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दिल्ली से सटे जेवर में बनेगा एयरपोर्ट, IGIA पर कम हो जाएगा भार

वर्तमान में आइजीआइ एयरपोर्ट देश का सबसे व्यस्तम एयरपोर्ट हैं और यहां से 63 घरेलू और विदेशी एयरलाइंस अपने विमानों का संचालन करती हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Sun, 25 Jun 2017 07:31 AM (IST)Updated: Mon, 26 Jun 2017 11:02 AM (IST)
दिल्ली से सटे जेवर में बनेगा एयरपोर्ट, IGIA पर कम हो जाएगा भार
दिल्ली से सटे जेवर में बनेगा एयरपोर्ट, IGIA पर कम हो जाएगा भार

नई दिल्ली (संतोष शर्मा)। केंद्र सरकार ने ग्रेटर नोएडा के जेवर में एयरपोर्ट के निर्माण की मंजूरी दे दी है। दिल्ली-एनसीआर में बनने वाले इस दूसरे एयरपोर्ट से इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट (आइजीआइ) पर यात्रियों और विमानों का दवाब कम होगा। वहीं, जेवर से कार्गो विमान की उड़ान नोएडा और उत्तर प्रदेश के व्यापार को एक नई गति देगी।

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आइजीआइ एयरपोर्ट से जेवर एयरपोर्ट की दूरी करीब 90 किलोमीटर है। आइजीआइ एयरपोर्ट संचालक कंपनी जीएमआर से हुए करार के मुताबिक दो एयरपोर्ट की दूरी 150 किलोमीटर दूर होना तय हुआ था, लेकिन विशेष परिस्थिति के कारण इसमें रियायत बरती गई है।

दरअसल, आइजीआइ एयरपोर्ट पर यात्रियों का भार लगातार बढ़ता जा रहा है। गत छह वर्ष में इस एयरपोर्ट से यात्रा करने वालों की संख्या दोगुनी हो गई है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में यहा से साढ़े पांच करोड़ से ज्यादा लोगों ने यात्रा की।

अनुमान है कि वर्ष 2034 में यह संख्या 10 करोड़ से ज्यादा हो जाएगी। वर्तमान में आइजीआइ एयरपोर्ट देश का सबसे व्यस्तम एयरपोर्ट हैं और यहां से 63 घरेलू और विदेशी एयरलाइंस अपने विमानों का संचालन करती हैं।

यहां से देश-विदेश के 129 गंतव्य के लिए विमान सेवाएं उपलब्ध हैं। एक घंटे में एयरपोर्ट पर औसतन 82 विमानों को उड़ाया व उतारा जाता है। वहीं यहां से प्रतिवर्ष 833 मैट्रिक टन कार्गो की ढुलाई भी की जा रही है।

एयरपोर्ट अधिकारियों के मुताबिक, आइजीआइ एयरपोर्ट आने वाले वर्षों में अधिकतम क्षमता को हासिल कर लेगा। इस स्थिति में जेवर एयरपोर्ट का निर्माण यात्रियों व एविएशन सेक्टर के लिए खासा उपयोगी साबित होगा।

उन्होंने बताया कि यात्रियों व विमानों की संख्या लगातार बढ़ने के कारण आइजीआइ एयरपोर्ट के विस्तार के लिए मास्टर प्लान तैयार किया गया है। तीन चरणों में एयरपोर्ट का विस्तार किया जाना है। एयरपोर्ट से घरेलू यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या प्रतिवर्ष 30 फीसद की दर से बढ़ रही है।

इसकी वजह से डोमेस्टिक टर्मिनल-वन पर काफी दवाब है। पीक आवर में टर्मिनल पर यात्रियों की भारी भीड़ जमा हो जाती है, इसलिए मास्टर प्लान के तहत सबसे पहले डोमेस्टिक टर्मिनल-वन पर विस्तार कार्य शुरू कराया गया है।

तेजी से काम हो सके इसके लिए टर्मिनल वन से संचालित कुछ विमानों को टर्मिनल-2 में स्थानांरित किया जाना है। लेकिन एयरलाइंस कंपनियां अलग-अलग कारणों से वहां जाने से बच रही हैं।

वर्तमान में टर्मिनल-2 के शुरू होने की तीन डेड लाइन भी समाप्त हो चुकी हैं, जिसके बाद स्थानांतरण के मुद्दे पर विमानन मंत्रालय को हस्तक्षेप करना पड़ा।

बढ़ते यात्रियों और उड़ानों की संख्या की वजह से आइजीआइ एयरपोर्ट पर टर्मिनल-4 और एक अतिरिक्त रनवे-4 का भी निर्माण प्रस्तावित है। आगामी 17 वर्ष में तीन अलग-अलग चरणों में इस एयरपोर्ट का विस्तार व विकास किया जाना है।

पहले चरण में 2016 से 2020 के बीच टर्मिनल-वन का विस्तार कर उसकी क्षमता 30 मिलियन यात्री प्रतिवर्ष की जाएगी। दूसरे चरण का काम 2021-2025 के बीच और तीसरे चरण में 2026 से 2034 के बीच विकास कार्य होना है।

जेवर में आएंगी कई चुनौतियां

अाधिकारिक सूत्रों का कहना है कि जेवर एयरपोर्ट के शुरू होने पर कुछ चुनौतियां भी सामने आएंगी। सबसे प्रमुख चुनौती एयरलाइंस कंपनियों द्वारा वहां से विमान सेवाएं शुरू अथवा स्थानांतरित करवाने की होगी।

आइजीआइ और जेवर एयरपोर्ट से विमानों के संचालन करने की स्थिति में उन्हें दोनों स्थानों पर कार्यालय और कर्मचारी रखने होंगे। इससे संचालन का खर्च बढ़ेगा। इस स्थिति में सरकार जहां यात्रियों को सस्ते दर पर विमान यात्रा कराने का बात कर रही है।

विमान यात्रा और महंगी हो जाएगी। वहीं, जेवर एयरपोर्ट बन जाने के बावजूद देश का व्यस्तम एयरपोर्ट होने की वजह से आइजीआइ से लोगों को ज्यादा सेक्टर की और ज्यादा कनेक्टिंग फ्लाइट उपलब्ध होंगी। जिससे लोग बजाए जेवर जाने के दिल्ली से विमान यात्रा करेंगे।


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