मेट्रो विस्तार की बढ़े रफ्तार तो तीन राज्यों के लोगों को होगा फायदा, अभी NCR में कनेक्टिविटी का ऐसा है हाल
एनसीआर के शहरों में अब भी मेट्रो कनेक्टिविटी की बेहतर सुविधा नहीं है। एनसीआर में मेट्रो नेटवर्क का विस्तार तेजी से किए जाने की मतदाताओं की आकांक्षा है ताकि अवागमन की सुविधा बेहतर होने के साथ ही एनसीआर के शहर आर्थिकी के पथ पर भी तेज गति से दौड़ सकें लेकिन एनसीआर में मौजूद मेट्रो के कुल नेटवर्क को मिलाकर भी यह लक्ष्य अब तक हासिल नहीं हो पाया है।
रणविजय सिंह, नई दिल्ली। तेज गति से विकास के लिए आसपास के बड़े शहरों के बीच सुगम, सुलभ और आरामदायक कनेक्टिविटी जरूरी है। महानगरीय परिवहन के रूप में मेट्रो सबसे विश्वसनीय माध्यम बनकर उभरा है। जिसे एनसीआर के शहरों के बीच की दूरी कम हुई है और आवागमन का समय कम हुआ है।
मेट्रो ने एनसीआर के लोगों को यातायात जाम की समस्या से रहित समय पर गंतव्य तक पहुंचाने का भरोसा दिया है। फिर भी एनसीआर के शहरों के बीच बेहतर कनेक्टिविटी के लिए जिस गति से मेट्रो का विस्तार होना चाहिए वह नहीं हो पाया। जिससे लोगों को आवागमन में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
ऐसे में एनसीआर में तेज रफ्तार से मेट्रो नेटवर्क के विस्तार की जरूरत है। इससे एनसीआर के शहरों के बीच अवागमन की सुविधा तो बेहतर होगी हीं, एनसीआर आर्थिक पथ पर भी तेज गति से कुलांचे भरेगा।
दिल्ली मेट्रो के विस्तार की धीमी पड़ी रफ्तार को बढ़ाने की जरूरत
मेट्रो के मास्टर प्लान के तहत वर्ष 2021 तक दिल्ली में मेट्रो का नेटवर्क 413.83 किलोमीटर हो जाना चाहिए था। दिल्ली तो दूर एनसीआर में मौजूद मेट्रो के कुल नेटवर्क को मिलाकर भी यह लक्ष्य अब तक हासिल नहीं हो पाया है। फेज चार के छह कॉरिडोर का निर्माण पूरा होने पर यह लक्ष्य काफी हद तक हासिल हो जाएगा।
अभी ऐसा है Metro का नेटवर्क
अभी शुरू नहीं हो पाया तीन कॉरिडोर का काम
फेज चार की परियोजनाएं वर्ष 2021 तक ही पूरा होनी थीं, लेकिन निर्धारित समय से दो वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी अभी तीन कॉरिडोर का काम शुरू नहीं हो पाया है। जिसे में एक कॉरिडोर (रिठाला-नरेला-कुंडली) को स्वीकृति मिलने का इंतजार है।
चार वर्षों से निर्माणाधीन फेज चार के दिल्ली मेट्रो के तीन कॉरिडोर का काम भी अब तक सिर्फ 45 प्रतिशत हो पाया है। निर्माण कार्य में विलंब के करण इन तीनों कॉरिडोर का काम पूरा करने की समय सीमा मार्च 2026 निर्धारित की गई है, लेकिन जिस गति से काम हो रहा है उससे निर्धारित समय पर शत प्रतिशत काम पूरा होने पर संदेह है। इसलिए मेट्रो कॉरिडोर की रफ्तार बढ़ाने की जरूरत है।
रिठाला-नरेला-कुंडली कॉरिडोर को चुनाव के बाद जल्द मिले स्वीकृति
रिठाला से नरेला होते हुए हरियाणा के कुंडली तक प्रस्तावित मेट्रो कॉरिडोर के निर्माण की परियोजना को चुनाव के बाद जल्द स्वीकृति दी जानी चाहिए। ताकि इस कॉरिडोर के निर्माण का रास्ता साफ हो सके।
इस कॉरिडोर के निर्माण से बवना, नरेला जैसे इलाकों से दिल्ली के अन्य इलाकों में पहुंचना आसान होगा। साथ ही हरियाणा के सोनीपत से भी दिल्ली पहुंचना आसान हो जाएगा।
