा है।

'गहलोत और रंधावा की मनमानी जिम्मेदार'

आलाकमान ने प्रारंभिक तौर पर पार्टी की हार के लिए गहलोत और रंधावा की मनमानी को एक बड़ा कारण माना है। रंधावा के खिलाफ आलाकमान तक शिकायत पहुंची है कि अन्य नेताओं को दरकिनार कर उन्होंने अधिकांश फैसले गहलोत की मर्जी से किए थे।

यहां तक की कई फैसलों में तो प्रदेशाध्यक्ष तक को शामिल नहीं किया गया । आरोप है कि गहलोत ने रंधावा को साधने के लिए उनके करीबी स्वजन परमजीत सिंह रंधावा को गुरू नानक देव कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर राजयमंत्री का दर्जा दिया था। साथ ही संगठन और सरकार में कई नियुक्तियां रंधावा की मर्जी से हुई थी।

वरिष्ठ नेताओं को चुनाव अभियान से दूर रखा गया

इस महासचिव ने बताया कि गहलोत व रंधावा ने पायलट सहित प्रदेश के अधिकांश वरिष्ठ नेताओं को चुनाव अभियान की रणनीति तैयार करने की प्रक्रिया से दूर रखा था। यहां तक की प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा को भी निर्णय लेने के बाद जानकारी दी जाती थी। चुनाव अभियान का जिम्मा पार्टी संगठन के स्थान पर एक निजी कंपनी को सौंप दिया गया।

वरिष्ठ नेताओं की बैठकों में गहलोत व रंधावा इस कंपनी के प्रबंध संचालक को बैठाने थे। इस कंपनी ने प्रचार सामग्री में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी,राहुल गांधी,पायलट व डोटासरा के स्थान पर केवल गहलोत के नाम और फोटो को अधिक प्राथमिकता दी। जबकि जाट और गुर्जर बहुल क्षेत्रों में गहलोत के प्रति नाराजगी अधिक थी।

पायलट व डोटासरा के फैसलों को दिया जाएगा महत्व

अब लोकसभा चुनाव से पहले आलाकमान जाट,गुर्जर,मुस्लिम ब्राहम्ण मतदाताओं को साधने के लिए पायलट,डोटासरा,शर्मा,जुबेर खान व रफीक खान का उपयोग करेगा। पायलट व डोटासरा को फैसलों में महत्व दिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार दिसंबर में विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता,उप नेता व सचेतक के साथ ही प्रदेशाध्यक्ष पदों पर नई नियुक्तियां होगी । उसके बाद जिला स्तर पर बदलाव किया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.