डॉक्टरों की कमी से बढ़ रहीं ¨हसक घटनाएं : हाई कोर्ट
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को हाई कोर्ट ने डॉक्टरों व तीमारदा
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को हाई कोर्ट ने डॉक्टरों व तीमारदारों के बीच होने वाली ¨हसक घटनाओं का एक कारण बताया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह की खंडपीठ ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या के अनुपात में डॉक्टरों की काफी कमी है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत में डॉक्टरों के लिए बेहतर रोजगार की कमी है और वे मजबूरी में दूसरे देशों का रुख कर रहे हैं। यह काफी हैरानी की बात है कि दूसरे देशों से छात्र डॉक्टरी की शिक्षा लेने भारत आते हैं और यहां के डॉक्टर दूसरे देश में प्रैक्टिस के लिए जा रहे हैं।
अदालत ने कहा कि डॉक्टरों को बेहतर रोजगार देना जरूरी है ताकि वे भारत में ही प्रैक्टिस करें। सरकार पर्याप्त रोजगार नहीं दे पा रही है, इसलिए वे विदेश जा रहे हैं। दिल्ली के अस्पतालों में मारपीट के मामलों में वृद्धि हो रही है, जब तक डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं होगी यह समस्या हल होने वाली नहीं है। अदालत ने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि आप डॉक्टरों की संख्या क्यों नहीं बढ़ाते हैं।
खंडपीठ ने कहा सभी अस्पतालों में सार्वजनिक नोटिस लगा कर लोगों को इस बारे में जागरूक करना चाहिए कि डॉक्टरों से मारपीट करने पर उन्हें क्या सजा हो सकती है। समाचार पत्रों में भी इस संबंध में विज्ञापन दिया जाए। अदालत ने केंद्र, दिल्ली सरकार व मामले में अन्य सभी पक्षों इस बारे में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है कि डॉक्टरों व अन्य मेडिकल स्टाफ से मारपीट करने वाले मरीजों के रिश्तेदारों के खिलाफ अब तक कितने मामले दर्ज किए गए हैं और कितने मामलों में मुकदमा चल रहा है। खंडपीठ ने वरिष्ठं अधिवक्ता महेंद्र आचार्य व सिद्धार्थ अग्रवाल को अदालत की सहायता के लिए न्यायमित्र नियुक्त किया है। खंडपीठ ने समाचार पत्रों में प्रकाशित डॉक्टरों से मारपीट करने संबंधी खबरों पर स्वत: संज्ञान लिया था। मामले की अगली सुनवाई 29 मई को होगी।