ठंडे बस्ते में मेट्रो लाइट व मोनो रेल परियोजना
कीर्ति नगर से द्वारका सेक्टर 23 तक 18.17 किलोमीटर लंबी मेट्रो लाइट कॉरिडोर बनाने की परियोजना तैयार हुई थी। जिसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
इसी तरह दिल्ली में शीला दीक्षित सरकार के दौरान त्रिलोकपुरी से शास्त्री पार्क के बीच मोनो रेल कॉरिडोर बनाने की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीएमआरसी) से डीपीआर तैयार कराई थी। यह परियोजनाएं भी ठंडे बस्ते में डाल दी गई। इन परियोजनाओं पर भी अमल की जरूरत है।
मेट्रो कॉरिडोर के डीपीआर को धरातल पर उतरने की जरूरत
एनसीआर के शहरों में अब भी मेट्रो कनेक्टिविटी की बेहतर सुविधा नहीं है। यदि गाजियाबाद से किसी को नोएडा, ग्रेटर नोएडा जाना हो तो कोई सीधी मेट्रो लाइन नहीं है। यही स्थिति हरियाणा में स्थिति एनसीआर के शहरों के शहरों की है। एनसीआर के शहर सीधी मेट्रो लाइन से नहीं जुड़े हैं।
एनसीआर के शहरों के मेट्रो कॉरिडोर से जोड़ने के लिए कई डीपीआर बनी। यमुना बैंक-लोनी व गुरुग्राम से दिल्ली एयरपोर्ट के बीच मेट्रो कॉरिडोर बनाने की योजना भी वर्षों से लंबित है। जेवर एयरपोर्ट को दिल्ली एयरपोर्ट को हाई स्पीड मेट्रो कॉरिडोर से जाेड़ने की भी डीपीआर तैयार हुई थी। इस तरह के डीपीआर और भी कई बने उसे धरातल पर उतारे जाने की जरूरत है।
डेढ़ से दो किलोमीटर की दूरी पर उपलब्ध हो मेट्रो
एनसीआर में मेट्रो नेटवर्क का ऐसा जाला होना चाहिए ताकि हर इलाके में अधिकतम डेढ़ से ढाई किलोमीटर के दायरे में मेट्रो स्टेशन उपलब्ध हो। फेज चार के मेट्रो कॉरिडोर के बाद दिल्ली के करीब हर इलाके के नजदीक मेट्रो स्टेशन उपलब्ध हो जाएंगे लेकिन एनसीआर के बड़े शहरों मेंं मेट्रो नेटवर्क की ज्यादा कमी है।
लास्टमाइल कनेक्टिविटी
मेट्रो स्टेशनों से गंतव्य तक पहुंचने के लिए मौजूदा समय में मेट्रो फीडर बस की सुविधा अच्छी नहीं है। इसलिए लास्टमाइल कनेक्टिविटी की सुविधा बढ़ाने की जरूरत है।
गाजियाबाद-
- मौजूदा समय में गाजियाबाद में नोएडा सेक्टर-62 से नमो भारत ट्रेन के साहिबाबाद स्टेशन तक कॉरिडोर प्रस्तावित है। इसकी डीपीआर उत्तर प्रदेश शासन के पास लंबित है। वहां से केंद्र सरकार के पास स्वीकृति के लिए डीपीआर भेजी जानी है।
- गाजियाबाद के हिस्से में मौजूद रेड लाइव व ब्लू लाइन को भी नया मेट्रो कॉरिडोर बनाकर आपस मेंं जोड़े जाने की जरूरत है। इसके तीन वैशाली से मोहन नगर के बीच मेट्रो कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव था।
- मेट्रो फेज-तीन परियोजना के तहत कॉरिडोर की लंबाई 5.017 किलोमीटर व पांच स्टेशन प्रस्तावित हैं। नोएडा सेक्टर-62 मेट्रो कॉरिडोर को लालकुआं और लालकुआं से आगे बढ़ाकर हापुड़ तक विस्तार किए जाने की जरूरत है।
नोएडा
- नोएडा से ग्रेटर नोएडा एक्सटेंशन की ओर करीब 15 किलोमीटर का मेट्रो कॉरिडोर प्रस्तावित है। नोएडा सेक्टर 61 से ग्रेटर नोएडा नॉलेज पार्क पांच तक यह लाइन प्रस्तावित है।
