NGT के दरबार में हाजिर हुए प्रमुख सचिव, माफी मांगी
तालाब, पोखर, डूब क्षेत्र, झील आदि को अतिक्रमण मुक्त कर पुनरुद्धार करने के नेशनल ग्र्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) के आदेश का उल्लंघन करने पर प्रमुख सचिव ने एनजीटी कोर्ट में बगैर हैवी पैनल्टी और बगैर शर्त माफी मांगी।
गाजियाबाद [इंदु शेखावत] । तालाब, पोखर, डूब क्षेत्र, झील आदि को अतिक्रमण मुक्त कर पुनरुद्धार करने के
नेशनल ग्र्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) के आदेश का उल्लंघन करने पर प्रमुख सचिव ने एनजीटी कोर्ट में बगैर हैवी पैनल्टी और बगैर शर्त माफी मांगी।
कोर्ट ने आठ जुलाई को प्रदेश के प्रमुख सचिव, मेरठ मंडल के कमीश्नर, गाजियाबाद के जिलाधिकारी, जीडीए वीसी व आवास विकास के आवास सचिव को इस मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
तीन दिसंबर 2014 को एनजीटी ने आदेश जारी किया था कि गाजियाबाद समेत प्रदेश में सभी तालाब, पोखर, झील, डूब क्षेत्र आदि से अतिक्रमण हटाया जा और उनका पुनरुद्धार किया जाए।
इसके लिए छह माह का समय दिया गया था। तय अवधि में तालाब, पोखर, झील, डूब क्षेत्र आदि से ना तो अतिक्रमण हटाया जा सका और ना ही पुनरुद्धार किया जा सका।
इसके विपरीत इन क्षेत्रों में लगातार अतिक्रमण किए जाने की एनजीटी को शिकायतें मिलती रहीं। गाजियाबाद के एडीएम प्रशासन ने एनजीटी को अतिक्रमण किए जाने की रिपोर्ट दी थी।
प्रशासन ने हलफनामे में यूपीएसआईडीसी द्वारा कोई जवाब नहीं दिए जाने का हवाला दिया था। यूपीएसआडीसी क्षेत्र में 15 तालाब हैं और इन पर फैक्ट्रियां बनी हैं।
इसको लेकर यूपीएसआईडीसी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी मगर वहां सुनवाई नहीं हो सकी थी और एनजीटी में ही पुुनर्याचिका दायर के निर्देश दिए गए थे। एनजीटी में प्रमुख सचिव ने अवमानना मामले में बगैर हैवी पेनल्टी व बगैर शर्त माफी मांगी। चूंकि यह पूरे प्रदेश का मामला है।
एनजीटी में हैवी पेनल्टी लगभग 20 करोड़ रुपये तक होती है। अत: कोर्ट ने सुनवाई करते हुए प्रमुख सचिव को अब एक सप्ताह में स्टेटस रिपोर्ट व एक्शन रिपोर्ट पेश करने का समय दिया है।
बता दें कि साहिबाबाद क्षेत्र निवासी पर्यावरणविद् सुशील राघव ने एनजीटी में आदेश की अवमानना का मामला दाखिल किया। इसके साथ ही जिन क्षेत्रों में अतिक्रमण हो रहा था, उसकी स्टेटस रिपोर्ट भी दाखिल की।
एनजीटी ने इस मामले को गंभीरता से लिया और आदेश की अवमानना के मामले में प्रदेश के प्रमुख सचिव, मेेरठ मंडल के कमीश्नर, गाजियाबाद के जिलाधिकारी, जीडीए वीसी व आवास विकास के आवास सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा कि क्यों न इस मामले में दंडात्मक व आपराधिक कार्रवाई की जाए?
एनजीटी ने इस मामले में जवाब देने के लिए पहले दो सप्ताह का समय दिया था। बाद में इसमें 29 जुलाई तय की गई थी।