261 नगर निगम उम्मीदवारों पर आयोग की गाज, नहीं दिए थे चुनाव खर्च का ब्यौरा
2013 में आयोग ने सभी को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया कि क्यों नहीं आपके चुनाव लडऩे पर छह साल का प्रतिबंध लगा दिया जाए। कुछ उम्मीदवारों ने तो यह नोटिस लिया ही नहीं।
नई दिल्ली [ संजीव गुप्ता ] । प्रमुख राजनीतिक दल 2017 के नगर निगम चुनाव में किसका पत्ता काटते हैं और किसका नहीं, यह तो अभी रहस्य ही है। अलबत्ता राज्य चुनाव आयोग ने 261 भावी उम्मीदवारों का पत्ता अवश्य काट दिया है। छह साल की रोक लगने के कारण इनमें से कोई भी अबकी बार चुनाव नहीं लड़ पाएगा।
जानकारी के मुताबिक इन सभी 261 प्रत्याशियों ने 2012 में नगर निगम का चुनाव लड़ा था। लेकिन चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के अरसे बाद भी राज्य चुनाव आयोग को अपने चुनाव खर्च का कोई ब्यौरा नहीं दिया। आयोग की ओर से इन्हें कई बार कहा गया पर इन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया।
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हारकर 2013 में आयोग ने सभी को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया कि क्यों नहीं आपके चुनाव लडऩे पर छह साल का प्रतिबंध लगा दिया जाए। कुछ उम्मीदवारों ने तो यह नोटिस लिया ही नहीं।
कुछ ने नोटिस ले लिया लेकिन उसका जवाब नहीं दिया। इसी वजह से तत्कालीन राज्य चुनाव आयुक्त राकेश मेहता ने सभी 261 उम्मीदवारों को छह वर्ष तक चुनाव लडऩे के लिए अयोग्य करार दे दिया।
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राज्य चुनाव आयोग के फैसले को तब तो शायद इन उम्मीदवारों ने गंभीरता से लिया नहीं, लेकिन अब इनके लिए समस्या होने वाली है। वह इसलिए क्योंकि राज्य चुनाव आयोग के उप सचिव गिरिश पांडे ने अयोग्य करार दिए गए इन उम्मीदवारों की सूची सभी 272 वार्डों के रिटर्निंग अधिकारियों को प्रेषित कर दी है।
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इस सूची के साथ उन्होंने 27 मार्च 2017 का हस्ताक्षरित एक पत्र भी भेजा है, जिसमें लिखा है कि उक्त उम्मीदवार अभी प्रतिबंधित काल में चल रहे हैं, इसलिए दक्षिणी, पूर्वी और उत्तरी दिल्ली नगर निगम कहीं से भी चुनाव नहीं लड़ सकते।
सूत्रों की मानें तो राज्य चुनाव आयोग का यह आदेश प्रतिबंधित उम्मीदवारों में खलबली मचा सकता है। संभव है कि इनमें से कुछ चुनाव लडऩे के लिए अदालत की शरण में चले जाएं।
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हालांकि अब इन्हें अदालत से राहत मिलने की भी कोई उम्मीद नहीं है। वजह, एक तो इनकी अयोग्यता दिल्ली गजट में प्रकाशित हो चुकी है। दूसरे, चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, समय बहुत कम है।
प्रतिबंध हटाया जाना असंभव
इन सभी उम्मीदवारों को छह साल के लिए अयोग्य करार दिए जाने का निर्णय पूर्णत: विधिसम्मत तरीके से लिया गया है। गजट अधिसूचना को भी चार साल हो गए हैं। इसलिए अब कुछ नहीं हो सकता। हां, इससे अन्य उम्मीदवारों को एक सीख और सबक अवश्य मिलेगा।
-राकेश मेहता, पूर्व आयुक्त, राज्य चुनाव आयोग।
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