- इस परियोजना के तहत नोएडा में तीन और नोएडा एक्सटेंशन में आठ स्टेशन बनाए जाने हैं। बोटैनिकल गॉर्डन से नोएडा सेक्टर 142 तक 11 किलोमीटर का मेट्रो रूट प्रस्तावित है इसमें आठ स्टेशन बनाए जाने की योजना है।
गुरुग्राम
- पुराने गुरुग्राम में मेट्रो विस्तार को लेकर योजना बन चुकी है। जल्द ही 28.50 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर का निर्माण शुरू होगा।
- कॉरिडोर पर कुल 27 मेट्रो स्टेशन होंगे। चार साल के भीतर 5452.72 करोड़ रुपये की लागत से यह मेट्रो कॉरिडोर तैयार होगा।
- आगे मेट्रो का विस्तार मानेसर तक एवं गुरुग्राम में रेजांग-ला चौक से लेकर दिल्ली में द्वारका तक करने का प्रस्ताव है।
- द्वारका तक मेट्रो कॉरिडोर विकसित किए जाने से दिल्ली एयरपोर्ट तक गुरुग्राम के कई इलाकों की बेहतर कनेक्टिविटी हो जाएगी।
फरीदाबाद
- फरीदाबाद से गुरुग्राम तक 30.38 किमी लंबे एलिवेटेड मेट्रो कॉरिडोर व कुल सात स्टेशन बनाने का प्रस्ताव है। इसकी फिजिबिलिटी रिपोर्ट को केंद्रीय आवासन व शहरी कार्य मंत्रालय से स्वीकृति मिल चुकी है। डीपीआर भी बन गई है।
- इस परियोजना की घोषणा हरियाणा सरकार ने वर्ष 2015 में की थी। तब इस परियोजना पर करीब 5900 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान बताया गया था।
- फरीदाबाद-गुरुगाम के बीच प्रतिदिन हजारों लोगों का आवागमन होता है, फिलहाल सड़क मार्ग ही बेहतर विकल्प है।
- अगर फरीदाबाद से मेट्रो से गुरुग्राम तक जाना है तो पहले वायलेट लाइन से दिल्ली के कालकाजी मेट्राे स्टेशन और फिर हौज खास स्टेशन पर मेट्रो बदलकर गुरुग्राम जाना होगा।
महत्वपूर्ण तथ्य
एनसीआर में मेट्रो के कॉरिडोर | 12 |
मेट्रो नेटवर्क की कुल लंबाई | 393 किलोमीटर |
कुल मेट्रो स्टेशन | 288 |
दिल्ली मेट्रो के कॉरिडोर की लंबाई | 348.418 किलोमीटर |
स्टेशनों की संख्या | 255 |
नोएडा की एक्वा लाइन की लंबाई- 29.168 किलोमीटर
स्टेशनों की संख्या- 21
गुरुग्राम की रैपिड लाइन की लंबाई- 12.854 किलोमीटर
स्टेशनों की संख्या- 11
दिल्ली मेट्रो के तीनों फेज के कॉरिडोर की लंबाई (किलोमीटर में) और स्टेशनों की संख्या
फेज- कॉरिडोर की लंबाई- स्टेशन
फेज एक- 64.751- 59
फेज दो- 123.300- 86
फेज तीन- 160.367- 110
दिल्ली मेट्रो के कॉरिडोर की लंबाई (किलोमीटर में) और स्टेशन
मेट्रो लाइन कॉरिडोर की लंबाई- स्टेशन
- रेड लाइन 34.549- 29
- यलो लाइन 49.019- 37
- ब्लू लाइन (3) 46.114- 50
- ब्लू लाइन (4) 8.511- 08
- ग्रीन लाइन 28.781- 24
- वायलेट लाइन 46.341- 34
- पिंक लाइन 59.242- 38
- मजेंटा लाइन 37.461- 25
- ग्रे लाइन 5.491- 04
- एयरपोर्ट लाइन 24.917- 07
एनसीआर अलग-अलग शहरों में मेट्रो कॉरिडोर की लंबाई
- दिल्ली- 286 किलोमीटर
- एनसीआर के शहरों में मेट्रो नेटवर्क की लंबाई- 107 किलोमीटर
- नोएडा- 46.80 किलोमीटर
- गाजियाबाद- 12.17 किलोमीटर
- गुरुग्राम- 19.90 किलोमीटर
- फरीदाबाद- 17.08 किलोमीटर
- बहादुरगढ़- 11.18
इन प्रस्तावित कॉरिडोर पर भी अमल की जरूरत
- यमुना बैंक-लोनी- 11.97 किलोमीटर
- कीर्ति नगर-द्वारका सेक्टर 23- 18.17 किलोमीटर
- त्रिलोकपुरी से शास्त्री पार्क के बीच मोनो रेल- 20 किलोमीटर